रमजान का पाक महीना शुरु हो गया है. इस मुक़द्दस महीने में मुस्लिम समुदाय के लोग अल्लाह की इबादत में मशगुल रहते हैं. इस माह में ईशा की नमाज के पश्चात तरावीह की नमाज अदा की जाती है. तरावीह के तहत पवित्र कुरान पढ़ने की परंपरा है. यह महिला और पुरुषों दोनों के लिए होती है. तरावीह की नमाज सुन्नत है. यह 20 रकात की होती हैं.
तरावीह की नमाज रमजान के चांद दिखने से ही शुरू हो जाती हैं. यह नमाज एक महीने तक पढ़ी जाती है और शवाल के चांद के साथ ख़त्म हो जाती है. आइये जानें रमजान के माह में तरावीह इतना महत्वपूर्ण क्यों होता है.
तरावीह क्या है
तरावीह मुसलमानों द्वारा रमजान माह में पढ़ी जाने वाली अतिरिक्त नमाज होती है, जिसे रात के वक्त ही पढ़ी जाती है. रमजान के माह में ईशा की नमाज के बाद ही नमाज के रूप में तरावीह अदा की जाती है, जिसमें कुरान पढी जाती है. तरावीह में एक बार कुरान पाक खत्म करना सुन्नत-ए-मौअक्कदा है. अगर कुरान पहले खत्म हो गया तो तरावीह आखिरी रमजान तक निरंतर पढ़ते रहना चाहिए, क्योंकि यह सुन्नत-ए-मौअक्कदा है.
क्या है इसका महत्व
तरावीह की नमाज सुन्नत-ए-मुअक्कदा है. पाक कुरान में स्पष्ट रूप से लिखा है कि जिसने सच्चे ईमान के और अज्र व सवाब की आशा रखते हुए तरावीह की नमाज पढ़ी है तो अल्लाह द्वारा उसके पिछले गुनाह माफ कर दिये जायेंगे. सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने इरशाद फरमाया कि जो भी मुसलमान रमज़ान माह की रातों के समय ईमान के साथ और सवाब की नियत से इबादत के लिए खड़ा होता है, उसके पिछले सारे गुनाह स्वतः माफ हो जाते हैं.
तरावीह के आवश्यक मसाइल
* वास्तव में तरावीह का समय ईशा की नमाज पढ़ने के बाद शुरू होता है, जो सुबह सादिक तक रहता है.
* वित्र की नमाज बेहतर है कि तरावीह की नमाज के बाद में ही पढ़ी जाये.
* रमज़ान में वित्र की नमाज़ जमाअत के साथ भी पढ़ी जाती है.
* तरावीह की नमाज़ दो-दो रकात में पढ़नी चाहिए. हर चार रकात के बाद कुछ देर विश्राम करना चाहिए.
* कुछ लोग रकअत की शुरुआत में तो बैठे रहते हैं और रकूअ में शामिल हो जाते हैं. ये मकरूह है.
बता दें कि रमजान का पवित्र महीना शुरू होते ही मुस्लिम धर्म के लोग अल्लाह की इबादत में मशगूल हो जाते हैं. रमजान को अरबी भाषा में रमादान भी कहते हैं. इस्लामिक कैलेंडर का नौवां महीना होता है.
* तरावीह पढ़ना और इस तरावीह में एक कुरान मजीद को खत्म करना ये दोनों अलग-अलग सुन्नते होती हैं.
बता दें कि रमजान का पवित्र महीना शुरू होते ही मुस्लिम धर्म के लोग अल्लाह की इबादत में मशगूल हो जाते हैं. रमजान को अरबी भाषा में रमादान भी कहते हैं. इस्लामिक कैलेंडर का नौवां महीना होता है. मान्यता है कि 610 ईस्वी में इसी नौवें माह यानी रमजान के दिन पैगंबर मोहम्मद के सामने कुरान के प्रकट होने के साथ ही मुसलमानों के लिए यह पवित्र घोषित कर दिया गया था.