Amarnath Yatra 2019: भगवान शिव (Lord Shiva) के भक्तों को बाबा बर्फानी (Baba Barfani) के दर्शन के लिए हर साल अमरनाथ यात्रा (Amarnath Yatra) का बहुत बेसब्री से इंतजार रहता है. इस साल 1 जुलाई से अमरनाथ यात्रा की शुरुआत हो चुकी है और हजारों भक्तों ने बाबा बर्फानी के दर्शन भी कर लिए हैं. बता दें कि अमरनाथ यात्रा का समापन 15 अगस्त को होगा. अमरनाथ की गुफा (Amarnath Cave) श्रीनगर से करीब 145 किलोमीटर दूर हिमालय की पर्वत श्रेणियों में स्थित है. यह 150 फीट ऊंची और 90 फीट लंबी है. भक्त दो रास्तों से होते हुए यहां पहुंच सकते हैं. पहला रास्ता पहलगाम से होकर जाता है जबकि दूसरा रास्ता सोनमर्ग बालटाल से होकर गुजरता है.
अमरनाथ यात्रा भारत के सबसे पवित्र धार्मिक यात्राओं में से एक है, जिसका शिव भक्तों को बेसब्री से इंतजार रहता है. अगर आप भी अमरनाथ यात्रा के लिए जा रहे हैं तो बाबा बर्फानी के दर्शन से पहले अमरनाथ गुफा से जुड़े ये रहस्य आपको जरूर जान लेने चाहिए.
अमरनाथ गुफा से जुड़े 10 रहस्य-
1- अमरनाथ गुफा में हिम शिवलिंग प्राकृतिक रुप से बर्फीली बूंदों से बनता है. कहा जाता है कि भगवान शिव ने इसी गुफा में माता पार्वती को अमरत्व का रहस्य बताया था, इसलिए इसका नाम अमरनाथ गुफा पड़ा. यह भी पढ़ें: 5,500 से ज्यादा तीर्थयात्री अमरनाथ यात्रा के लिए हुए रवाना, 33,694 यात्रियों ने बाबा बर्फानी के किए दर्शन
2- अमरनाथ गुफा में बाबा बर्फानी के अलावा माता सती का शक्तिपीठ भी स्थित है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, इस स्थान पर माता सती का कंठ गिरा था, इसलिए इसे 51 शक्तिपीठों में से एक माना जाता है.
3- आम जन धारणाओं के अनुसार, गुफा में कबूतर का एक जोड़ा रहता है, जिसे अमर बताया जाता है. कहा जाता है कि कबूतर का यह जोड़ा जिसे भी दिखाई देता है, स्वयं शिव-पार्वती उस भक्त को दर्शन देकर मोक्ष प्रदान करते हैं.
4- भगवान शिव का शिवलिंग बर्फीली बूंदों से निर्मित होता है, लेकिन आज तक इस पर रहस्य बरकरार है कि बर्फ का शिवलिंग बनने के लिए गुफा में पानी का स्रोत क्या है?
5- अमरनाथ गुफा में हिम से बने शिवलिंग का बर्फ बहुत ठोस होता है, जबकि हिमलिंग के आस-पास फैला हुआ बर्फ कच्चा और बहुत मुलायम होता है.
6- पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, इसी गुफा में भगवान शिव ने माता पार्वती को अमरत्व का रहस्य बताया था, क्योंकि इस रहस्य से अंजान होने के कारण देवी पार्वती का जन्म और मृत्यु का चक्र चलता रहा, जबकि शिव आज भी अमर हैं.
7- देवी पार्वती को इस गुफा में अमरत्व का रहस्य बताने से पहले भगवान शिव ने उन्हें बताया था कि माता पार्वती के अब तक जितने जन्म हुए हैं, उन्होंने उतने ही मुंड धारण किए हैं.
8- एक प्रचलित मान्यता के अनुसार, भेड़ चराने वाले एक मुस्लिम गडरिये को ऊपर पहाड़ पर एक साधु मिले, जिन्होंने उसे कोयले से भरी एक कांगडी भेंट की. जब गडरिया कांगडी लेकर घर पहुंचा तो उसने देखा कि उसमें सोना है, लेकिन जब वो दोबारा उस स्थान पर पहुंचा तो उसे साधु की बजाय यह गुफा दिखाई दी. यह भी पढ़ें: क्या है शिवलिंग? क्यों की जाती है इसकी अधूरी परिक्रमा! आइए जानें
9- कहा जाता है कि गुफा को देखने के बाद जब गडरिया उसके भीतर दाखिल हुआ तो उसे बर्फ से निर्मित सफेद शिवलिंग नजर आ रहा था. उसने इस अदभुत और अलौकिक घटना के बारे में गांव वालों को बताया और इस घटना के करीब तीन साल बाद अमरनाथ की पहली यात्रा शुरु हुई.
10- अमरनाथ गुफा को पुरातत्व विभाग वाले 5 हजार साल पुराना मानते हैं, जिसके मुताबिक यह गुफा महाभारत काल की है. जबकि हिमालय के प्राचीन पहाड़ों को लाखों वर्ष पुराना माना जाता है, ऐसे में यह सवाल उठना लाजमी है कि यह पांच हजार साल पुरानी कैसे हो सकती है?
पुराणों के अनुसार, अमरनाथ गुफा में स्थित बाबा बर्फानी के दर्शन करने से काशी में दर्शन से दस गुना, प्रयाग से सौ गुना और नैमिषारण्य से हजार गुना अधिक पुण्य प्राप्त होता है. इसके साथ ही कहा जाता है जो भी भक्त कैलाश की यात्रा पर जाता है उसे मोक्ष प्राप्त होता है.
नोट- इस लेख में दी गई तमाम जानकारियों को प्रचलित मान्यताओं के आधार पर सूचनात्मक उद्देश्य से लिखा गया है और यह लेखक की निजी राय है. इसकी वास्तविकता, सटीकता और विशिष्ट परिणाम की हम कोई गारंटी नहीं देते हैं. इसके बारे में हर व्यक्ति की सोच और राय अलग-अलग हो सकती है.