International Women's Day 2019: मेघालय में आज भी चलता है महिलाओं का राज, यहां की नारी नहीं है किसी की मोहताज
मेघालय राज्य में खासी जन-जाति का प्रभाव देखने को मिलता है. यह जनजाति आज भी महिला प्रधान है. यहां हर घर-परिवार की मुखिया महिला होती है. परिवार के वंश का नाम महिला के नाम के साथ आगे बढ़ता है.
International Women's Day 2019: स्त्री-समानता की बात भले ही हम हर मंच से करें, लेकिन यह कड़वा सच है कि हमारे देश में लड़कियों की स्थिति आज भी अच्छी नहीं है. आए दिन खबरों में लड़कियों और महिलाओं पर दैहिक एवं मानसिक शोषण की शिकायतें देखी-सुनी अथवा पढ़ी जा सकती हैं. देश के कई प्रदेशों में लड़कियों की संख्या में निरंतर कम हो रही है. लेकिन इसके विपरीत इसी देश का एक प्रदेश मेघालय का कल्चर इसके एकदम विपरीत है. हालिया सर्वे के मुताबिक, मेघालय में लिंग अनुपात एक हजार महिलाओं पर एक हजार पुरुष है. यह भारत के लिए आदर्श कहा जा सकता है.
मेघालय में मातृसत्तात्मक समाज है. इस प्रदेश में महिलाएं हों या लड़कियां, वो कहीं भी बेखौफ आ जा सकती हैं. यहां जब किसी घर में बेटी पैदा होती है तो घर में खुशियां मनायी जाती हैं, जिसमें पूरा समाज शामिल होता है. एक सप्ताह तक उत्सव जैसा माहौल रहता है. यहां महिलाओं को विशेष दर्जा प्राप्त है.
मेघालय पर मेहरबान प्रकृति
भौगोलिक दृष्टिकोण से मेघालय तीन पहाड़ियों गोरा, खासी और जयंतियां की संस्कृति से मिलकर बना एक बेहद खूबसूरत राज्य है. यहां रहने वाली प्रमुख जातियां भी इन्हीं नामों से लोकप्रिय हैं. यहां की अधिकांश जनजातियों ने ईसाई धर्म अपनाया हुआ है, या यूं कह लें कि ईसाई मिशनरियों ने सभी जनजातियों को धन-जन प्रभाव से ईसाई बना लिया है. इसलिए यहां कदम-कदम पर चर्च नजर आते हैं. इनके रहन-सहन, खान-पान, बात-व्यवहार में आधुनिकता का प्रभाव स्पष्ट दिखता है. अलबत्ता इनकी परंपराएं एवं रीति-रिवाज, आज भी काफी प्राचीन हैं. यह भी पढ़ें: International Women’s Day 2019: ज्यादातर महिलाओं को नहीं पता संविधान में उन्हें मिले हैं ये सभी अधिकार
महिला होती है मुखिया
मेघालय राज्य में खासी जन-जाति का प्रभाव देखने को मिलता है. यह जनजाति आज भी महिला प्रधान है. यहां हर घर-परिवार की मुखिया महिला होती है. परिवार के वंश का नाम महिला के नाम के साथ आगे बढ़ता है. जन्म लेने वाले हर शिशु को मां का नाम मिलता है. स्कूल, कॉलेज अथवा नौकरियों में संतान के साथ मां का नाम लगाना अनिवार्य होता है.
विवाह पश्चात पति छोड़ता है घर
मेघालय राज्य में विवाह के पश्चात लड़की को नहीं लड़के को घर छोड़ना पड़ता है. यहां वधु बारात लेकर आती हैं और विवाह सम्पन्न होने के बाद वर वधु के साथ उसके घर आ जाता है. पति को पत्नी के घर के सारे नियम कायदे, तीज-त्यौहार, संस्कृति और परंपराएं आदि अपनाने पड़ते हैं. पति को अपने माता-पिता के घर जाने के लिए पत्नी के माता-पिता से परमिशन लेना पड़ता है. यह भी पढ़ें: International Women's Day 2019: नारी सशक्तिकरण का संदेश देता है अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस, बेहद खास है इस साल की थीम
लड़की अपनी मर्जी से करती है शादी
देश के कई हिस्सों में अगर लड़की-लड़का अपनी मर्जी से शादी करते हैं तो माता-पिता न केवल नाराजगी जताते हैं बल्कि कहीं-कहीं तो अपनी आन-बान के लिए अपने बच्चों की हत्या तक करने में संकोच नहीं करते. मेघालय की संस्कृति इसके विपरीत है. यहां कोई भी माता-पिता बेटी की इच्छा के विपरीत उसकी शादी नहीं कर सकते. लड़कियां अपनी मर्जी से वर पसंद करती हैं और फिर उससे शादी करती हैं. इसे यूं भी कह सकते हैं कि यहां परंपरागत विवाह के बजाय प्रेम विवाह ज्यादा होते हैं तो गलत नहीं होगा.
पति को घर के काम-काज आने चाहिए
विवाहोपरांत वर को घर का सारा कामकाज संभालना होता है. बच्चे पैदा होने के बाद पत्नी के बजाय पति को ही बच्चे का लालन-पालन देखना होता है. यही वजह है कि मेघालय के अधिकांश व्यवसाय, अथवा दफ्तर आदि में लड़कियों की भागीदारी ज्यादा होती है. शादी से पूर्व भावी वर से सारी बातें तय कर ली जाती हैं. अगर पति किसी वजह से परिवार संभालने में अक्षम होता है तो उसे घर का परित्याग करना अनिवार्य होता है. अगर पति नशा करता है और पत्नी उसकी इस आदत को पसंद नहीं करती, तो ऐसी स्थिति में पत्नी को हक होता है कि वह पति को घर के बाहर का रास्ता दिखाए. यह भी पढ़ें: International Women's Day 2019: जानिए 8 मार्च को क्यों मनाया जाता है वुमंस डे, कैसे हुई इसकी शुरुआत
बिन ब्याह मां बनना अपराध नहीं यहां
यदि कोई बलात्कार की शिकार लड़की बच्चे को जन्म देती है, तो उसे नाजायज नहीं माना जाता. इसके अलावा बिना शादी किए मां बनना भी अपराध के दायरे में नहीं आता. परिवार के लोग ऐसे बच्चे को भगवान का रूप मानकर उसे स्वीकारते हैं और उसकी परवरिश करते हैं. शायद यही वजह है कि यहां महिलाओं पर पुरुष ज्यादती की घटनाएं इक्का-दुक्का पाई जाती हैं, क्योंकि इसके लिए कठोर सजा का प्रावधान है. काश मेघालय जैसी स्थिति संपूर्ण भारत की होती, ताकि हर लड़की पूरी आजादी और निश्चिंतता के साथ जीवन व्यतीत कर सकतीं.