एचआईवी/एड्स आज भी एक लाइलाज बीमारी है, लेकिन एंटी रेट्रोवायरल थेरेपी की मदद से मरीज की जिंदगी की कुछ साल और बढ़ सकती है. हालांकि इस जानलेवा बीमारी का अब तक कोई कारगर इलाज उपलब्ध नहीं है, लेकिन इसकी रोकथाम के लिए इंटरनेशनल एड्स वैक्सीन इनिशिएटिव (आईएवीआई) ने एचआईवी टीका विकसित करने की दिशा में एक अनोखी पहल शुरू की है. इस पहल के तहत एचआईवी की रोकथाम के लिए एक खास किस्म के ताकतवर प्रोटीन को बनाने की योजना है. इस दिशा में पहला कदम बढ़ाते हुए आईएवीआई ने पहले चरण का परीक्षण शुरू करने की घोषणा की है.
आईएवीआई के प्रेसिडेंट और सीईओ मार्क फीनबर्ग ने कहा है कि दुनिया में एचआईवी के संक्रमण की रोकथाम के लिए एक नई विधि की जरूरत है. एमडी और पीएचडी की डिग्री धारक फीनबर्ग की मानें तो सौभाग्य से एक नई पीढ़ी का एचआईवी इम्यूनोजेन कैंडिडेट (दवा) का नैदानिक परीक्षण शुरू किया जा रहा है.
उन्होंने कहा कि अत्यंत परिष्कृत और उत्कृष्ट टीका विज्ञान का उपयोग करके इसे विकसित किया जा रहा है और टीका बनाने की दिशा में एक मिसाल के रूप में पेश किया जा रहा है, जिसका लक्ष्य एचआईवी संक्रमण से सुरक्षा के लिए विशेष प्रतिरक्षा का इजात करना है. इसके साथ ही फीनबर्ग ने कहा कि हमारा लक्ष्य एचआईवी संक्रमण की रोकथाम के लिए बेहतर टीका बनाना है और इसी लक्ष्य को ध्यान में रखकर यह नैदानिक परीक्षण शुरू किया गया है. यह भी पढ़ें: भारत में 21 लाख लोग हैं एचआईवी के मरीज, इस मामले में अव्वल नंबर पर है महाराष्ट्र
आईएवीआई के न्यूट्रलाइजिंग एंटीबॉडी सेंटर (एनएसी) के वैक्सीन डिजाइन के निदेशक डॉ. विलियम सीफ की प्रयोगशाला में इस दवा को विकसित किया गया है. डॉ. सीफ ने कहा है कि इस परीक्षण में हमारा लक्ष्य यह साबित करना है कि विशेष रूप से लक्षित 'बी' कोशिकाओं से अनुक्रिया मिलना संभव है.