Jaipur Foundation Day 2023: विश्व का पहला सुनियोजित शहर जयपुर हुआ 296 बरस का! क्रमशः निखरते इस शहर के विकास की क्रमवार कहानी!

भारत के सबसे बड़े राज्य (क्षेत्रफल बेस्ड) राजस्थान की राजधानी जयपुर संस्कृति, विरासत, भव्यता और राजशाही का आदर्श मिश्रण है, जो हर पर्यटक को एक नई तस्वीर प्रस्तुत करता है. पिंक सिटी के नाम से मशहूर, तीन ओर से अरावली पर्वत श्रृंखलाओं से घिरा जयपुर आज 296 वीं वर्षगांठ मना रहा है.

Jaipur Foundation Day 2023

भारत के सबसे बड़े राज्य (क्षेत्रफल बेस्ड) राजस्थान की राजधानी जयपुर संस्कृति, विरासत, भव्यता और राजशाही का आदर्श मिश्रण है, जो हर पर्यटक को एक नई तस्वीर प्रस्तुत करता है. पिंक सिटी के नाम से मशहूर, तीन ओर से अरावली पर्वत श्रृंखलाओं से घिरा जयपुर आज 296 वीं वर्षगांठ मना रहा है. अपने भीतर हेरिटेज, वास्तु कला, परंपरा और ऐतिहासिक विरासत को संजोने वाला यह महानगर कला नगरी और सांस्कृतिक राजधानी आदि के नाम से भी जाना जाता है. यहां की धरोहरों आमेर का किला, नाहरगढ़ का किला, हवा महल, शीश महल, गणेश पोल और जल महल की अपनी कहानी और अपनी पहचान है. आइये जानते हैं, इस गुलाबी शहर के बारे में कुछ अचंभित और गौरवान्वित करने वाले प्रमुख तथ्यों पर...

क्या है जयपुर का इतिहास

जयपुर की स्थापना 18 नवंबर 1727 को कछवाहा वंश के महाराज सवाई जयसिंह द्वितीय ने की थी. वह अपनी इस राजधानी का विस्तार समतल मैदानी भाग में करना चाहते थे. इस खूबसूरत शहर की स्थापना में बंगाल के वास्तुकार विद्याधर भट्टाचार्य की अहम भूमिका थी. यह देश का पहला शहर था, जिसका निर्माण वास्तु शास्त्र के अनुसार किया गया था. बताया जाता है कि उनके सुझाव पर विद्याधर ने जयपुर के निर्माण में 9 अंक का विशेष ध्यान रखा. उनके अनुसार 9 का अंक नवग्रहों का प्रतीक माना जाता है. इस शहर की मूल पहचान यहां के वे तमाम अनमोल धरोहर हैं, जिनके निर्माण में गुलाबी ढोलपुरी पत्थरों का विशेष रूप से प्रयोग किया गया है. उनके जयपुर की स्थापना नाम पर बने शहर का नाम सवाई जैपुर रखा गया. धीरे-धरे इसका नाम बोलचाल में आसानी के लिए जयपुर हो गया. यह शहर अपने बनाव श्रृंगार के अनुरूप 18वीं शताब्दी की याद दिलाता है. यह भी पढ़ें : Vinayaka Chaturthi 2023: आज 5 योगों के संयोग में विनायक चतुर्थी की पूजा से मिटेंगे सारे विघ्न! जानें मुहूर्त एवं पूजा-विधि!

दुनिया का पहला सुनियोजित शहर

हमारी विरासत का जीवंत उदाहरण और विश्व का पहला सुनियोजित एवं वास्तु अनुरूप बसाया गया शहर है जयपुर. बताया जाता है कि इस शहर को बसाने से पूर्व आर्किटेक्चर विद्याधर चक्रवर्ती ने नक्शा तैयार किया शहर को बसाने की रूपरेखा तैयार किया. सूत्रों की मानें तो सवाई जयसिंह द्वितीय खगोलशास्त्री भी थे. आज अगर जयपुर को ज्योतिष और संस्कृति की नगरी कहा जाता है तो इसके पीछे जयसिंह की अहम भूमिका रही है.

150 साल पहले कर ली गई थी कल्पना

जयपुर के निर्माण एवं निवास योग्य बनाने में भले ही सवाई जयसिंह द्वितीय की अहम भूमिका रही हो, लेकिन जयपुर के निर्माण की कल्पना उनसे भी लगभग डेढ़ सौ पहले राजा मानसिंह प्रथम ने कर ली थी. उनके नेतृत्व में 9 वर्ग मील के क्षेत्र में नवग्रहों के अनुरूप नौ चौकड़ियां बनाई गई थी. अष्ट सिद्धि एवं नौ निधि को साकार करने के लिए दो चौकड़ियों को मिलाकर चौकड़ी शरद बनाई गई.

समय के साथ बदलती पिंक सिटी

धरोहरों का शहर जयपुर पिंक सिटी के नाम से भी मशहूर है. राजा मानसिंह और सवाई जयसिंह की कल्पना को और स्वर्णिम बनाया राम सिंह ने. जी हां साल 1875 में सवाई रामसिंह ने संपूर्ण जयपुर को गुलाबी रंग में रंगने का आदेश दिया. उसी समय से यह पिंक सिटी के नाम से जाना जाने लगा. साल 1942 में महाराजा सवाई मानसिंह द्वितीय ने तत्कालीन प्रधान मंत्री सर मिर्जा इस्माइल ने जयपुर को और बेहतर बनाने की इच्छा शक्ति से इसे आधुनिक रूप दिया. टीन शेड हटाकर बरामदे बनवाए और बाजार को एक शैली दिया गया. पानी की आपूर्ति के लिए नये स्त्रोत तैयार करवाए. नया पावर हाउस बनवाया, इसके बाद जयपुर की जनता को बिजली प्राप्त हुई.

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