लगातार कमजोर क्यों हो रहा है भारतीय युवाओं का दिल, बढ़ रही है Heart Attack की समस्या
बदलती जीवनशैली, और खुद के लिए वक्त नहीं निकाल पाने का असर सेहत पर पड़ता है. कुछ बीमारियां एक उम्र के बाद लग सकती हैं, लेकिन हालिया वर्षों में कुछ बीमारियों ने युवाओं को भी चपेट में लेना शुरु कर दिया है, जिसमें प्रमुख है हार्ट अटैक. युवाओं में हार्ट अटैक के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं. आइये जानें युवाओं में बढ़ते हार्ट अटैक के संबंध में महत्वपूर्ण जानकारी.
Heart Attack Problem in Youth: बदलती जीवनशैली, और खुद के लिए वक्त नहीं निकाल पाने का असर सेहत पर पड़ता है. कुछ बीमारियां एक उम्र के बाद लग सकती हैं, लेकिन हालिया वर्षों में कुछ बीमारियों ने युवाओं को भी चपेट में लेना शुरु कर दिया है, जिसमें प्रमुख है हार्ट अटैक (Heart Attack). एक शोध के रिपोर्ट में पाया गया कि युवाओं में हार्ट अटैक के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं. यूं तो हार्ट अटैक का खतरा किसी को भी हो सकता है, लेकिन युवाओं में हार्ट अटैक की घटनाएं अपेक्षाकृत ज्यादा देखी जा रही हैं. इस संदर्भ में जब ह्रदय रोग विशेषज्ञा डॉ अमेना मलिक (Dr. Ameena Malik) से बात हुई तो तमाम चौंकाने वाले खुलासे सामने आये. आइये जानें युवाओं में बढ़ते हार्ट अटैक के संबंध में महत्वपूर्ण जानकारी.
युवा हमारे देश के आधार स्तंभ हैं, इन्हीं पर देश का भविष्य टिका है, इसलिए युवाओं के सेहत संबंधी मुद्दों पर ध्यान देने की सख्त जरूरत है. डॉ. अमेना के अनुसार युवाओं में हार्ट अटैक की बढ़ती घटनाओं के लिए उनकी अति व्यस्ततम लाइफ स्टाइल जिम्मेदार है. उनके पास खुद के लिए वक्त नहीं होता, नियमित व्यायाम में कमी, जंक फूड का जरूरत से ज्यादा सेवन, धूम्रपान एवं मद्यपान, वर्क फ्रॉम होम (Work From Home) का प्रचलन, टेंशन इत्यादि उसके लिए ह्रदयाघात का कारण बन सकती है.
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वर्क फ्रॉम होम से भी है खतराः
कोरोना महामारी से वर्क फ्रॉम होम का नया प्रचलन शुरु हुआ है. डॉ आमेन कहती हैं, वर्क फ्रॉम होम के कारण युवाओं को घंटों एक ही जगह बैठकर काम करना होता है. यह सेहत के लिए अच्छा नहीं है. कुछ शोधों से इस बात की पुष्टि भी हुई है कि डेस्क वर्क सेहत को कई तरह से प्रभावित करती है. इसमें एक है मोटापा. मोटापा कई बीमारियों की जड़ी हो सकती है. मसलन हाइपरटेंशन, डायबिटीज, कॉलेस्ट्रॉल और ऑस्टियोपोरोसिस इत्यादि. ये ह्रदय रोग को जन्म दे सकते हैं. इसलिए वर्क फ्रॉम होम की स्थिति में जरूरी है कि काम के बीच-बीच में ब्रेक लिया जाये, भले ही ब्रेक कुछ मिनटों का ही हो.
नशाः
युवाओं में धूम्रपान, मद्यपान एवं ड्रग्स की लत लगातार बढ़ती जा रही है. डॉ. आमेन के अनुसार किसी भी चीज की लत शरीर के लिए हानिकारक होती है. शराब अथवा धूम्रपान की आदत हार्ट अटैक के साथ-साथ कैंसर को भी आमंत्रण देती है. धूम्रपान एवं गलत-खानपान से कॉलेस्ट्रोल का स्तर बढ़ जाता है, जिससे दिल की धड़कन 50 प्रतिशत बढ़ जाती है और रक्तचाप 30 प्रतिशत बढ़ जाता है, जिसकी वजह से एक सामान्य और प्रत्यक्ष रूप से स्वस्थ दिख रहा व्यक्ति भी हार्ट अटैक का शिकार बन सकता है. इससे तत्काल निजात पाना ही इसका इलाज है.
जंक फूड:
आज के अधिकांश युवा जंक फूड पसंद करते हैं. जंक फूड जैसा कि नाम से ही पता चलता है कि इसका सेवन कितना बुरा और अस्वास्थ्यकर हो सकता है. सही मायने में कहा जाए तो जंक फूड शरीर के लिए किसी जहर से कम नहीं है. इस तरह के खाद्य पदार्थों में शर्करा, कैलोरी और कोलेस्ट्रॉल की मात्रा अधिक होती है, जो सेहत के लिए प्रत्यक्ष रूप से जहर का काम करती है. हैरानी की बात यह है कि जंक फूड शरीर को कोई पोषण नहीं देता है. जंक फूड के खिलाफ प्रशासनिक स्तर पर प्रतिबंध लगना चाहिए.
स्ट्रेस यानी तनावः
डॉ. अमेना मलिक के अनुसार युवाओं में हाइपरटेंशन होने की सबसे बड़ी वजह स्ट्रेस है. कंपटीशन, राइवलरी, ज्यादा काम, ग्रोथ की भागमभाग, दबाव आदि चीजों के चलते तनाव हो रहा है. अकसर देखने में आता है कि कार्पोरेट कल्चर में काम करने वाले युवाओं के पास व्यायाम के लिए समय नहीं होता. समय से पहले ऑफिस पहुंचने की जल्दी के कारण अकसर युवा वर्ग घर का खाना नहीं खा पाते हैं. बाहर के खाने में ज्यादा नमक और तेल होता है, जो बहुत खतरनाक है. इसके साथ-साथ अधिक प्रदूषण और ग्लोबल वार्मिंग की वजह से ठंड बढ़ने से भी हाइपरटेंशन के केस बढ़ रहे हैं. बेहतर होगा कि तमाम तनावों से दूर रहते हुए संयम की जिंदगी जियें और संतुलित तथा संयमित भोजन करें और नियमित व्यायाम अथवा योगा करें.