Jija Mata Jayanti 2024: जीजामाता जिन्होंने शिवाजी को बनाया महान योद्धा! जानें जीजामाता के जीवन से जुड़े कुछ रोचक प्रसंग!
कहावत मशहूर है, ‘एक शेरनी ही शेर को जन्म देती है.’ भारत में ऐसी तमाम वीरांगनाएं हैं, जिन्होंने शेर-पुत्र को जन्म दिया. इसी में एक हैं जीजाबाई उर्फ जिजाऊ माता. जीजामाता ने शिवाजी को जन्म ही नहीं दिया, बल्कि उनके भीतर शौर्य एवं साहस का दीप प्रज्वलित किया. बालपन से शिवाजी को इस तरह गढ़ा कि 17 साल की कच्ची उम्र ही शिवाजी जंग की मैदान में कूद पड़े थे.
लाइफस्टाइल
Rajesh Srivastav|
Jan 10, 2024 03:20 PM IST
Jija Mata Jayanti
कहावत मशहूर है, ‘एक शेरनी ही शेर को जन्म देती है.’ भारत में ऐसी तमाम वीरांगनाएं हैं, जिन्होंने शेर-पुत्र को जन्म दिया. इसी में एक हैं जीजाबाई उर्फ जिजाऊ माता. जीजामाता ने शिवाजी को जन्म ही नहीं दिया, बल्कि उनके भीतर शौर्य एवं साहस का दीप प्रज्वलित किया. बालपन से शिवाजी को इस तरह गढ़ा कि 17 साल की कच्ची उम्र ही शिवाजी जंग की मैदान में कूद पड़े थे. शिवाजी बहुत साहसी योद्धा थे, हजारों मुगल सेना के खिलाफ मुटठी भर साथियों के साथ उन पर टूट पड़ते थे. जीते जी वह मुगलों एक भी युद्ध नहीं हारे थे. ऐसे शेर-पुत्र को जन्म देने वाली जीजा माता की 426 वीं जयंती (12 जनवरी 1598) पर आइये जानें, उनके जीवन के यादगार प्रसंग.
6 साल की उम्र में हुआ विवाह
जीजाबाई का जन्म 12 जनवरी 1598 ई. को सिंधखेड़, बुलढाणा (महाराष्ट्र) में हुआ. पिता लखुजी जाधव सिंदखेड गांव के राजा थे. पिता बचपन में उन्हें जिजाऊ के नाम से पुकारते थे. जीजाबाई जब मात्र 6 साल की थीं, उनकी शादी मोलाजी के पुत्र शाहजी भोसले से शादी कर गई. बड़े होने पर शाहजी बीजापुर दरबार में राजनयिक पद पर नियुक्त किये गये. बीजापुर के महाराजा ने शाहजी की मदद से कई युद्ध जीते थे, इस खुशी में महाराज ने उन्हें कई जागीरों के साथ शिवनेरी दुर्ग उपहार में दिया था. शाहजी अकसर युद्ध के सिलसिले में बाहर रहते थे, जीजाबाई ने शिवनेरी दुर्गा में 6 पुत्री और 2 पुत्रों संभाजी और शिवाजी को जन्म दिया. यह भी पढ़ें :
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जीजामाता के दिशा-निर्देश पर हिंदू साम्राज्य की स्थापना का संकल्प
जब शिवाजी का जन्म हुआ था, तब शाहजी मुस्तफा खां की कैद में थे. शिवाजी से शाहजी की मुलाकात 12 वर्ष बाद हुई थी. कहा जाता है कि उसी दौरान अफजल खां के साथ हुए एक युद्ध में शाहजी और संभाजी मारे गए थे. प्रथानुसार जीजाबाई ने सती होने का निर्णय लिया, लेकिन शिवाजी ने उन्हें सती होने से रोका, क्योंकि वह अपनी माँ को अपनी प्रेरणा स्रोत, मार्ग दर्शक एवं गुरु मानते थे. बेटे को शेर बनाने हेतु जीजामाता ने सती होने का इरादा रद्द कर शिवाजी को एक सशक्त योद्धा एवं चतुर राजनीतिज्ञ बनाने का फैसला किया. जीजामाता के दिशा निर्देश पर शिवाजी ने हिंदू साम्राज्य स्थापित करने का फैसला किया.
स्त्रियों के प्रति सम्मान की भावना शिवाजी को जीजामाता से मिली
एक प्रसंग के अनुसार जीजामाता अकसर अपने राज्य में स्थित मां भवानी के मंदिर जाती थीं. वह अकसर माँ भवानी से गुहार लगाती कि स्त्रियों की दुर्दशा उनसे देखी नहीं जाती, कोई उपाय बताएं. माँ भवानी उन्हें आशीर्वाद देते हुए कहती कि उनका पुत्र शिवाजी ही अबला महिलाओं की रक्षा करेंगे. माँ भवानी के प्रति जीजामाता की इस आस्था के कारण शिवाजी भी प्रतिदिन माँ भवानी के मंदिर जाते थे. ऐसा भी कहा जाता है कि शिवाजी के पास कई तलवारें थी, जिसमें से एक तलवार मां भवानी के नाम था. जिसे वह महिलाओं के सम्मान और सुरक्षा हेतु उठाते थे
जीजाबाई की मृत्यु!
दक्षिण भारत में अगर मराठा यानी हिंदुत्व की स्थापना का श्रेय जीजामाता को देना चाहिए तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगा, क्योंकि माँ की प्रेरणा और संस्कारों की वजह से ही शिवाजी ने मराठों के लिए हथियार उठाया. उनके इस अभियान से मुगल सम्राट भी थर्राते थे, क्योंकि उन्हें शक था कि अगर शिवाजी अपनी मकसद पर कामयाब हो गये तो भारत में मुगलों का अस्तित्व खतरे में पड़ जाएगा. अंततः जीजामाता की प्रेरणा से शिवाजी हिंदुत्व की स्थापना करने में सफल रहे. 17 जून 1674 को जब जीजामाता का देहांत हुआ, तब तक शिवाजी माँ के सपने को पूरा करने में सफल हो चुके थे.