देश के सम्मानित चिकित्सक एवं पश्चिम बंगाल के दूसरे मुख्यमंत्री डॉ बिधान चंद्र रॉय की जयंती और पुण्यतिथि के उपलक्ष्य में भारत में 1 जुलाई को राष्ट्रीय चिकित्सक दिवस मनाया जाता है. आइये जानें 1 जुलाई को इस दिवस विशेष को हम कब, कैसे और क्यों मनाते हैं, साथ ही जानेंगें इसका इतिहास एवं महत्व.
जब तक आप एक सुरक्षित ग्रह पर नहीं पहुंच जाते, हम सभी जानते हैं कि भारत ही नहीं बल्कि सारी दुनिया कोरोना की भयंकर महामारी की चपेट में है, जिसकी वजह से लाखों लोग अपनी जान गंवा चुके हैं. हांलाकि हमारे हेल्थ प्रोफेसनलों ने त्याग और समर्पण का प्रतीक बनकर करोड़ों लोगों की जान बचाने में सफल रहे हैं. कोरोना महामारी की कहर में श्मशान बन रहे अस्पतालों में जाने से बचने के लिए जहां हम घर पर ही आइसोलेट हो रहे हैं, हमारे डॉक्टर्स एवं उनके सहयोगी उसी दुर्भिक्ष हालात में कोरोना संक्रमितों की सांसों को बचाने के लिए अपनी जान तक दांव पर लगा रहे हैं.
जोखिम भरे माहौल में कर्तव्यों का निर्वहन
कोरोना काल में यह बात लोगों को अच्छी तरह समझ में आ गयी है कि डॉक्टर्स का जीवन कितना जोखिम भरा होता है. संक्रामक मरीज को स्वस्थ कर घर भेजने के लिए वे हर पल मरीज के इर्द-गिर्द रहकर उनकी सेवा करते हैं. कोरोना संक्रमितों के जीवन को बचाने के प्रयास में ना जाने कितने चिकित्सक अपनी जान गंवा चुके हैं. ऐसे में पहली जुलाई यानी डॉक्टर्स डे का महत्व बढ़ जाता है. यह एक अच्छा अवसर होगा, जब हम उनके योगदान की मुक्त कंठ से प्रशंसा कर उनकी हौसला आफजाई करें. महामारी के इस दौर में हमारे चिकित्सकों, नर्सों एवं अस्पताल से जुड़े अन्य सहकर्मियों को भारत सरकार ने ‘फ्रन्ट लाइऩ वैरियर’ का नाम देकर सम्मानित करने की जो पहल की, वह प्रशंसनीय है.
भारत में चिकित्सक दिवस कब है
कोलकाता (भारत) के एक सम्मानित चिकित्सक और पश्चिम बंगाल के दूसरे मुख्यमंत्री डॉ बिधान चंद्र रॉय का जन्म (1882) एवं निधन (1962) दोनों ही 1 जुलाई के दिन हुआ था. उनकी जयंती और पुण्यतिथि के उपलक्ष्य में ही भारत में पहली जुलाई के दिन राष्ट्रीय चिकित्सक दिवस के रूप में मनाया जाता है.
राष्ट्रीय डॉक्टर्स डे का सेलीब्रेशन
चिकित्सा क्षेत्र में डॉक्टर्स के योगदान को जन-जन तक पहुंचाने हेतु देश भर में सरकारी, गैर-सरकारी स्वास्थ्य संगठनों द्वारा तरह-तरह के कार्यक्रम आयोजित किये जाते हैं. विभिन्न मंचों पर स्वास्थ्य परीक्षण, उपचार, रोकथाम, रोग आदि की पहचान कर उचित इलाज पर चर्चा का आयोजन किया जाता है. वहीं कुछ जगहों पर डॉक्टर्स द्वारा चिकित्सा सेवाओं को प्रोत्साहित एवं मुफ्त मेडिकल सेवाओं को बढ़ाने के लिए परीक्षण कैंप लगाये जाते हैं. कुछ कैंप्स सीनियर सिटीजेन एवं गरीबों की सेहत, पोषण, बीमारी, जागरुकता आदि के लिए लगाये जाते हैं. उनके ब्लड सुगर, ईसीजी, ईईडी, ब्लड प्रेशर की जांच की जाती है. मेडिकल पेशे से लोगों को जोड़ने के लिए कॉलेज स्तर पर कई तरह की गतिविधियों का आयोजन किया जाता है. इस दिवस विशेष पर बधाई संदेश, बुके, ई कार्ड, अभिवादन कार्ड इत्यादि भेजे जाते हैं. अस्पतालों एवं क्लीनिकों में चिकित्सक को सम्मान किया जाता है.
इतिहास और महत्व
1882 में पटना बंगाल प्रेसीडेंसी, ब्रिटिश भारत में जन्में, डॉ बिधान चंद्र रॉय चिकित्सक, एक स्वतंत्रता सेनानी, एक शिक्षा विद् और एक राजनीतिज्ञ थे. देश के प्रति उनके समर्पण एवं सेवा भाव को देखते हुए 1991 में डॉक्टर्स डे मनाने का निर्णय लिया. गौरतलब है कि डॉ. बिधान चंद्र रॉय ने साल 1948 से 1962 यानी मृत्यु पर्यंत तक पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री के तौर पर कार्य किया था. काउंसिल ऑफ इंडिया (COI) और इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) प्रत्येक 1 जुलाई को राष्ट्रीय चिकित्सक दिवस के रूप में मनाता है. इस दिन देश की प्रगति में डॉक्टर्स की भूमिका को सराहने और स्वीकारने के लिए मनाया जाता है.