'ईद' का आशय उत्सव और 'मिलाद' यानी जन्म अर्थात जन्मोत्सव. यहाँ ईद-ए-मिलाद का मतलब है, पैगंबर मोहम्मद साहब का जन्मोत्सव सेलिब्रेट करना है. इस्लाम धर्म के मानने वालों के लिए यह बेहद महत्वपूर्ण दिन होता है. यह दिन इस्लामी कैलेंडर के तीसरे महीने रबी-उल-अव्वल के 12वें दिन मनाया जाता है. यह भी पढ़े: Eid Milad 2021: मरकज़ी रुयते हिलाल कमेटी मस्जिद-ए-जामा मुंबई ने आज रबीउल अव्वल का चांद होने का फैसला किया है
ऐतिहासिक तथ्यों के मुताबिक, मोहम्मद साहब का जन्म सन् 570 में सऊदी अरब में हुआ था. इस्लाम के जानकारों की मानें तो मोहम्मद साहब का जन्म इस्लामी पंचांग के तीसरे महीने के 12वें दिन हुआ है. मुहम्मद साहब ने ही इस्लाम धर्म की स्थापना की, जो वस्तुतः अल्लाह की इबादत के लिए समर्पित था. सन् 632 में पैगंबर मोहम्मद साहब की मृत्यु के पश्चात, कई मुसलमानों ने अनौपचारिक उत्सवों के साथ उनके जीवन और उनकी शिक्षाओं को महत्व देते हुए मोहम्मद साहब के जन्मदिन का जश्न मनाना शुरू कर दिया था.
ईद-ए-मिलाद का महत्व
पैगंबर हजरत मोहम्मद साहब के जन्मदिन को दुनिया भर में ईद मिलाद उन-नबी या ईद-ए-मिलाद या मालविद के नाम से भी जाना जाता है. कहते हैं कि रबी-उल-अव्वल के 12वें दिन ही मोहम्मद साहब का निधन भी हुआ था.इस्लामी चंद्र कैलेंडर के अनुसार, भारत में रबी-उल-अव्वल का महीना 08 अक्टूबर 2021 से शुरू हुआ है, जबकि ईद मिलाद उन-नबी 19 अक्टूबर 2021 को मनाया जायेगा. इस दिन ईद मिलाद उन नबी की दावत का आयोजन किया जाता है. इसके साथ ही मोहम्मद साहब की याद में जुलूस इत्यादि का भी आयोजन किया जाता है. यद्यपि इस साल भी कोविड-19 की महामारी के कारण बड़े जुलूस या समारोह के आयोजन की संभावना कम ही लगती है.
कौन हैं हजरत मुहम्मद साहब?
मक्का में पैदा हुए पैगंबर मोहम्मद साहब का पूरा नाम मोहम्मद इब्न अब्दुल्लाह इब्न अब्दुल मत्तलिब था. पिता अब्दुल्लाह और माता का नाम अमिना बीबी था. इस्लामिक मतों के अनुसार हजरत साहब को 610ई. में मक्का स्थित हीरा नाम की गुफा में ज्ञान की प्राप्ति हुई थी. इसके बाद ही उन्होंने इस्लाम धर्म की पवित्र कुरान का उपदेश दिया था. हजरत मोहम्मद साहब ने अपने उपदेशों में बार-बार यह कहा था कि सबसे नेक इंसान वही है, जिसमें इंसानियत होती है. हजरत साहब ने अपने उपदेशों में यह भी माना था कि जो ज्ञान का आदर करता है, मेरा हृदय भी उन्हीं का सम्मान करता है.