नई दिल्ली: आज के समय में लोगों के पास न खाने का वक्त है न समय से सोने का. बदलती जीवनशैली और अनियमित दिनचर्या की वजह से आज लोगों में स्वस्थ्य संबधित समस्याएं तेजी से बढ़ रही है. इस तनावमुक्त जीवन में रोगों को दूर भागने का सबसे सही और सरल उपाय योग आसन ही है. इससे ना केवल शारीरिक बल्कि मानसिक तौर पर भी स्वस्थ्य रहा जा सकता है. नियमित योगाभ्यास करने से हार्ट अटैक जैसी गंभीर समस्याओं से भी बचा जा सकता है. योगासन शरीर में प्राण की गति को बढ़ाता है. रोजमर्रा के काम से होने वाले तनाव को कम करने के लिए विभिन्न प्रकार के आसन हैं. इसके बावजूद हम ना व्यायाम करते हैं न ही योग.
विश्व में भारतीय परंपरा से जन्मे योग को प्रसारित करने और सभी को फिट रहने के लिए प्रेरित करने के उदेश्य से प्रधानमंत्री मोदी ने प्राणायाम का अभ्यास करते हुए थ्री-डी एनिमेटेड वीडियो साझा किया है. इन वीडियो को देखकर आप भी योग के महत्व को समझे और पूरे जोश के साथ इसे अपने जीवन का अंग बना लें.
नाड़ी शोधन प्राणायाम: यह प्राणायाम ह्रदय रोगियों के लिए लाभदायक है और यह खांसी से संबंधित परेशानियों को दूर करने में सहायक है. इसके अलावा नाड़ी शोधन प्राणायाम के नियमित अभ्यास से शांति और एकाग्रता बढ़ती है और तनाव एवं चिंता कम होती है.
सेतुबंधासन: इस आसन के विभिन्न लाभ हैं जैसे पीठ की मांसपेशियों को मजबूती प्रदान करना, पाचन में सुधार लाना और ह्रदय की कार्यक्षमता में सुधार करना आदि.
पवनमुक्तासन: इस आसन के विभिन्न लाभ हैं. इससे शरीर में मौजूद हानिकारक गैस बहार निकाल जाता है. जिससे आपको पेट संबंधित बहुत सारी बिमारियों एवं परेशानियों से मुक्ति मिलती है.
शलभासन: यह आसन पीठ को मजबूत और लचीला बनाकर हाथों और कन्धों की मज़बूत बनाता है. गर्दन और कन्धों कि नसों को आराम देता है व मज़बूत बनाता है. इसके साथ ही पाचन क्रिया को सुधारता है व पेट के अंगो को मज़बूत बनाता है.
भुजंगासन: इस आसन से कंधे और गर्दन को तनाव से मुक्ति मिलती है. यह पेट के स्नायुओं को मज़बूत बनाता है. इससे संपूर्ण पीठ और कंधों को मजबूती मिलती है. रीढ़ की हड्डी का उपरवाला और मंझला हिस्सा लचीला बनाता है और थकान और तनाव से राहत मिलती है.
वक्रासन: डायबिटीज या मधुमेह को रोकने के लिए वक्रासन एक अति उत्तम योगाभ्यास है. इस योग के नियमित अभ्यास से आप अपनी पेट की चर्बी कम कर सकते हैं. इसके अलावा यह योगाभ्यास रीढ़ की हड्डी और पाचन के लिए रामबाण है.
ताड़ासन: अगर इस आसन को सही तरह से अभ्यास किया जाए तो बहुत हद तक पेट की चर्बी को कम करने में मदद मिल सकती है. यह आसन बच्चों की हाइट बढ़ाने के लिए अतिउत्तम योगाभ्यास है. अगर आप नसों की दर्द से परेशान हैं तो आपको यह आसन जरुर करनी चाहिए.
त्रिकोणासन: इस आसन का नियमित अभ्यास करने से आप त्वचा संबंधी प्रोब्लेम्स से बच जाते हैं. इसके अभ्यास से आप अपने फेफड़े में ज़्यदा से ज़्यदा ऑक्सीजन लेते हैं और लंग्स का सही एक्सरसाइज हो जाता है. ह आसन आप को हल्का बनाता है और साथ ही साथ आपके ऊर्जा के मेन्टेन रखता है.
शशांकासन: इस आसन के नियमित अभ्यास से तनाव एवं चिंता को बहुत हद तक कम किया जा सकता है. यही नहीं यह योग मुद्रा क्रोध, भय, शोक आदि को कम करने में अहम भूमिका निभाता है.
वज्रासन: इस आसन के अभ्यास से शरीर मजबूत बनता है. यह एक साधनात्मक मुद्रा हैं. यह एक मात्र ऐसा आसन है जिसे खाने के बाद भी कर सकते है.
उस्त्रासन: यह आसन पाचन शक्ति बढ़ता है. यह सीना, पीठ और कंधों को मजबूती देता है. पीठ के निचले हिस्से में दर्द से छुटकारा दिलाता है. इसके अलावा मासिक धर्म की परेशानी से राहत देता है.
भद्रासन: इसके अभ्यास से आप कमर दर्द से निजात पा सकते हैं. यह मन के चंचलता को कम करता है और शरीर को शांत करने में सहायक है. इस आसन के नियमित अभ्यास से प्रसव में बहुत आसानी हो जाती है. भद्रासन शरीर को सुंदर बनाने में भी मदद करता है.
पादहस्तासन: इस आसन से कमर पतली और छाती चौड़ी होती है. इससे कद भी बढ़ता है. इसके साथ ही कन्धे से सम्बन्धित रोग दूर हो जाते हैं. मोटापा दूर होता है.
अर्धचक्रासन: शरीर के ऊपरी हिस्से (धड़) में खिंचाव पैदा करता है. हाथों एवं कंधो की मांसपेशियों को मजबूत बनाता है. इसे अभ्यास करने से पेट के बगल की चर्बी घटती है.
वृक्षासन: इस आसन के नियमित अभ्यास से घुटने के दर्द से आप हमेशा हमेशा के लिए छुटकारा पा सकते हैं. इस आसन के अभ्यास से आप तनाव और चिंता को बहुत हद तक कम कर सकते हैं. इसके अभ्यास से शरीर में संतुलन बढ़ता है.
गौरतलब है कि आयुष मंत्रालय की ओर से योग दिवस समारोह को सफल बनाने के लिए विशेष कदम उठाए जा रहे हैं. संयुक्त राष्ट्र ने दिसंबर 2014 में एक प्रस्ताव पारित 21 जून को योग दिवस मनाने की घोषणा की थी. संयुक्त राष्ट्र के इस प्रस्ताव को सभी 193 देशों ने सर्वसम्मति से स्वीकार किया था और 177 देश इसके प्रायोजन में सहयोगी रहे.