दिल्ली में प्लाज्मा थेरेपी (Plasma Therapy) से कोरोना वायरस (Coronavirus) के चार मरीजों का इलाज चल रहा है. सीएम अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) के अनुसार फिलहाल दो मरीजों की स्थिति में सुधार देखने को मिला है. मुख्यमंत्री केजरीवाल ने कहा प्लाज्मा थेरेपी के नतीजे उत्साहजनक हैं. ऐसे में अब दिल्ली सरकार बाकी सीरियस मरीजों में प्लाज्मा थेरेपी का इस्तेमाल करना चाहती है. जिसके लिए अभी केंद्र सरकार से मंजूरी का इंतजार किया जा रहा है. अमेरिका, चीन, स्पेन, तुर्की, दक्षिण कोरिया, इटली, यूनाइटेड किंगडम, कुछ अन्य ऐसे देश हैं जो कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ाई में प्लाज्मा थेरेपी के उपयोग का विश्लेषण कर रहे हैं.
आपके मन में भी सवाल होगा कि ये प्लाज्मा थेरेपी है क्या और इसके जरिए कैसे मरीजों को ठीक किया जा सकता है. यहां हम आपको बताते प्लाज्मा थेरेपी के बारे में सब कुछ. दरअसल, प्लाज्मा थेरेपी में कोरोना से ठीक हो चुके मरीज के शरीर से प्लाज्मा लिया जाता है. यह प्लाज्मा उनके खून में बनता है. इसकी मदद से एक से दो मरीजों को ठीक किया जा सकता है.
क्या है प्लाज्मा थेरेपी?
प्लाज्मा थेरेपी में कोरोना संक्रमण से ठीक हो चुके व्यक्तियों के खून से प्लाज्मा निकालकर दूसरे कोरोना वायरस संक्रमित रोगी को चढ़ाया जाता है. दरअसल संक्रमण से ठीक हुए व्यक्ति के शरीर में उस वायरस के खिलाफ प्रतिरोधक क्षमता बन जाती है और 3 हफ्ते बाद उसे प्लाज्मा के रूप में किसी संक्रमित व्यक्ति को दिया जा सकता है ताकि उसके शरीर में प्रतिरोधक क्षमता बढ़ने लगे. यह भी पढ़ें- कोरोनो वायरस से बचने के लिए फलों और सब्जियों को साबुन या डिटर्जेंट से धो रहे हैं तो हो जाएं सावधान, यहां जानें सही तरीका.
दरअसल स्वस्थ हो चुके मरीज के शरीर में एंटीबॉडी बन जाती है जो उस वायरस से लड़ने के लिए होती है. एंटीबॉडी ऐसे प्रोटीन होते हैं जो इस वायरस को खत्म कर सकते हैं. ऐसे में एंटीबॉडी अगर प्लाज्मा के जरिए किसी मरीज को चढ़ाएं तो वह एंटीबॉडी संक्रमित मरीज के शरीर में मौजूद वायरस को मार सकती है.
पहले भी कई बीमारियों में हो चुका है प्लाज्मा थेरेपी से ट्रीटमेंट-
प्लाज्मा थेरेपी कोई नई थेरेपी नहीं है. डॉक्टरों का मानना है की ये एक प्रॉमिनेंट थेरेपी है जिसका फायदा भी हुआ और कई वायरल संक्रमण में इसका इस्तेमाल भी हुआ है. प्लाज्मा थेरेपी 1918 स्पैनिश फ्लू महामारी, इबोला महामारी और सार्स के खिलाफ लड़ाई में एक बेहतरीन ट्रीटमेंट बन कर उभरी थी. खसरा और बैक्टीरिया निमोनिया जैसे स्वास्थ्य समस्याओं के लिए भी प्लाज्मा थेरेपी को उपचार पद्धति के रूप में सफलतापूर्वक उपयोग किया गया है. वर्तमान में, COVID-19 के खिलाफ इसके उपयोग के लिए उम्मीदें अधिक हैं.
क्या प्लाज्मा थेरेपी कोरोनोवायरस के खिलाफ एक सफल उपचार विधि हो सकती है?
इस बात का फिलहाल कोई सबूत नहीं है जो कहता है कि प्लाज्मा थेरेपी COVID-19 के खिलाफ काम करेगी. हालांकि, यह पहले भारत और अमेरिका जैसे देशों में कई संक्रामक रोगों के लिए काम कर चुका है, इसलिए यह देखने के लिए काम किया जा रहा है कि क्या यह कोरोनो वायरस फैलने से रोक सकता है. हालांकि, यह याद रखना महत्वपूर्ण है कि कॉन्विसेंट प्लाज्मा COVID-19 रोगियों के इलाज के लिए अपने प्रायोगिक स्तर पर है.
क्या आप प्लाज्मा डोनेट कर सकते हैं?
हर कोई प्लाज्मा डोनेट नहीं कर सकता, केवल वे लोग जो पहले कोरोनो वायरस के लिए पॉजिटिव पाए गए थे और फिर पूरी तरह से COVID -19 से ठीक हो चुके हैं, वही लोग प्लाज्मा को ट्रीटमेंट के लिए डोनेट कर सकते हैं. उनके प्लाज्मा में एंटीबॉडी होने चाहिए जो वायरस पर हमला कर सकते हैं. यह केवल एक स्वास्थ्य विशेषज्ञ ही यह तय कर सकता है. यदि आप प्लाज्मा डोनेट करने के लिए योग्य हैं, तो यह प्रक्रिया केवल रक्त दान करने की तरह होगी और एक छोटे उपकरण का उपयोग इसके लिए किया जाएगा जो कि प्लाज्मा को निकालता है, साथ ही साथ लाल रक्त कोशिकाओं को उनके शरीर में लौटाता है.
गुरुवार को, एम्स के निदेशक रणदीप गुलेरिया ने बताया कि देश में विभिन्न केंद्रों पर COVID-19 रोगी के इलाज के लिए कॉन्वेलसेंट प्लाज्मा थेरेपी का उपयोग शुरू हो गया है. उन्होंने कहा, "विभिन्न केंद्रों पर, हमने अब कॉन्वेलसेंट प्लाज्मा का उपयोग करना शुरू कर दिया है. बड़ी संख्या में मरीज जो ठीक हो गए हैं, इसके लिए आगे आए हैं और स्वेच्छा से अपना रक्त दान करने के लिए तैयार हैं."