Lakshmi Panchami 2024: कब और क्यों मनाई जाती है लक्ष्मी पंचमी? जानें इस व्रत-पूजा का महत्व, मंत्र, मुहूर्त एवं पूजा विधि

हिंदू पंचांग के अनुसार प्रत्येक वर्ष चैत्र मास शुक्ल पक्ष की पंचमी को लक्ष्मी पंचमी के रूप में मनाया जाता है. इस वर्ष लक्ष्मी पंचमी 13 अप्रैल 2024, शनिवार को मनाया जाएगा. ज्योतिष शास्त्र में इस दिन का विशेष महात्म्य बताया गया है.

लक्ष्मी पूजन (Photo Credits: File Image)

हिंदू पंचांग के अनुसार प्रत्येक वर्ष चैत्र मास शुक्ल पक्ष की पंचमी को लक्ष्मी पंचमी के रूप में मनाया जाता है. इस वर्ष लक्ष्मी पंचमी 13 अप्रैल 2024, शनिवार को मनाया जाएगा. ज्योतिष शास्त्र में इस दिन का विशेष महात्म्य बताया गया है. धन और समृद्धि को समर्पित इस दिन लक्ष्मीजी का व्रत एवं पूजा करने से घर का आर्थिक संकट दूर होता है, धन आगम के नये स्त्रोत खुलते हैं और साल भर सुख, शांति और समृद्धि बनी रहती है. आइये जानते हैं इस दिन का महात्म्य क्या है, साथ ही जानेंगे लक्ष्मी पंचमी का शुभ मुहूर्त, पूजा-विधि इत्यादि के बारे में

लक्ष्मी पंचमी का महात्म्य

हिंदू पंचांग के अनुसार नव संवत्सर की पहली पंचमी होने के कारण लक्ष्मी पंचमी का विशेष महत्व होता है. इस तिथि को कल्पादि तिथि भी कहते हैं, क्योंकि इसका संबंध कल्प के आरंभ से है. इस दिन लक्ष्मी जी की विशेष कृपा पाने के लिए इस दिन भक्त व्रत रखते हैं और देवी लक्ष्मी की पूजा-अर्चना करते हैं. चूंकि इस बार चार विशेष शुभ मुहूर्त अभिजीत मूहूर्त, विजय मुहूर्त, लाभ मुहूर्त एवं अमृत मुहूर्त का योग बन रहा है, इसलिए लक्ष्मी उपासकों के लिए यह दिन विशेष रूप से शुभ माना जा रहा है. यह भी पढ़ें : Chaitriya Navratri Day-4: कौन हैं माँ कूष्माण्डा? जानें देवी कूष्माँडा की पूजा का महात्म्य, स्वरूप, मंत्र, पूजा-विधि एवं पौराणिक कथा!

लक्ष्मी पंचमी मूल तिथि

चैत्र शुक्ल पक्ष पंचमी प्रारंभः 01.10 PM से (12 अप्रैल 2024, शुक्रवार)

चैत्र शुक्ल पक्ष पंचमी समाप्तः 12.05 PM से (13 अप्रैल 2024, शनिवार)

लक्ष्मी पंचमी (13 अप्रैल 2024) पर बन रहे चार शुभ मुहूर्त

अभिजीत मुहूर्तः 11.56 AM से 12.47 PM तक

विजय मुहूर्तः 02.30 PM 11.56 AM से 03.21 PM

लाभ मुहूर्तः 11.15 AM से 12.06 PM तक

अमृत मुहूर्तः 12.06 PM से 01.00 PM तक

व्रत एवं पूजा के नियम

चैत्र शुक्ल पक्ष पंचमी को सूर्योदय से पूर्व स्नान-ध्यान कर स्वच्छ वस्त्र पहनें. लक्ष्मीजी का ध्यान कर व्रत-पूजा का संकल्प लें. मंदिर के समीप एक स्वच्छ पाटला रखकर इस पर लाल वस्त्र बिछाएं. यहां गंगाजल छिड़कें. पाटला पर स्वास्तिक का चिह्न बनाएं. देवी लक्ष्मी का पंचामृत और गंगाजल से स्नान कराकर पाटला पर स्थापित करें. लाल चुनरी ओढ़ाएं धूप-दीप प्रज्वलित करें. अब लक्ष्मी जी का आह्वान मंत्र पढ़ें.

पद्‍मानने पद्‍मिनी पद्‍मपत्रे पद्‍मप्रिये पद्‍मदलायताक्षि

विश्वप्रिये विश्वमनोनुकूले त्वत्पादपद्‍मं मयि सन्निधस्त्व।।

लक्ष्मीजी को पुष्पहार अर्पित करें. अब लाल कमल या लाल गुड़हल का पुष्प, अक्षत, तुलसी, सुपारी, इत्र, पान और लाल चंदन अर्पित करें. लक्ष्मीजी का प्रिय भोग खीर अथवा दूध की मिठाई चढ़ाएं, निम्न मंत्र का उच्चारण करें.

ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद।

श्रीं ह्रीं श्रीं ॐ महालक्ष्मी नमः॥

अब लक्ष्मीजी की आरती उतारें, इच्छित मनोकामना पूर्ति की प्रार्थना करें. भक्तों को प्रसाद वितरित करें.

Share Now

\