Papmochani Ekadashi 2021: पापमोचनी एकादशी है आज, जानें इसका महत्व और पूजा विधि
पापमोचनी एकादशी 2021 (Photo Credits: File Image)

पूरे वर्ष में कुल 24 एकादशियां होती हैं. हालांकि, होलिका दहन और चैत्र नवरात्रि के बीच आने वाली एकादशी को पापमोचनी एकादशी (Papmochani Ekadashi 2021) के रूप में जाना जाता है. यह युगदी (Yugadi) से पहले पड़ता है और यह साल की आखिरी एकादशी है. पापमोचनी एकादशी के इस शुभ दिन पर भक्त भगवान विष्णु की पूजा और आराधना करते हैं. उत्तर भारतीय पूर्णिमांत कैलेंडर के अनुसार, पापमोचनी एकादशी को चैत्र माह के कृष्ण पक्ष के दौरान मनाया जाता है और दक्षिण भारतीय अमावस्यांत कैलेंडर के अनुसार फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष के दौरान मनाया जाता है. उत्तर भारतीय और दक्षिण भारतीय दोनों एक ही दिन पापमोचनी एकादशी मनाते हैं. यह भी पढ़ें: Papmochani Ekadashi 2021 Wishes: पापमोचनी एकादशी की शुभकामनाएं! भेजें ये मनमोहक HD Images, WhatsApp Stickers, Greetings और Wallpapers

अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार, यह मार्च या अप्रैल में पड़ता है. ऐसा माना जाता है कि जो भक्त पापमोचनी एकादशी के दिन का व्रत रखते हैं, वे अपने पापों से मुक्त होते हैं और आगे एक शांतिपूर्ण और खुशहाल जीवन जीते हैं. आज पापमोचनी एकादशी है.

पापमोचनी एकादशी की पूजा विधान:

  • इस शुभ दिन पर भक्तों को जल्दी उठना चाहिए और उन्हें स्नान करना चाहिए.
  • इसके बाद भक्तों को मंदिर के सामने वेदी बनानी चाहिए.
  • वेदी को 7 वस्तुओं से बनाया जाना चाहिए जो हैं- उडद दाल, मूंग दाल, गेहूं, चना दाल, जौ, चावल और बाजरा.
  • इसके बाद, भक्तों को वेदी पर एक कलश रखना चाहिए और आपको 5 आम के पत्ते कलश में रखना चाहिए.
  • अब वेदी पर भगवान विष्णु की मूर्ति स्थापित करें.
  • भगवान विष्णु की मूर्ति के सामने अपनी प्रार्थना करें.
  • इसके बाद आरती करें.

पापमोचनी शब्द दो शब्दों से बना है जो हैं, पाप और मोचनी. पाप शब्द का अर्थ पाप है और मोचनी शब्द का अर्थ है छुटकारा. इन दो शब्दों का संयुक्त अर्थ पाप को हटाना है.

भगवान विष्णु को पालनकर्ता और पृथ्वी पर जीवन की रक्षा करने वाले के रूप में जाना जाता है. उन्होंने अधर्म को समाप्त कर मानवता को बचाने के लिए विभिन्न अवतार लिए. इसके इसलिए भक्त आनंदमय जीवन के लिए भगवान विष्णू का आशीर्वाद चाहते हैं. जीवन का अंतिम उद्देश्य मोक्ष प्राप्त करना है (जन्म, जीवन और मृत्यु के दुष्चक्र से मुक्ति). इसलिए, भक्त भगवान विष्णु की पूजा करते हैं और वैकुंठ में शरण की प्रार्थना करते हैं.