मन का ठहराव, जीवन का प्रवाह: योग, भारत की वो खोज जो आज की भागदौड़ भरी दुनिया को संतुलन सिखा रही है

21 जून की कहानी, जब दुनिया ने एक साथ सांस ली और भारत की 5000 साल पुरानी विरासत को अपनाया. जानें कैसे एक विचार ने वैश्विक स्वास्थ्य क्रांति को जन्म दिया और यह आपके लिए क्या मायने रखता है.

वो तारीख जिसने दुनिया को एक साथ ला दिया: 21 जून की कहानी

 

कल्पना कीजिए: न्यूयॉर्क के जगमगाते टाइम्स स्क्वायर से लेकर पेरिस के एफिल टॉवर की छाया तक, टोक्यो के शांत पार्कों से लेकर लंदन के ऐतिहासिक चौराहों तक, हजारों लोग एक साथ, एक लय में, अपनी सांसों पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं. यह कोई सामान्य दिन नहीं है. यह 21 जून है, अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस—एक ऐसा दिन जब दुनिया भारत की 5,000 साल पुरानी विरासत का सम्मान करने के लिए एक साथ आती है. यह एक वैश्विक आंदोलन है जिसकी शुरुआत एक साधारण लेकिन शक्तिशाली विचार से हुई थी.

 

एक ऐतिहासिक भाषण

 

यह कहानी 27 सितंबर 2014 को शुरू होती है. न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र महासभा के 69वें सत्र में, भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विश्व नेताओं को संबोधित किया. अपने भाषण में, उन्होंने एक ऐसा प्रस्ताव रखा जो केवल राजनीति या अर्थशास्त्र के बारे में नहीं था, बल्कि मानवता के कल्याण के बारे में था. उन्होंने योग को केवल एक व्यायाम के रूप में नहीं, बल्कि "स्वास्थ्य और कल्याण के लिए एक समग्र दृष्टिकोण" और "स्वयं, दुनिया और प्रकृति के साथ एकत्व की भावना की खोज" का एक माध्यम बताया. उन्होंने तर्क दिया कि योग मन और शरीर, विचार और क्रिया के बीच सामंजस्य स्थापित करता है—एक ऐसा संतुलन जिसकी आज की भागदौड़ भरी दुनिया में सख्त जरूरत है. यह एक ऐसा विचार था जिसका समय आ गया था.

 

अभूतपूर्व वैश्विक समर्थन

 

प्रधानमंत्री मोदी की अपील ने दुनिया भर के देशों के साथ एक गहरा नाता जोड़ा. दुनिया तनाव, जीवनशैली से जुड़ी बीमारियों और एक तरह के अलगाव की भावना से जूझ रही थी, और योग इन सार्वभौमिक समस्याओं का एक सार्वभौमिक समाधान प्रस्तुत करता प्रतीत हुआ. प्रस्ताव को जो प्रतिक्रिया मिली वह अभूतपूर्व थी. 11 दिसंबर 2014 को, संयुक्त राष्ट्र के 193 सदस्य देशों में से रिकॉर्ड 177 देशों ने इस प्रस्ताव को सह-प्रायोजित किया. यह संयुक्त राष्ट्र के इतिहास में किसी भी प्रस्ताव के लिए सबसे अधिक समर्थन था, जो इस विचार की सार्वभौमिक अपील का एक शक्तिशाली प्रमाण था. यह कदम सांस्कृतिक कूटनीति का एक उत्कृष्ट उदाहरण था, जिसने योग को एक प्राचीन भारतीय आध्यात्मिक अभ्यास से स्वास्थ्य और शांति के लिए एक वैश्विक, धर्मनिरपेक्ष उपकरण के रूप में सफलतापूर्वक स्थापित किया.

 

21 जून ही क्यों? प्रतीकवाद की शक्ति

 

इस वैश्विक उत्सव के लिए 21 जून की तारीख का चुनाव बहुत सोच-समझकर किया गया था, जो गहरे प्रतीकात्मक अर्थों से भरा है:

  • ग्रीष्म संक्रांति (Summer Solstice): यह उत्तरी गोलार्ध में वर्ष का सबसे लंबा दिन है 6. यह दिन प्रकाश, जीवन और चेतना का प्रतीक है, और योग भी मनुष्य को दीर्घायु और एक उज्ज्वल जीवन की ओर ले जाता है.
  • आध्यात्मिक महत्व: यह दिन 'दक्षिणायन' में संक्रमण का प्रतीक है, जो सूर्य की दक्षिण की ओर यात्रा की शुरुआत है. इस अवधि को पारंपरिक रूप से आध्यात्मिक प्रथाओं के लिए बहुत अनुकूल माना जाता है.
  • पौराणिक संबंध: भारतीय पौराणिक कथाओं में, इस दिन को उस दिन के रूप में भी देखा जाता है जब आदियोगी शिव, जिन्हें पहला योगी माना जाता है, ने अपने सात शिष्यों, सप्तर्षियों को योग का ज्ञान देना शुरू किया था. इस प्रकार, यह आधुनिक उत्सव प्राचीन ज्ञान की जड़ों से सीधे जुड़ जाता है.

 

पहला ऐतिहासिक योग दिवस (21 जून 2015)

 

जब पहला अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस मनाया गया, तो यह एक ऐतिहासिक क्षण था. नई दिल्ली के राजपथ पर, प्रधानमंत्री मोदी ने लगभग 36,000 लोगों के एक विशाल समूह का नेतृत्व किया, जिसमें 84 देशों के गणमान्य व्यक्ति शामिल थे 2. इस आयोजन ने दो गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाए: एक ही स्थान पर सबसे बड़ी योग कक्षा (35,985 प्रतिभागी) और एक ही योग सत्र में भाग लेने वाली राष्ट्रीयताओं की सबसे बड़ी संख्या. यह सिर्फ एक रिकॉर्ड तोड़ने वाली घटना नहीं थी; यह दुनिया के मंच पर भारत के सांस्कृतिक नेतृत्व और स्वास्थ्य क्रांति को प्रेरित करने की उसकी क्षमता का एक शक्तिशाली प्रदर्शन था. इसने योग को दुनिया के लिए भारत का एक अमूल्य उपहार बना दिया.

'योग' का असली मतलब: मैट से परे, मन की गहराई तक

 

कई लोगों के लिए, 'योग' शब्द सुनते ही जटिल शारीरिक मुद्राओं या लचीले शरीर की तस्वीरें दिमाग में आती हैं. लेकिन यह योग की कहानी का सिर्फ एक छोटा सा हिस्सा है. योग का असली सार शारीरिक व्यायाम से कहीं ज़्यादा गहरा और व्यापक है.

 

'योग' शब्द का अर्थ

 

'योग' शब्द संस्कृत की धातु 'युज्' से बना है, जिसका अर्थ है "जोड़ना," "एकजुट करना," या "एक होना". यह जुड़ाव कई स्तरों पर होता है: शरीर का मन से, मन का आत्मा से, और व्यक्तिगत चेतना का सार्वभौमिक चेतना के साथ. अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस का लोगो, जिसमें दो हाथ जुड़े हुए हैं, इसी एकता का प्रतीक है—मन और शरीर, मनुष्य और प्रकृति के बीच एक आदर्श सामंजस्य. यह एक समग्र जीवन दर्शन है जो हमें खुद से, दूसरों से और अपने आस-पास की दुनिया से जुड़ना सिखाता है.

 

पतंजलि का अष्टांग योग: जीवन जीने की कला

 

लगभग 200 ईसा पूर्व, महर्षि पतंजलि ने अपने 'योग सूत्र' में योग के ज्ञान को व्यवस्थित किया, जो आज भी योग दर्शन का सबसे महत्वपूर्ण ग्रंथ माना जाता है. उन्होंने आत्म-साक्षात्कार तक पहुंचने के लिए एक आठ-चरणीय मार्ग का वर्णन किया, जिसे 'अष्टांग योग' कहा जाता है. यह केवल आसनों की एक सूची नहीं है, बल्कि जीवन जीने के लिए एक व्यावहारिक मार्गदर्शिका है.

आधुनिक दुनिया में, जहाँ योग को अक्सर फिटनेस क्लास के रूप में देखा जाता है, यह समझना महत्वपूर्ण है कि शारीरिक आसन (Asana) इस आठ-चरणीय मार्ग का केवल तीसरा चरण है. सच्चा योग अभ्यास मैट पर आने से बहुत पहले, हमारे दैनिक जीवन में हमारे कार्यों और दृष्टिकोण के साथ शुरू होता है. पहले दो चरण, यम और नियम, नैतिक और आचारिक सिद्धांत हैं जो एक सार्थक और संतुलित जीवन की नींव रखते हैं.

  1. यम (सामाजिक आचार): ये पांच सिद्धांत हैं कि हम दूसरों और दुनिया के साथ कैसे व्यवहार करते हैं.

  • अहिंसा (Ahimsa): केवल शारीरिक ही नहीं, बल्कि शब्दों और विचारों में भी किसी को नुकसान न पहुँचाना 13.
  • सत्य (Satya): सच्चाई और ईमानदारी का पालन करना.
  • अस्तेय (Asteya): चोरी न करना, चाहे वह भौतिक वस्तु हो या किसी का विचार.
  • ब्रह्मचर्य (Brahmacharya): अपनी ऊर्जा का संयम और सही दिशा में उपयोग करना.
  • अपरिग्रह (Aparigraha): अनावश्यक चीजों का संग्रह न करना और लालच से दूर रहना.

  1. नियम (व्यक्तिगत अनुशासन): ये पांच सिद्धांत हैं कि हम अपने साथ कैसा व्यवहार करते हैं.

  • शौच (Saucha): शरीर और मन की शुद्धि.
  • संतोष (Santosa): जो हमारे पास है, उसमें संतुष्ट रहना.
  • तपस (Tapas): आत्म-अनुशासन और दृढ़ता.
  • स्वाध्याय (Svadhyaya): आत्म-अध्ययन और आत्म-चिंतन.
  • ईश्वरप्रणिधान (Ishvarapranidhana): उच्च शक्ति के प्रति समर्पण.

इन नैतिक नींवों के बाद ही अन्य चरण आते हैं:

  1. आसन (शारीरिक मुद्राएं): शरीर को स्थिर और आरामदायक स्थिति में रखना, ताकि मन ध्यान के लिए तैयार हो सके.
  2. प्राणायाम (श्वास नियंत्रण): अपनी जीवन-शक्ति (प्राण) को सांस के माध्यम से नियंत्रित और विस्तारित करना.
  3. प्रत्याहार (इंद्रियों का प्रत्याहार): बाहरी दुनिया की हलचल से अपनी इंद्रियों को हटाकर भीतर की ओर मोड़ना.
  4. धारणा (एकाग्रता): मन को किसी एक वस्तु या विचार पर केंद्रित करना.
  5. ध्यान (Meditation): एकाग्रता का एक सहज और निरंतर प्रवाह.
  6. समाधि (आत्म-साक्षात्कार): चेतना की सर्वोच्च अवस्था, जहां व्यक्ति स्वयं के वास्तविक स्वरूप को पहचानता है और सार्वभौमिक चेतना के साथ एक हो जाता है.

 

योग के अन्य मार्ग

 

पतंजलि का राज योग ही एकमात्र मार्ग नहीं है. योग दर्शन विभिन्न स्वभावों के लोगों के लिए अलग-अलग रास्ते प्रदान करता है, जैसे:

  • कर्म योग: निस्वार्थ सेवा और कर्म का मार्ग.
  • भक्ति योग: प्रेम और भक्ति का मार्ग.
  • ज्ञान योग: ज्ञान और विवेक का मार्ग.

यह विविधता योग को वास्तव में सार्वभौमिक बनाती है, जो हर व्यक्ति को अपने लिए एक उपयुक्त मार्ग खोजने की अनुमति देती है.

आपका शरीर और मन कहेगा "शुक्रिया": विज्ञान की नज़र में योग के फायदे

 

योग के लाभ केवल प्राचीन ग्रंथों या आध्यात्मिक अनुभवों तक ही सीमित नहीं हैं. पिछले कुछ दशकों में, आधुनिक विज्ञान ने इन दावों की पुष्टि करने के लिए गहन शोध किया है, और परिणाम आश्चर्यजनक हैं. वैज्ञानिक अध्ययनों से पता चलता है कि योग हमारे शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को मापने योग्य और महत्वपूर्ण तरीकों से बेहतर बनाता है.

 

तनाव और चिंता का दुश्मन

 

आज की दुनिया में तनाव एक महामारी की तरह है, जो कई स्वास्थ्य समस्याओं की जड़ है. योग इससे निपटने के लिए एक शक्तिशाली उपकरण के रूप में उभरा है.

  • हार्मोनल संतुलन: शोध से पता चलता है कि नियमित योग अभ्यास शरीर के प्राथमिक तनाव हार्मोन, 'कोर्टिसोल' के स्तर को कम करता है.
  • तंत्रिका तंत्र को शांत करना: योग पैरासिम्पेथेटिक नर्वस सिस्टम को सक्रिय करता है, जिसे "आराम और पाचन" प्रतिक्रिया के रूप में जाना जाता है. यह शरीर की "लड़ो या भागो" प्रतिक्रिया को शांत करता है, जिससे हृदय गति धीमी होती है, रक्तचाप कम होता है और गहरी शांति की भावना पैदा होती है.
  • मानसिक स्वास्थ्य में सुधार: JAMA Psychiatry जैसे प्रतिष्ठित चिकित्सा पत्रिकाओं में प्रकाशित अध्ययनों ने यह निष्कर्ष निकाला है कि योग अवसादग्रस्तता के लक्षणों के लिए एक प्रभावी वैकल्पिक उपचार हो सकता है. यह नकारात्मक विचारों के चक्र को तोड़ने में मदद करता है जो चिंता और अवसाद को बढ़ाते हैं.
  • मस्तिष्क पर प्रभाव: इलेक्ट्रोएन्सेफलोग्राम (EEG) अध्ययनों से पता चला है कि योग और ध्यान मस्तिष्क की तरंग गतिविधि को बदल सकते हैं, जो तनाव में कमी और बढ़ी हुई जागरूकता से जुड़ा है.

 

लचीलापन और शारीरिक शक्ति

 

यह योग के सबसे प्रसिद्ध लाभों में से एक है, और विज्ञान इसका समर्थन करता है.

  • बढ़ा हुआ लचीलापन: एक अध्ययन में पाया गया कि केवल 8 सप्ताह के योग अभ्यास के बाद प्रतिभागियों के लचीलेपन में 35% तक का सुधार हुआ. यह लाभ विशेष रूप से वृद्ध वयस्कों के लिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह उम्र के साथ होने वाली प्राकृतिक कठोरता को धीमा कर सकता है.
  • मांसपेशियों की ताकत: योग सिर्फ स्ट्रेचिंग नहीं है. अधोमुख श्वानासन (Downward Dog), फलकासन (Plank Pose), और वीरभद्रासन (Warrior Pose) जैसे आसन शरीर के ऊपरी हिस्से, कोर और पैरों में मांसपेशियों की ताकत और टोन का निर्माण करते हैं. यह एक बहुआयामी व्यायाम है जो लचीलेपन और शक्ति दोनों को एक साथ विकसित करता है.

 

बेहतर नींद और तेज़ दिमाग

 

एक शांत मन और एक स्वस्थ शरीर बेहतर नींद और बेहतर संज्ञानात्मक कार्य की ओर ले जाता है.

  • नींद की गुणवत्ता: सोने से पहले योग का अभ्यास तंत्रिका तंत्र को शांत करने और विश्राम को बढ़ावा देने में मदद कर सकता है, जिससे नींद की गुणवत्ता में सुधार होता है. अध्ययन बताते हैं कि योग अनिद्रा और अन्य नींद संबंधी विकारों में मदद कर सकता है.
  • मस्तिष्क की कार्यक्षमता: शोध से पता चलता है कि नियमित योग अभ्यास मस्तिष्क के उन क्षेत्रों में ग्रे मैटर की मात्रा बढ़ा सकता है जो स्मृति, ध्यान, आत्म-जागरूकता और भावनात्मक विनियमन के लिए जिम्मेदार हैं.

योग के लाभ अलग-थलग नहीं हैं; वे एक सकारात्मक प्रतिक्रिया चक्र बनाते हैं. उदाहरण के लिए, कम तनाव बेहतर नींद की ओर ले जाता है. बेहतर नींद संज्ञानात्मक कार्य और भावनात्मक स्थिरता में सुधार करती है. एक बेहतर विनियमित भावनात्मक स्थिति तनाव को और कम करती है. यह परस्पर जुड़ाव ही योग के "समग्र" दृष्टिकोण का सार है, जिसे अब आधुनिक विज्ञान द्वारा मान्य किया जा रहा है. यह सिर्फ लक्षणों का इलाज नहीं करता है; यह पूरे सिस्टम को पुन: संतुलित करता है.

कौन-सा योग है आपके लिए? अपनी योगा-यात्रा की शुरुआत करें

 

योग की दुनिया में पहला कदम रखना रोमांचक हो सकता है, लेकिन विभिन्न शैलियों और नामों के कारण यह थोड़ा भ्रमित करने वाला भी लग सकता है. अच्छी खबर यह है कि योग "एक आकार सभी के लिए फिट" वाला अभ्यास नहीं है. हर व्यक्ति की ज़रूरतों, फिटनेस स्तर और लक्ष्यों के लिए एक शैली मौजूद है. यहां शुरुआती लोगों के लिए कुछ सबसे लोकप्रिय शैलियों का एक सरल परिचय दिया गया है.

 

प्रमुख शैलियों का सरल परिचय

 

  • हठ योग (Hatha Yoga): यह योग का एक सामान्य शब्द है जिसमें कई धीमी गति वाली कक्षाएं शामिल हैं. यदि आप योग में बिल्कुल नए हैं, तो हठ योग शुरू करने के लिए एक बेहतरीन जगह है. कक्षाएं धीमी गति से चलती हैं, जिससे आपको प्रत्येक आसन को ठीक से सीखने, अपने शरीर को संरेखित करने और उसमें स्थिरता खोजने का पर्याप्त समय मिलता है. यह तनाव कम करने और आराम करने पर केंद्रित है.
  • विन्यास योग (Vinyasa Yoga): इसे अक्सर "फ्लो" योग कहा जाता है. विन्यास कक्षाओं में, आप अपनी सांस के साथ तालमेल बिठाते हुए एक आसन से दूसरे आसन में सहजता से प्रवाहित होते हैं. यह हठ योग की तुलना में अधिक गतिशील और शारीरिक रूप से मांग वाला हो सकता है. यदि आप एक लयबद्ध, नृत्य जैसी कसरत की तलाश में हैं जो आपकी हृदय गति को बढ़ाए, तो विन्यास एक बढ़िया विकल्प है.
  • अष्टांग योग (Ashtanga Yoga): यह एक बहुत ही संरचित और शारीरिक रूप से चुनौतीपूर्ण शैली है. अष्टांग योग में, आसनों का एक निश्चित क्रम होता है जिसे हर बार अभ्यास किया जाता है. यह एक अनुशासित और जोरदार अभ्यास है जो शक्ति, सहनशक्ति और लचीलेपन का निर्माण करता है. यह उन लोगों के लिए उपयुक्त है जो एक नियमित और गहन चुनौती चाहते हैं.
  • पावर योग (Power Yoga): जैसा कि नाम से पता चलता है, यह एक शक्तिशाली और फिटनेस-केंद्रित शैली है. यह अष्टांग से प्रेरित है लेकिन इसमें आसनों का कोई निश्चित क्रम नहीं होता है, जिससे प्रशिक्षक को अधिक रचनात्मक स्वतंत्रता मिलती है. कक्षाएं तेज-तर्रार और गहन होती हैं, जो एक जोरदार कसरत प्रदान करती हैं.
  • अन्य शैलियां: इनके अलावा, कई अन्य शैलियाँ भी हैं जैसे बिक्रम योग (एक गर्म कमरे में 26 आसनों का एक निश्चित क्रम), आयंगर योग (आसनों में सही संरेखण प्राप्त करने के लिए प्रॉप्स जैसे ब्लॉक और स्ट्रैप्स का उपयोग करने पर जोर), और रिस्टोरेटिव योग (गहन विश्राम और उपचार के लिए लंबे समय तक आरामदायक मुद्राओं में रहना).

यह समझना कि कहाँ से शुरू करें, भारी पड़ सकता है. नीचे दी गई तालिका आपको अपनी ज़रूरतों के लिए सही शैली चुनने में मदद कर सकती है.

तालिका 1: शुरुआती लोगों के लिए योग शैलियों की गाइड

योग शैली गति शारीरिक तीव्रता मुख्य फोकस किसके लिए सर्वश्रेष्ठ है?
हठ योग धीमी कम से सौम्य मूल आसन, श्वास, स्थिरता बिल्कुल शुरुआती, जो आराम चाहते हैं
विन्यास योग मध्यम से तेज मध्यम से उच्च श्वास के साथ प्रवाह, गतिशीलता जो एक गतिशील, लयबद्ध अनुभव चाहते हैं 
अष्टांग योग तेज उच्च निश्चित क्रम, अनुशासन, शक्ति जो एक संरचित, शारीरिक चुनौती चाहते हैं 
पावर योग तेज उच्च शक्ति निर्माण, फिटनेस, लचीलापन जो एक जोरदार कसरत और विविधता चाहते हैं 

एक दशक का जश्न: 2025 का योग दिवस और इसका खास संदेश

 

अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस अब अपने दूसरे दशक में प्रवेश कर चुका है. इन वर्षों में, यह केवल एक वार्षिक कार्यक्रम से बढ़कर एक वैश्विक कल्याण आंदोलन बन गया है. इसकी यात्रा उल्लेखनीय रही है, जिसमें भागीदारी 2018 में लगभग 9.59 करोड़ से बढ़कर 2024 में अनुमानित 24.53 करोड़ हो गई है. यह घातीय वृद्धि योग की स्थायी अपील और दुनिया भर के लोगों के जीवन को छूने की इसकी क्षमता को दर्शाती है.

 

2025 की थीम: "एक पृथ्वी, एक स्वास्थ्य के लिए योग" (Yoga for One Earth, One Health)

 

अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस 2025, जो 11वीं वर्षगांठ का प्रतीक है, एक विशेष रूप से प्रासंगिक थीम के तहत मनाया जा रहा है: "एक पृथ्वी, एक स्वास्थ्य के लिए योग". प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा घोषित यह थीम एक गहरे सत्य को रेखांकित करती है: हमारा व्यक्तिगत स्वास्थ्य हमारे ग्रह के स्वास्थ्य से अविभाज्य रूप से जुड़ा हुआ है.

इसका अर्थ यह है कि जब हम योग के माध्यम से अपने शरीर और मन का ख्याल रखते हैं, तो हम एक अधिक सचेत और टिकाऊ जीवन शैली की ओर भी बढ़ते हैं. योग हमें सादगी, कम संसाधनों का उपभोग करने और प्रकृति के साथ सद्भाव में रहने के लिए प्रोत्साहित करता है. इस प्रकार, अपनी भलाई के लिए उठाया गया हर कदम पृथ्वी की भलाई में भी योगदान देता है 27. यह थीम हमें याद दिलाती है कि हम एक दूसरे से और अपने ग्रह से जुड़े हुए हैं, और योग इस संबंध को पोषित करने का एक शक्तिशाली माध्यम है.

 

2025 के प्रमुख कार्यक्रम

 

11वीं वर्षगांठ को मनाने के लिए, भारत और दुनिया भर में बड़े पैमाने पर कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं:

  • राष्ट्रीय आयोजन: इस वर्ष का मुख्य राष्ट्रीय कार्यक्रम प्रधानमंत्री के नेतृत्व में विशाखापत्तनम, आंध्र प्रदेश में होगा.
  • योग संगम: 21 जून की सुबह, आयुष मंत्रालय द्वारा विकसित कॉमन योग प्रोटोकॉल (CYP) के आधार पर, पूरे भारत में 1 लाख से अधिक स्थानों पर एक साथ योग प्रदर्शन आयोजित किया जाएगा.
  • स्थानीय उत्सव: वाराणसी (नमो घाट, काशी विश्वनाथ मंदिर), अयोध्या (राम की पैड़ी), लखनऊ और प्रयागराज जैसे शहरों में नदियों के किनारे और पार्कों में बड़े पैमाने पर कार्यक्रम होंगे, जिसमें हजारों नागरिक, बच्चे, वरिष्ठ नागरिक और विदेशी प्रतिनिधि भाग लेंगे.
  • आयुष मंत्रालय की पहल: इस उत्सव का नेतृत्व आयुष मंत्रालय कर रहा है, जो 'योग महाकुंभ' जैसे कार्यक्रमों का आयोजन कर रहा है, और योग के प्रचार-प्रसार में उत्कृष्ट योगदान के लिए 'प्रधानमंत्री योग पुरस्कार' प्रदान कर रहा है.

 

थीम की यात्रा

 

पिछले दशक में अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस की थीम का विकास यह दर्शाता है कि यह आंदोलन कैसे व्यक्तिगत स्वास्थ्य से आगे बढ़कर व्यापक वैश्विक मुद्दों को संबोधित करने लगा है.

तालिका 2: अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस: एक दशक की थीम-यात्रा

वर्ष थीम (हिन्दी में अनुवादित)
2025 एक पृथ्वी, एक स्वास्थ्य के लिए योग (Yoga for One Earth, One Health)
2024 महिला सशक्तिकरण के लिए योग (Yoga for Women Empowerment)
2023 वसुधैव कुटुम्बकम् के लिए योग (Yoga for Vasudhaiva Kutumbakam)
2022 मानवता के लिए योग (Yoga for Humanity)
2021 कल्याण के लिए योग (Yoga for Wellness)
2020 स्वास्थ्य के लिए योग - घर पर योग (Yoga for Health - Yoga at Home)
2019 जलवायु कार्रवाई के लिए योग (Yoga for Climate Action)
2018 शांति के लिए योग (Yoga for Peace) 
2017 स्वास्थ्य के लिए योग (Yoga for Health)

यह यात्रा दर्शाती है कि योग दिवस एक स्थिर घटना नहीं है, बल्कि एक गतिशील आंदोलन है जो दुनिया की बदलती जरूरतों और प्राथमिकताओं के साथ विकसित होता है.

भारत की विरासत से दुनिया की आदत तक: योग का वैश्विक सफ़र

 

आज दुनिया भर में लाखों लोग जिस योग का अभ्यास करते हैं, उसकी जड़ें हजारों साल पुरानी हैं. यह कोई आधुनिक आविष्कार नहीं है, बल्कि एक प्राचीन ज्ञान परंपरा है जिसने समय और संस्कृतियों की सीमाओं को पार किया है.

 

प्राचीन जड़ें

 

योग की उत्पत्ति का पता 5,000 साल पहले उत्तरी भारत की सिंधु-सरस्वती सभ्यता से लगाया जा सकता है. उत्खनन में मिली मुहरों पर योग मुद्राओं में बैठे हुए चित्र इस बात का प्रमाण हैं कि यह अभ्यास उस समय भी प्रचलित था. 'योग' शब्द का सबसे पहला उल्लेख दुनिया के सबसे पुराने ग्रंथों में से एक, ऋग्वेद में मिलता है. बाद में, उपनिषदों और अन्य ग्रंथों में ऋषियों और संतों ने इस ज्ञान को और विकसित और परिष्कृत किया. यह एक ऐसी विरासत है जो पीढ़ी-दर-पीढ़ी चली आ रही है, जो शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक कल्याण का मार्ग प्रशस्त करती है.

 

पश्चिम की यात्रा

 

योग की वैश्विक यात्रा सदियों पहले शुरू हो गई थी, लेकिन 20वीं सदी में इसने एक नया मोड़ लिया. इस परिवर्तन का श्रेय स्वामी विवेकानंद जैसे अग्रदूतों को जाता है. 1893 में, उन्होंने शिकागो में विश्व धर्म संसद में अमेरिकी दर्शकों को हिंदू दर्शन और योग का परिचय दिया. उन्होंने योग को "मन के विज्ञान" के रूप में प्रस्तुत किया, जिसने पश्चिमी दुनिया की रुचि को जगाया.

उनके बाद, कई अन्य भारतीय गुरु जैसे स्वामी शिवानंद, बी.के.एस. अयंगर, और परमहंस योगानंद पश्चिम गए और योग के ज्ञान का प्रसार किया. उन्होंने योग को पश्चिमी दर्शकों के लिए सुलभ बनाया, जिससे यह धीरे-धीरे एक आध्यात्मिक अनुशासन से स्वास्थ्य और कल्याण के लिए एक लोकप्रिय अभ्यास बन गया. 1960 और 70 के दशक में, पूर्वी आध्यात्मिकता में बढ़ती रुचि ने योग को मुख्यधारा में ला दिया, और तब से इसकी लोकप्रियता लगातार बढ़ती ही गई है.

 

आधुनिक दुविधा: व्यावसायीकरण और सांस्कृतिक विनियोग

 

योग की वैश्विक लोकप्रियता एक दोधारी तलवार रही है. एक ओर, इसने लाखों लोगों को इसके अविश्वसनीय लाभों से परिचित कराया है. दूसरी ओर, इसने व्यावसायीकरण और सांस्कृतिक विनियोग को लेकर वैध चिंताएं भी पैदा की हैं.

  • व्यावसायीकरण: "योग के व्यापार" के उदय ने इस अभ्यास की प्रामाणिकता और अखंडता के बारे में सवाल खड़े किए हैं. महंगे योग स्टूडियो, डिजाइनर कपड़े और योग-थीम वाले उत्पादों ने कभी-कभी योग के गहरे आध्यात्मिक सार को ढक दिया है.
  • सांस्कृतिक विनियोग: कुछ आलोचकों का तर्क है कि योग के पश्चिमीकरण ने अक्सर इसकी आध्यात्मिक और दार्शनिक जड़ों को छीन लिया है, इसे केवल एक शारीरिक कसरत के रूप में प्रस्तुत किया है.

यह एक जटिल मुद्दा है. यह पहचानना महत्वपूर्ण है कि जिस अनुकूलन और सरलीकरण ने योग को पश्चिम में लोकप्रिय बनाया, वही ताकतें थीं जिन्होंने इसे एक वैश्विक घटना बनने में सक्षम बनाया और अंततः अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस की नींव रखी. यदि पश्चिम में लाखों अभ्यासी नहीं होते, तो शायद संयुक्त राष्ट्र में इस प्रस्ताव को इतना भारी समर्थन नहीं मिलता.

इसलिए, चुनौती आधुनिक रूप को अस्वीकार करने की नहीं है, बल्कि इसकी जड़ों के प्रति जागरूकता और सम्मान के साथ इसका अभ्यास करने की है. इसका मतलब है कि योग को केवल एक कसरत के रूप में नहीं, बल्कि एक समग्र अभ्यास के रूप में अपनाना, इसके नैतिक सिद्धांतों को समझना और इसकी भारतीय विरासत का सम्मान करना.

योग को अपनी ज़िंदगी का हिस्सा बनाएं

 

अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस एक शक्तिशाली अनुस्मारक है—रुकने, सांस लेने और खुद से, एक दूसरे से और प्रकृति से फिर से जुड़ने का. यह एक दिन का उत्सव हो सकता है, लेकिन इसका संदेश जीवन भर के लिए है. योग मैट पर पूर्णता प्राप्त करने के बारे में नहीं है; कोई भी आसन "सही" या "गलत" नहीं होता है. यह एक व्यक्तिगत यात्रा है, मंजिल नहीं. यह आत्म-खोज, आत्म-करुणा और निरंतर अभ्यास की प्रक्रिया है.

 

छोटे कदमों से शुरुआत करें

 

यदि आप अपनी योग यात्रा शुरू करने के लिए प्रेरित महसूस कर रहे हैं, तो अभिभूत महसूस न करें. आपको विशेषज्ञ बनने की ज़रूरत नहीं है. शुरुआत करने के लिए यहाँ कुछ सरल, व्यावहारिक कदम दिए गए हैं:

  • बस सांस लें: दिन में कुछ मिनट निकालकर बस अपनी सांस पर ध्यान केंद्रित करें. गहरी, धीमी सांसें (प्राणायाम) तुरंत मन को शांत कर सकती हैं.
  • एक आसन आज़माएं: ताड़ासन (Mountain Pose) या वृक्षासन (Tree Pose) जैसे सरल खड़े आसनों से शुरुआत करें. ये आसन संतुलन और मुद्रा में सुधार करते हैं.
  • संसाधन खोजें: अनगिनत मुफ्त ऑनलाइन कक्षाएं और ऐप्स उपलब्ध हैं. आप अपने स्थानीय समुदाय में एक शुरुआती कक्षा भी खोज सकते हैं.
  • अपने शरीर की सुनें: सबसे महत्वपूर्ण नियम है अपने शरीर का सम्मान करना. यदि किसी चीज़ में दर्द होता है, तो रुकें. योग प्रतिस्पर्धा के बारे में नहीं है.

 

 

योग सिर्फ शरीर को मोड़ने के बारे में नहीं है; यह आपके दृष्टिकोण को बदलने के बारे में है. यह आपको सिखाता है कि अराजकता के बीच शांति कैसे पाएं, ताकत के साथ लचीला कैसे बनें, और हर पल में मौजूद कैसे रहें. जैसा कि भगवद् गीता में कहा गया है, "योगः कर्मसु कौशलम्"—अर्थात, कर्मों में कुशलता ही योग है. यह हमारे दैनिक जीवन के हर पहलू में संतुलन, जागरूकता और उद्देश्य लाने की कला है.

इस अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस पर, अपने लिए कुछ समय निकालें. अपनी मैट बिछाएं, एक गहरी सांस लें, और एक ऐसी यात्रा शुरू करें जो आपके शरीर को मजबूत कर सकती है, आपके मन को शांत कर सकती है, और आपकी आत्मा को पोषित कर सकती है. जैसा कि एक आधुनिक कहावत है, "योग आपको उन चीजों को ठीक करने के लिए नहीं है जो टूटी हुई हैं, बल्कि यह आपको यह दिखाने के लिए है कि आप कभी टूटे ही नहीं थे."