इस्लामाबाद: पाकिस्तान (Pakistan) में करोना वायरस संक्रमण (Coronavirus Outbreak) के चलते अब तक 224 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि 10,513 लोग इस वायरस से संक्रमित बताए जा रहे हैं. इस बीच पाकिस्तान के कुछ प्रमुख इमामों (Clerics) ने अपने भक्तों से महामारी (Pandemic) विरोधी उपायों की अनदेखी करने को कहा है. पाकिस्तान में कुछ प्रमुख मौलवी न सिर्फ सरकार के देशव्यापी लॉकडाउन (Lockdown) से आगे निकलने की कोशिश कर रहे हैं, बल्कि लोगों से मस्जिदों में शुक्रवार की नमाज (Friday Congregational Prayers) और तरावीह की नमाज (Taraweeh) अदा करने को लेकर लॉकडाउन का उल्लंघन करने के लिए उकसा भी रहे हैं.
द न्यूयॉर्क टाइम्स में प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तान में कुछ प्रमुख मौलवी रमजान (Ramadan) के दौरान सरकार के देशव्यापी लॉकडाउन का विरोध कर रहे हैं. यहां तक कि उनमें से कुछ धर्मगुरुओं ने शुक्रवार की नमाज और तरावीह में शरीक होने के लिए अधिक से अधिक लोगों का आह्वान भी किया है. बताया जा रहा है कि उनके कुछ भक्तों ने लॉकडाउन का उल्लंघन करने पर रोकने की कोशिश करने वाले पुलिस अधिकारियों पर भी हमला कर दिया.
दरअसल, इस्लाम धर्म की परंपरा के अनुसार, रमजान के दौरान हर रोज तरावीह या विशेष प्रार्थनाएं आयोजित की जाती हैं. ऐसे में मुस्लिम धर्मगुरुओं का कहना है कि इन विशेष प्रार्थनाओं का आयोजन सोशल डिस्टेंसिंग को ध्यान में रखते हुए मस्जिदों में किया जा सकता है. यह भी पढ़ें: पाकिस्तानी पीएम इमरान खान नहीं है कोरोना वायरस से संक्रमित, टेस्ट रिपोर्ट आई नेगेटिव
बता दें कि इससे पहले दर्जनों जाने मानें मौलवियों और धार्मिक दलों के नेताओं ने एक पत्र पर हस्ताक्षर किए थे, जिसमें इमरान खान सरकार से मस्जिदों को लॉकडाउन से छूट देने के लिए कहा गया था. उन्होंने दावा किया है कि रमजान के दौरान मस्जिदों में जाने से लोगों को रोकना अल्लाह के क्रोध को आमंत्रित करना है.
हालांकि बाद में पाकिस्तान सरकार ने एक समझौते पर हस्ताक्षर करते हुए 20 नियमों के पालन के साथ मस्जिदों को रमजान में खुला रखने की इजाजत दे दी. इन नियमों के अनुसार, मस्जिदों में लोगों को नमाज पढ़ते समय एक-दूसरे से करीब 6 फीट की दूरी रखनी होगी. इस दौरान लोगों को अपने-अपने प्रार्थना मैट साथ लाने होंगे. यह भी पढ़ें: ब्रिटेन में रमजान के लिए एनएचएस ने जारी किया एक और परामर्श, जारी किया यह निर्देश
वहीं दूसरी तरफ कई आलोचकों ने मुस्लिम मौलवियों से प्रभावित होकर मस्जिदों को खुला रखने की इजाजत देने को लेकर प्रधानमंत्री इमरान खान पर निशाना भी साधा है. इस्लामाबाद के प्रोफेसर, इस्लाम और राजनीति के विद्वान हुस्नुल अमीन ने द न्यूयॉर्क टाइम्स के हवाले से कहा कि प्रदेश इन मौलवियों के अधीन हो गया है. ऐसे में जनता की भलाई के लिए सबसे अच्छा क्या है, उसे लागू करना बेहद मुश्किल हो गया है.
गौरतलब है कि दुनिया भर में कोरोना वायरस कोहराम मचा रहा है, इसलिए तमाम धार्मिक और सार्वजनिक स्थलों पर लोगों के इकट्ठा होने पर पाबंदी लगाई गई है. आंकड़ों पर गौर करें तो दुनिया भर में इस महामारी से अब तक 26.46 लाख से अधिक लोग प्रभावित बताए जा रहे हैं, जिनमें से 1.84 लाख लोगों की मौत हो चुकी है और 7.23 लाख लोग इलाज के जरिए ठीक हो चुके हैं.