Lal Bahadur Shastri Punyatithi 2024: देश के 12 प्रधानमंत्री नहीं सुलझा सके लाल बहादुर शास्त्री की ‘मृत्यु रहस्य’ की गुत्थी! जानें शंका के कुछ महत्वपूर्ण फैक्ट!
Lal Bahadur Shastri Punyatithi 2024 ( img credit: file photo)

आजाद भारत के दूसरे प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की 11 जनवरी 1966 को ताशकंद में रहस्यमयी परिस्थितियों में मृत्यु हुई थी. छोटे कद मगर विशाल व्यक्तित्व वाले लाल बहादुर शास्त्री की मृत्यु को भले ही सामान्य मृत्यु घोषित किया गया हो, मगर कुछ सूत्र स्पष्ट करते हैं कि उनकी मृत्यु सामान्य नहीं थी, उनके परिजनों ने उनकी हत्या की बात कही थी. आज 58 साल बाद भी उनकी संदेहास्पद मृत्यु की गुत्थी सुलझी नहीं है. कुछ सूत्र बताते हैं कि उन्हें जहर दिया गया था, कुछ के अनुसार उनकी गर्दन पर जख्म पाया गया. शक की सुई इस बात पर भी घूमती है कि उनकी मृत्यु के पश्चात ना मृत्यु स्थल (ताशकंद) में और ना ही भारत में उनके शव का पोस्टमार्टम कराया गया. शास्त्रीजी की मृत्यु को लेकर राजनारायण कमीशन भी बिठाया गया, मगर उसकी रिपोर्ट भी सार्वजनिक नहीं की गई. शास्त्री जी के पश्चात 12 प्रधानमंत्रियों ने देश की बागडोर संभाली, मगर शास्त्रीजी की संदेहास्पद मृत्यु की किसी ने आधिकारिक जांच कराने की कोशिश नहीं की.

भारत की जीत के बीच क्यों आया अमेरिका और रूस

गौरतलब है कि आजाद भारत के दूसरे प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की मृत्यु 10 जनवरी 1966 की मध्य रात्रि को संदेहास्पद परिस्थितियों में हुई थी. इससे पहले वह पाकिस्तान के साथ 1965 की जंग को खत्म करने के मकसद से समझौता पत्र पर हस्ताक्षर करने ताशकंद गए थे. समझौता पत्र पर हस्ताक्षर करने के महज 12 घंटे बाद 11 जनवरी की मध्य रात्रि में 1.32 बजे अचानक मौत हो गई. बता दें कि पाकिस्तानी सेना के हमले के बाद शुरू हुए युद्ध में शास्त्री जी की प्रेरणा से भारतीय सेना लाहौर के करीब तक पहुंच गई थी, मगर तभी अमेरिका और रूस की मध्यस्थता के कारण भारत को युद्ध रोकना पड़ा था. यह भी पढ़ें : Swami Vivekanand Jayanti 2024: स्वामी विवेकानंद जयंती पर एक प्रभावशाली निबंध!

पत्नी, पुत्र और पौत्र की आशंका और शिकायत

शास्त्री जी की मृत्यु के संदर्भ में उनकी पत्नी ललिता शास्त्री ने दावा किया था कि उनके पति को जहर देकर मारा गया. शास्त्री जी के बेटे सुनील शास्त्री ने भी सवाल उठाया कि उनके पिता का शरीर नीला क्यों पड़ा अथवा उनके शरीर पर कुछ कट्स के निशान क्यों और कैसे हुए थे. उनके बड़े बेटे और पोते ने उनकी संदिग्ध मृत्यु के कारणों को जानने की मांग की मगर उसकी कोई सुनवाई नहीं हुई.

समझौते से खुश नहीं थे शास्त्री जी?

समझौते के बाद शास्त्री जी काफी परेशान थे, कुछ लोगों का कहना था कि शास्त्री जी कमरे परेशान हाल में टहलते देखा था, उनके करीबी कहते हैं कि वह समझौते से खुश नहीं थे. शास्त्री के साथ भारतीय डेलिगेशन के रूप में गए लोगों का भी मानना था कि उस रात वो बेहद असहज दिख रहे थे.

ताशकंद गये कुलदीप नैय्यर ने भी शक जताया था.

ताशकंद समझौते पर लाल बहादुर शास्त्री के साथ उनके सूचना अधिकारी कुलदीप नैय्यर भी थे, उन्होंने अपनी पुस्तक ‘बियॉंन्ड द लाइन’ लिखा, उस रात मैं सो रहा था, तभी एक रूसी महिला ने बताया कि आपके प्रधानमंत्री मर रहे हैं, मैं उनके कमरे में पहुंचा तो रूसी प्रधानमंत्री एलेक्सी कोसिगिन ने इशारे से बताया कि शास्त्री जी नहीं रहे. मैंने देखा, शास्त्रीजी का चप्पल कारपेट पर रखा हुआ है, जिसे पहना नहीं गया था. थर्मस फ्लास्क नीचे गिरा था, मानों उन्होंने इसे खोलने की कोशिश की हो. कमरे में घंटी नहीं थी कि जरूरत पड़ने पर किसी को बुला सकें. भारत के पीएम के ऐसे कक्ष की कल्पना कौन करेगा?

जांच अधिकारियों की संदेहास्पद मौत

एक और चौंकाने वाला तथ्य यह भी था कि भारत सरकार ने शास्त्रीजी की मौत पर जांच के लिए जिस जांच समिति का गठन किया था, उनके निजी डॉक्टर आरएन सिंह और निजी सहायक रामनाथ की अलग-अलग हादसों में मौत हो गई. ये दोनों लोग शास्त्रीजी के साथ ताशकंद दौरे पर गए थे. उन दोनों की मौत शास्त्री जी की हत्या की आशंका को पुख्ता करता है.