सनातन धर्म में हर दिन का विशेष किसी ना किसी रूप में विशेष महत्व होता है. पौराणिक कथाओं के अनुसार वैशाख शुक्ल पक्ष की तृतीया के दिन परशुराम जयंती मनाई जाती है. विष्णु पुराण के अनुसार भगवान विष्णु ने छठे अवतार के रूप में परशुराम के रूप में जन्म लिया था, इसलिए इस दिन को बड़ी धूमधाम के साथ मनाया जाता है. मान्यता है कि इस दिन परशुराम की पूजा-अर्चना करने से अच्छी सेहत और दीर्घायु का वरदान प्राप्त होता है, और शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती है. अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार इस वर्ष 10 मई 2024, शुक्रवार के दिन परशुराम जयंती मनाई जाएगी. आइये जानते हैं परशुराम जयंती पर होने वाली पूजा विधि एवं शुभ मुहूर्त आदि के बारे में..
परशुराम जयंती मूल तिथि एवं पूजा का शुभ मुहूर्त!
शास्त्रों के अनुसार महर्षि परशुराम का जन्म वैशाख मास शुक्ल पक्ष की तृतीया यानी अक्षय तृतीया के दिन हुआ था.
वैशाख माह तृतीया प्रारंभः 04.16 AM (10 मई 2024)
वैशाख माह तृतीया समाप्तः 02.50 AM (11 मई 2024)
उदया तिथि के अनुसार महर्षि परशुराम की जयंती 10 मई को मनाई जायेगी.
पूजा का शुभ मुहूर्तः 07.14 AM से 08.56 AM तक रहेगा.
परशुराम जयंती पूजा विधि
अक्षय तृतीया के दिन सूर्योदय से पूर्व उठकर स्नान-ध्यान करें. पूजा स्थल की सफाई करें. घर के मंदिर में भगवान परशुराम की प्रतिमा स्थापित करें. अगर परशुराम की प्रतिमा अथवा तस्वीर नहीं उपलब्ध हो तो भगवान विष्णु की प्रतिमा रख सकते हैं. धूप दीप प्रज्वलित करने के पश्चात निम्न मंत्र का जाप करें. यह भी पढ़ें : Air India Express Flights Cancelled: एयर इंडिया एक्सप्रेस की थमी रफ़्तार, चालक दल के सदस्यों को एक साथ छुट्टी पर जाने से 80 से अधिक उड़ाने रद्द, यात्री परेशान
देवं नौमि रमापथिम रानापतुम बस्वथ किरीदंचिथम,
कोदंडं सासाराम करेण दधताथं वामेना चान्येन च,
अर्थ तृण पतुम कुतरमासथम् कंदच्चिदं भशुरम्,
स्मस्रु प्रस्फुरिथानां सुरथानुं रामं सदा शाश्वतम्
अब भगवान परशुराम की प्रतिमा को रोली और अक्षत का तिलक लगाएं. जल, अक्षत, चंदन, पुष्प, पान, सुपारी आदि अर्पित करें. भोग में परशुराम को खीर अथवा दूध से बनी मिठाई और फल चढ़ाएं. अगर आप किसी बड़ी समस्या से परेशान हैं तो सच्चे मन से भगवान परशुराम से अमुक समस्या का निवारण करने की प्रार्थना करें. पूजा के अंत में परशुराम जी की आरती उतारें, और भक्तों को प्रसाद वितरित करें.
परशुराम ने 21 बार नाश क्षत्रियों का नाश किया?
* वाल्मीकि रामायण के अनुसार, प्राचीनकाल में महिष्मति नामक एक विशाल राज्य के राजा थे कार्तवीर्य अर्जुन. उसकी एक हजार भुजाएं थीं, इसलिए उसे सहस्त्रबाहु अर्जुन भी कहते थे. वह पृथ्वी के सबसे पराक्रमी योद्धा थे. अर्जुन ने रावण को भी पराजित किया था.
* एक बार कार्तवीर्य अर्जुन युद्ध जीतकर महिष्मती जाते समय जमदग्रि मुनि के आश्रम पर रूके. जमदग्नि के पास कामधेनु गाय थी. कामधेनु की मदद से जमदग्नि मुनि ने पूरी सेना को भोजन कराया. कामधेनु की खूबी देखकर कार्तवीर्य अर्जुन ने पहले तो कामधेनु की मांग की, मुनि द्वारा मना करने पर वह कामधेनु को बलपूर्वक ले गये.
* यह बात जब परशुराम को पता चली तो उन्होंने कार्तवीर्य अर्जुन का वध कर दिया. यह बात जब कार्तवीर्य के पुत्रों को पता चला, तो उन्होंने जमदग्नि का वध कर दिया.
* पिता की मृत्यु के पश्चात परशुराम ने कार्तवीर्य अर्जुन के सभी पुत्रों का वध कर दिया, जिन-जिन छत्रिय राजाओं ने उनका साथ दिया, उन सभी छत्रियों का संहार कर डाला. समस्त छत्रियों को अपना दुश्मन मानते हुए उन्होंने 21 बार छत्रिय राजाओं पर आक्रमण कर उन्हे नेस्तनाबूद कर दिया.