Republic Day 2021: 26 जनवरी के 26 रोचक प्रसंग! जानें इन अवसरों पर चीन और पाकिस्तान को सम्मान देने का क्या हश्र निकला?
देश के 72वें गणतंत्र दिवस के जश्न की तैयारियां लगभग पूरी हो चुकी हैं. यही वह महान दिन था, जब संविधान सभा की ओर से 26 नंवबर 1949 को भारत का संविधान लागू हुआ था. आजाद भारत के लिए यह दिन सच्चे साहस और संघर्ष का प्रतीक है.
गणतंत्र दिवस ग्रीटिंग्स, (फोटो क्रेडिट्स: फाइल फोटो)
देश के 72वें गणतंत्र दिवस (Republic Day) के जश्न की तैयारियां लगभग पूरी हो चुकी हैं. यही वह महान दिन था, जब संविधान सभा की ओर से 26 नंवबर 1949 को भारत का संविधान लागू हुआ था. आजाद भारत के लिए यह दिन सच्चे साहस और संघर्ष का प्रतीक है. इस दिन दिल्ली के राजमार्ग पर सैन्य परेड, सैन्य सामानों की प्रदर्शनी, भारतीय राष्ट्रपति द्वारा राष्ट्रीय ध्वज तिरंगे को सलामी देने के बाद विभिन्न रंगारंग कार्यक्रम आयोजित किये जाते हैं. इसके बाद राष्ट्रपति द्वारा विभिन्न वीरता पुरस्कारों का वितरण किया जाता है. गणतंत्र दिवस किसी भी भारतीय के लिए गर्व की बात है, क्योंकि विभिन्न मुश्किलों और बाधाओं के पश्चात
1- आजाद भारत का संविधान 26 नवंबर 1949 को पारित हुआ और एक साल बाद 26 जनवरी के ही दिन 1950 में लागू हुआ. जिसे गणतंत्र दिवस के दिन 'संविधान दिवस' के रूप में मनाया जाता है. बाबासाहेब डॉ. भीम राव अंबेडकर को भारत का संविधान निर्माता कहा जाता है. वे संविधान मसौदा समिति के अध्यक्ष थे.
2- दुनिया के सबसे बड़े संविधान को 299 विद्वानों ने डॉ. बीआर अंबेडकर के नेतृत्व में 2 साल 11 महीने 17 दिन पूरा किया था.
3- भारतीय संविधान के निर्माण के समय मूल संविधान में 395 अनुच्छेद, जो 22 भागों में विभाजित थे, इसमें केवल 8 अनुसूचियां थीं. वर्तमान में यह संख्या बढ़कर 465 अनुच्छेद, और 12 अनुसूचियां हो गयीं
4- भारत की संविधान सभा का चुनाव भारतीय संविधान की रचना के लिए किया गया था. ग्रेट ब्रिटेन से स्वतंत्र होने के बाद संविधान सभा के सदस्य ही प्रथम संसद के सदस्य बने.
5-26 जनवरी 1950 में संविधान सभा के सदस्यों की कुल संख्या 389 निश्चित की गई थी, जिनमें 292 ब्रिटिश प्रांतों के प्रतिनिधि, 4 चीफ कमिश्नर क्षेत्रों के प्रतिनिधि एवं 93 देशी रियासतों के प्रतिनिधि थे.
6- देश का सर्वोच्च कानून हमारा संविधान 26 नवंबर, 1949 में अंगीकार किया गया था. हैदराबाद एकमात्र ऐसी रियासत थी, जिसके प्रतिनिधि संविधान सभा में सम्मिलित नहीं हुए थे.
7- संविधान की धारा 74 (1) में यह व्यवस्था की गई है कि राष्ट्रपति की सहायता के लिए मंत्रिपरिषद् होगी, जिसका प्रमुख प्रधानमंत्री होगा.
8-संविधान लागू होने से पहले देश में तमाम कानून व्यवस्था अंग्रेजों के जमाने के बनाए हुए एक्ट गवर्नमेंट ऑफ इंडिया एक्ट 1935 के तहत चलती थी, नये संविधान के लागू होते ही गवर्नमेंट ऑफ इंडिया एक्ट को 1935 रद्द कर दिया गया.
9- 26 जनवरी 1950 को डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने देश के पहले राष्ट्रपति के रूप में गवर्नमेंट हाउस के दरबार हाल में शपथ लिया.
10- 26 जनवरी के दिन 31 तोपों की सलामी के साथ सुबह साढ़े दस बजे भारत को जहां पहला राष्ट्रपति मिला, वहीं संविधान लागू होते ही भारत एक लोकतांत्रिक गणराज्य भी बन गया. इस दिन पांच मील तक लोगों ने खड़े होकर राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद को राष्ट्रीय ध्वज फहराते और भव्य परेड की सलामी लेते देखा.
11- भारतीय संविधान 26 नवंबर 1949 में पूरी तरह से तैयार हो चुका था. लेकिन दो महीने इंतजार करने के पश्चात 26 जनवरी 1940 को लागू किया गया.
12- साल 1950 की 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस परेड में डकोटा, हावर्ट, स्पिट फायर, लिब्रेटर जैसे सौ से ज्यादा लड़ाकू विमानों ने हिस्सा लिया था. ये भारतीय सैन्य बल का शानदार प्रदर्शन था. इतनी बड़ी संख्या में लड़ाकू विमान आज भी गणतंत्र दिवस परेड में हिस्सा नहीं लेते.
13-पहले गणतंत्र दिवस से एक दिन पहले यानी 25 जनवरी 1950 की शाम के समय भारत के पहले प्रधानमंत्री पं. जवाहरलाल नेहरू ने रेडियो पर देश के नाम संदेश प्रसारित किया.
14- पहले गणतंत्र दिवस 26 जनवरी को सेना की तीनों शाखाओं जल, थल एवं वायुसेना ने परेड में हिस्सा लिया. इस दिन से भारतीय वायुसेना को रॉयल एयरफोर्स की जगह इंडियन एयरफोर्स के नाम से जाना जाने लगा. इसी तरह रॉयल इंडियन नेवी से रॉयल शब्द हटा लिया गया. इसके साथ ही भारतीय फौज से ब्रिटिश हुकूमत की छाप पूरी तरह मिट गयी.
15- 26 जनवरी 1961 को इंग्लैंड की महारानी एलिजाबेथ द्वितीय को बतौर मुख्य अतिथि आमंत्रित किया गया. ये मौका ब्रिटेन और भारत दोनों के लिए एक सुनहरा पल था.
16- आज जहां राष्ट्राध्यक्षों को मुख्य अतिथि के तौर पर आमंत्रित किया जाता है, वहीं साल 1955 में राजपथ पर सबसे पहले हुई गणतंत्र दिवस के मुख्य अतिथि थे पाकिस्तान के गवर्नर जनरल मुहम्मद. ये कोशिश थी पाकिस्तान से दोस्ताना रिश्ते बनाने की.
17-1962 में गणतंत्र दिवस यानी 26 दिसंबर को पड़ोसी से अच्छे रिश्ते बनाने के प्रयास में चीन के पिपुल्स लिब्रेसन आर्मी के मार्शल येन जान यिंग को बतौर मुख्य अतिथि आमंत्रित किया गया. लेकिन चीन ने भारत की इस कोशिश पर पानी फेर दिया. चीन ने इसी साल भारत के खिलाफ अक्टूबर में जंग छेड़ दिया.
18- 26 जनवरी 1965 के गणतंत्र दिवस समारोह में भारत ने दूसरी बार मुख्य अतिथि के तौर पर पाकिस्तान के कृषि मंत्री राणा अब्दुल हमीद को आमंत्रित किया गया. लेकिन एक बार फिर पाकिस्तान ने भारत के शांति के पहल पर पानी फेरते हुए तीन माह बाद ही आक्रमण कर दिया. यह अलग बात है कि उसे इस बार भी मुंह की खानी पड़ी थी.
19 साल 1950 से लेकर 1954 तक गणतंत्र दिवस परेड का कोई एक स्थान तय नहीं था. यह समारोह कभी इरविन स्टेडियम तो कभी नेशनल स्टेडियम, कभी राजपथ, तो कभी रामलीला मैदान पर मनाया जाता था, लेकिन 26 जनवरी 1955 से गणतंत्र दिवस स्थाई रूप से राजपथ में मनाया जाने लगा.
20- 26 जनवरी के दिन ही रवींद्रनाथ टैगोर के लिखे गीत जन गण मन को राष्ट्रगान का तो बंकिम चंद्रचट्टोपाध्याय के लिखे गीत वंदे मातरम... को राष्ट्रगीत का दर्जा दिया गया.
21-पहले गणतंत्र दिवस 26 जनवरी 1050 को भारतीय सेना के चार फौजियों को राष्ट्रपति महामहिम डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने उनकी वीरता के लिए परमवीर चक्र से सम्मानित किया. जम्मू कश्मीर में पाकिस्तानी फौज का बहादुरी से सामना करने के लिए सबसे पहले परमवीर चक्र विजेता बनें मेजर सोमनाथ शर्मा. मेजर शर्मा और नायक यदुनाथ सिंह को पहले गणतंत्र दिवस पर मरणोपरांत सम्मानित किया गया. कैप्टन रामा राघोबा राणे और हवलदार करम सिंह ने स्वयं परमवीर चक्र प्राप्त किया. इसके बाद से ही सैनिकों को उनकी बहादुरी और जांबाजी के लिए वीर चक्र, महावीर चक्र, परमवीर चक्र, कीर्ति चक्र और अशोक चक्र से सम्मानित करने की परंपरा शुरु हो गई.
22- बहादुर बच्चों को उनकी वीरता के लिए बहादुरी चक्र के पुरस्कार दिये जाने का चलन 26 जनवरी 1957 से शुरु हुआ. इस पुरस्कार की घोषणा 14 नवंबर को ही कर दी जाती है. यह पुरस्कार बच्चों को प्रधानमंत्री द्वारा दिया जाता है. फिर ये बच्चे गणतंत्र दिवस परेड में शामिल होते हैं.
23- 26 जनवरी 1950 के पहले गणतंत्र दिवस के पहले मुख्य अतिथि रहे इंडोनेशिया के राष्ट्रपति सुकर्णों.
24- संविधान लागू करने के लिए 26 जनवरी की तारीख को इसीलिए चुनी गयी, क्योंकि 26 साल 1930 में पं. जवाहरलाल नेहरू के नेृतृत्व में इंडियन नेशनल कांग्रेस ने अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ पूर्ण स्वराज का एलान किया था. गणतंत्र दिवस यादगार है पूर्ण स्वराज के एलान की तारीख का.
25-सन 1930 से 1947 तक निरंतर 26 जनवरी के दिन ही स्वतंत्रता दिवस मनाया जाता रहा.
26- 26 जनवरी 1950 को ही सारनाथ में मौजूद अशोक स्तम्भ के शीर्ष पर मौजूद अशोक चिह्न को ही राष्ट्रीय चिह्न के रूप में मनोनीत किया गया.