Pongal 2024: कब शुरू हो रहा है तमिलनाडु का महान पर्व पोंगल? जानें इसका महत्व एवं चार दिवसीय पोंगल की रोचक परंपराएं!
Pongal 2024

देश के लोकप्रिय एवं फसलों के प्रमुख पर्वों में एक है दक्षिण भारत में मनाया जाने वाला पोंगल. मकर संक्रांति से शुरू होने वाला पोंगल चार दिनों तक मनाया जाता है. सूर्य के उत्तरायण होने से अगले चार दिनों तक चलने वाले पोंगल का पौराणिक, प्रकृति एवं कृषि की दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण है. पोंगल के पहले दिन समस्त समस्त सृष्टि के संदर्भ में जीवन शक्ति के रूप में विख्यात सूर्य देव की इस दिन पूजा-अर्चना और दान-धर्म के कार्य किये जाते हैं. आइये जानते हैं, मुख्यतः तमिलनाडु में मनाये जाने वाले इस पर्व के महत्व, इतिहास, परंपरा एवं सेलिब्रेशन के बारे में विस्तार से...

पोंगलः शुभ मुहूर्त एवं तिथि

भोगी पोंगलः संक्रांति काल 02.54 PM (15 जनवरी 2024, सोमवार)

थाई पोंगलः 16 जनवरी 2024, मंगलवार

मट्टू पोंगलः 17 जनवरी 2024, बुधवार,

कन्नम पोंगलः 18 जनवरी 2024, गुरुवार,

क्यों मनाते हैं पोंगल पर्व

भारत एक कृषि प्रधान देश है. इसलिए यहां के अधिकांश पर्वों का संबंध प्रकृति से होता है. इन्हीं पर्वों में एक है पोंगल, यह सूर्य के उत्तरायण के समय मनाया जाता है, जिसका हिंदू धर्म में विशेष महत्व बताया गया है. पोंगल मूलतः फसलों की कटाई के समय धन्यवाद स्वरूप मनाया जाता है. इस दिन सूर्य देव एवं इंद्र देव को आभार जताते हुए इनसे बेहतर फसल देने के लिए प्रार्थना की जाती है. इस दिन दक्षिण भारत के लोग नई फसलों से उपजे चावल, गुड़ (गन्ना) और दूध से खीर बनाई जाती है. इसके अलावा कुछ विशेष प्रकार के नमकीन व्यंजन विशेष रूप से वेन पोंगल एवं अन्य व्यंजन बनाते हैं. ये सारे पकवान खुले आसमान के नीचे बनाया जाता है. ये व्यंजन भगवान सूर्य एवं इंद्र देव को समर्पित किया जाता है, इसके प्रसाद के रूप में घर के लोग इसका सेवन करते हैं. यह भी पढ़ें : Jija Mata Jayanti 2024: जीजामाता जिन्होंने शिवाजी को बनाया महान योद्धा! जानें जीजामाता के जीवन से जुड़े कुछ रोचक प्रसंग!

पोंगल से संबंधित पौराणिक कथा

हिंदू धर्म ग्रंथों के अनुसार, एक बार भगवान शिव ने अपने बसव (बैल) को आदेश दिया कि तुम पृथ्वी पर जाकर मानव को प्रतिदिन बदन पर तेल लगाकर स्नान के लिए कहो. बसव सोचा, अगर उसने पृथ्वीवासियों से ऐसा कहा तो उसे भी उन नियमों का पालन करना पड़ेगा. उसने पृथ्वीवासियों से कहा प्रतिदिन खाओ और माह में एक बार तेल लगाकर स्नान करो. पृथ्वी वासियों ने वैसा ही किया. यह जान शिवजी ने क्रोधित होकर बसव को श्राप दिया कि अब तुम्हें पृथ्वी पर रहकर खेत में हल चलाकर पृथ्वी वासियों को फसल उगाने में मदद करनी होगी. इसलिए पोंगल के दिन नई फसल काटने के बाद फसलों के साथ बैल की भी पूजा की जाती है.

चार दिवसीय पोंगल पर्व के रस्म-रिवाज

तमिलनाडु का सबसे बड़ा पर्व है पोंगल. हमेशा की तरह इस बार भी यह पर्व मकर संक्रांति से शुरू होकर चार दिनों (15 जनवरी से 18 जनवरी 2024) तक मनाया जाएगा.

भोगी पोंगल (15 जनवरी 2024) मकर संक्रांति के दिन मनाए जाने वाले पोंगल को भोग पोंगल कहते हैं, जो तमिल माह मार्गाजी का आखिरी दिन भी होता है. इस दिन लोग अपने पुराने एवं अवांछित घरेलू सामानों को जलाते हैं और नये उत्पाद खरीदते हैं.

थाई पोंगल (16 जनवरी 2024) पोंगल के दूसरे दिन को थाई पोंगल के नाम से जानते हैं. इस दिन सूर्यदेव की पूजा करने का विधान है. इस दिन सूर्यदेव को अच्छी फसल के लिए आभार प्रकट करते हुए नई फसलों से तैयार विशेष तरह की खीर बनाई जाती है. इसलिए इसे पोंगल खीर भी कहते हैं.

माट्टू पोंगल (17 जनवरी 2024) तीसरा दिन माट्टु पोंगल के नाम से मनाया जाता है. इस दिन कृषि संबंधित पशुओं जैसे गाय, बैल एवं सांड को सुबह-सवेरे सजाया जाता है, उनकी सींगों को रंगा जाता है. इसके पश्चात उनकी पूजा की जाती है, और उन्हें प्रसाद खिलाया जाता है, इसके बाद जलीकट्टू (बैलों की दौड़) का आयोजन किया जाता है. विजय बैल के मालिक को पुरस्कृत किया जाता है.

कन्या पोंगल (18 जनवरी 2024) इसे कन्नम पोंगल के नाम से भी जाना जाता है. इस दिन घर की साफ-सफाई कर पूरे घर को फूलों से सजाया जाता है. मुख्य द्वार पर रंगोली बनाने के साथ मुख्य द्वार के दरवाजे पर नारियल और आम के पत्तों से बने तोरण लगाये जाते हैं. इस दिन खुले में गन्ने को रखकर दूध, चावल, चीनी और घी से विभिन्न पकवान बनाकर सूर्यदेव को भोग लगाया जाता है.