
राष्ट्र के शासन-प्रशासन में सिविल सेवकों के योगदान को मान्यता देने के लिए हर वर्ष 21 अप्रैल को देश भर में राष्ट्रीय सिविल सेवा दिवस मनाया जाता है. इस दिन का मुख्य उद्देश्य भारतीय सिविल सेवाओं के कर्मचारियों के योगदान को सम्मानित करना, उन्हें प्रोत्साहित करना तथा उन सिविल सेवकों को धन्यवाद देना है, जो देश के प्रशासन और विकास में अहम भूमिका निभाते हैं. यह दिवस उन लोगों के लिए भी महत्वपूर्ण अवसर है, जो वर्तमान में यूपीएससी परीक्षा की तैयारियां कर रहे हैं. राष्ट्रीय सिविल सेवा दिवस के अवसर पर आइये जानते हैं, इसके महत्व, इतिहास एवं भारत में सिविल सेवा के बारे में कुछ रोचक एवं महत्वपूर्ण तथ्य...
राष्ट्रीय सिविल सेवा दिवस का महत्व
इस दिवस के महत्व को निम्न बिंदुओं से समझा जा सकता है.
प्रशासनिक अधिकारियों का सम्मान: राष्ट्रीय सिविल सेवा दिवस उन अधिकारियों के कार्यों की सराहना का अवसर होता है जो ईमानदारी और निष्ठा के साथ देश की सेवा करते हैं. यह भी पढ़ें : World Voice Day 2025: कब और क्यों मनाया जाता है ‘विश्व आवाज दिवस’? जानें इसका इतिहास, महत्व, 2025 की थीम और सेलिब्रेशन!
प्रेरणा का स्रोत: सिविल सेवा में उत्कृष्ट कार्य करने वालों को सम्मानित किया जाता है, जिससे अन्य अधिकारी भी प्रेरित होते हैं और कालांतर में पुरस्कृत होते हैं.
नीतिगत शासन में सुधार: इस दिन प्रशासनिक सेवा के अंतर्गत विभिन्न चर्चाएं और विचार-विमर्श होते हैं, जिससे प्रशासनिक सुधारों को शक्ति मिलती है.
जनहित कार्यों की पहचान: यह उन पहलुओं को उजागर करने का अवसर होता है, जो आम लोगों के जीवन को बेहतर बनाती हैं.
इस दिवस का इतिहास
गौरतलब है कि ब्रिटिश हुकूमत से आजादी हासिल करने के बाद 21 अप्रैल 1947 को भारत सरकार के गृह मंत्री ने सरदार वल्लभभाई पटेल ने दिल्ली के मेटकॉफ हाउस में पहले अखिल भारतीय प्रशासनिक सेवा प्रशिक्षण विद्यालय को संबोधित किया था. अपने ऐतिहासिक भाषण में उन्होंने सिविल सेवाओं को की उपलब्धियों को बताते हुए इसे ‘भारत की स्टील फ्रेम’ (Steel Frame of India) का नाम दिया था. सरदार वल्लभ भाई पटेल के उसी भाषण की स्मृति में वर्ष 2006 से हर साल 21 अप्रैल का दिन 'राष्ट्रीय सिविल सेवा दिवस' के रूप में मना रही है.
राष्ट्रीय सिविल सेवा से जुड़े कुछ रोचक और प्रेरणादायक फैक्ट
* सरदार पटेल का योगदानः वल्लभभाई पटेल ने सिविल सेवा को देश का ‘स्टील फ्रेम’ कहा, और इसे देश को एकजुट के लिए आवश्यक माना.
* सबसे कठिन सेवाओं में एकः सिविल सेवा परीक्षा दुनिया की सबसे कठिन परीक्षाओं में एक है.
* राष्ट्रीय सिविल सेवा के तीन चरणः प्रीलिम्स, मेंस और अंत में साक्षात्कार
* हर वर्ष लाखों छात्र इस परीक्षा में शामिल होते हैं, मगर सफलता दर केवल 0.1 प्रतिशत से 0.2 प्रतिशत होती है.
* देश की पहली आईएएसः अन्ना राजम मल्होत्रा देश की पहली महिला आईएएस (1951 बैच) अधिकारी थी. उन्हें तमिलनाडु कैडर मिला और उन्होंने कई महत्वपूर्ण पदों पर कार्य किया.
* सर्वोच्च पदः आईएएस का सबसे ऊंचा पद कैबिनेट सचिव, जो भारत सरकार के सबसे वरीष्ठ नौकरशाह का होता है.