कोरोना वायरस (Corona Virus) की वजह से लागू लॉकडाउन के कारण पुजारी समेत चुनिंदा लोग ही कपाटोद्घाटन समारोह में उपस्थित रहे और आम तीर्थयात्री इसमें शामिल नहीं हो पाए. ग्यारहवें ज्योर्तिलिंग केदारनाथ (Kedarnath) भगवान के कपाट मेष लग्न, पुनर्वसु नक्षत्र में प्रातः 6:10 बजे विधि-विधान के साथ पूजा अर्चना के बाद खोले गए. इससे पहले, सवेरे तीन बजे से ही कपाट खुलने की प्रक्रिया शुरू हो गयी थी.
केदारनाथ धाम के मुख्य पुजारी रावल भीमाशंकर लिंग के उखीमठ में चौदह दिन की पृथक-वास अवधि में होने के कारण उनके प्रतिनिधि के तौर पर पुजारी शिवशंकर लिंग ने कपाट खुलने की संपूर्ण प्रक्रियाओं का निर्वहन किया. पुजारी शिवशंकर लिंग एवं वेदपाठी, मंदिर के दक्षिण द्वार पूजन के बाद मुख्य मंदिर परिसर में प्रविष्ट हुए.
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पुजारी शिवशंकर लिंग ने रुद्राभिषेक एवं जलाभिषेक पूजा संपन्न की. कपाट खुलने के पश्चात प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की ओर से रुद्राभिषेक पूजा की गई. गौरतलब है कि प्रधानमंत्री मोदी अकसर केदारनाथ धाम आते हैं. वर्ष 2013 में आई बाढ़ के बाद वहां चल रहे पुनर्निर्माण कार्यों का भी वह समय-समय पर वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से जायजा लेते रहते हैं.
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने भगवान केदारनाथ के कपाट खोले जाने पर सभी श्रद्धालुओं को बधाई देते हुए कामना की कि बाबा केदार सभी पर अपनी कृपा और स्नेह बनाये रखें.
मुख्यमंत्री ने कहा कि बाबा केदार के आशीर्वाद से कोरोना की इस वैश्विक महामारी को हराने में अवश्य ही कामयाबी मिलेगी. कोरोना वायरस के कारण इस बार आमजन दर्शन के लिए नहीं आ सके लेकिन हम सभी के मन में बाबा केदार के लिए अपार श्रद्धा है.
उत्तराखंड चारधाम देवस्थानम बोर्ड के मीडिया प्रभारी डॉ. हरीश गौड़ ने बताया कि कपाट खुलने के अवसर पर मंदिर को ऋषिकेश के एक दानदाता सतीश कालड़ा के सहयोग से भव्य रूप से 10 क्विंटल गेंदा, गुलाब एवं अन्य फूलों से सजाया गया. कोरोना संकट के चलते रुद्रप्रयाग जिले में स्थित मंदिर के कपाटोद्घाटन के अवसर पर केवल मुख्य पुजारी, मंदिर समिति के पदाधिकारी और प्रशासनिक अधिकारी ही मौजूद रहे और इस दौरान भौतिक दूरी सहित सभी प्रकार के नियमों का पालन किया गया.
अभी भी केदारनाथ में चार से छह फुट तक बर्फ देखी जा सकती है. वुड स्टोन कंपनी ने केदारनाथ में बर्फ के ग्लेशियरों को काटकर मंदिर तक पहुंचने का रास्ता बनाया है. बोर्ड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी रमन रविनाथ ने बताया कि कंपनी केदारनाथ पहुंच़ने के लिए बर्फ काटकर मार्च से ही मार्ग बनाने के काम में लगी थी. महामारी के कारण आम श्रद्धालुओं को कपाट खोले जाने के समारोह से दूर रखा गया. पिछले वर्षों की तरह कपाट खुलने के दौरान मौजूद रहने वाला सेना का बैंड भी इस बार नहीं था.
सरकारी परामर्श के तहत अभी चार धामों में यात्रा पर रोक है. अभी केवल कपाट खोले गए हैं ताकि पुजारी अपने स्तर पर नित्य पूजा-अर्चना संपन्न करा सकें. इससे पहले, 26 अप्रैल को अक्षय तृतीया पर उत्तरकाशी जिले में गंगोत्री और यमुनोत्री मंदिरों के कपाट खोल दिए गए थे. चमोली में बदरीनाथ धाम के कपाट 15 मई को खुलेंगे.
चारधाम नाम से प्रसिद्ध इन मंदिरों को सर्दियों में भीषण ठंड और भारी बर्फबारी के कारण हर साल अक्टूबर-नवंबर में बंद कर दिया जाता है और फिर अप्रैल-मई में दोबारा खोला जाता है.
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