कोरोना वायरस को लेकर कई तरह के शोध हर रोज सामने आ रहे हैं. एक तरफ जहां कोमोरबिडिटी वालों को संक्रमण का ज्यादा खतरा रहता है. वहीं अब को-इंफेक्शन के खतरे की बात भी सामने आयी है. सफदरजंग अस्पताल, नई दिल्ली के स्वास्थ्य विशेषज्ञ की मानें तो कोविड मरीजों को को-इंफेक्शन का खतरा हमेशा रहता है, खास कर बारिश के मौसम में. सभी को बरसात के मौसम में खुद का बहुत ज्यादा खयाल रखना है.
एनसीडीसी द्वारा काये गए सीरो सर्वे के अनुसार दिल्ली में संभवत: 23 प्रतिशत लोग कोरोना से संक्रमित हो चुके हैं, लेकिन इम्युनिटी अच्छी होने की वजह से अधिकांश लोग एसिम्प्टोमेटिक हैं और बिना दवा के अपने आप ठीक हो गए हैं. यानी कि अगर कोई व्यक्ति एसिम्प्टोमेटिक है, तो उसे खुद को पता नहीं होता है, कि वो संक्रमित है. यही कारण है कि सरकार सभी से सोशल डिस्टेंसिंग के लिए बार-बार कह रही है. इन सबके बीच सबसे महत्वपूर्ण बात बारिश के मौसम से जुड़ी है. वो है को-इंफेक्शन की, यानी एक बीमारी के साथ दूसरी बीमारी का लगना.
सफदरजंग अस्पताल नई दिल्ली के डॉ. एम के सेन ने प्रसार भारती से बातचीत में बताया कि इन दिनों अस्पताल में इलाज करा रहे ह मरीजों के इलाज में डॉक्टर भी बहुत ध्यान रखते हैं कि व्यक्ति को अगर कोरोना है, तो उसे कोई अन्य बीमारी भी हो सकती है, जिस को-इंफेक्शन भी कहते हैं या कोरोना से ही मिलती जुलती बीमारी बहुत आसानी से लोगों को अपने चपेट में ले लेती है, क्योंकि ऐसे लोगों की पहले ही इम्यूनिटी कम हो चुकी होता है. इन बीमारियों में डेंगू या चिकनगुनिया, मलेरिया है. अस्पताल में डॉक्टर भी इलाज करते वक्त बहुत सावधानी रखते हैं.
कोरोना के एंटीबॉडी अन्य बीमारी से नहीं बचाते
डॉ. सेन ने यह भी बताया कि अगर किसी को अगर किसी को डेंगू या चिकनगुनिया हो गया है, कोरोना से लड़ने वाले एंटीबॉडी किसी दूसरे रोग से नहीं बचाते हैं. उन्होंने बताया कि कोरोना वायरस के अलावा भी कुछ वायरस या बीमारियां होती हैं, जिनमे सामान्य खांसी, जुकाम, बुखार, सिर दर्द, आदि होता है और मरीज 2-4 दिन में ठीक जाता है. अगर किसी को सामान्य बीमारी हुई है तो उसके शरीर में कोरोना से लड़ने वाले एंटीबॉडी नहीं बनते हैं. लेकिन इस दौरान उन्हें कोरोना होने के संक्रणण होने की संभावना होती है. इसलिए उसे भी उतनी ही सावधानी रखनी है, जितनी दूसरों को.
2 या 3 ml सेनिटाइजर हाथ साफ करने के लिए करें प्रयोग
इन सभी बीमारियों से बचने का एक मात्र उपाय है सफाई और नियमों का पालन करना. डॉ. सेन ने लोगों को हैंड सेनिटाइजर की कैसे प्रयोग करना है इस बारे में भी जानकारी दी. उन्होंने कहा कि अगर किसी के हाथ में मैल, मिट्टी या तेल आदि लगा हुआ है तो सेनिटाइजर काम नहीं करेगा. उसके लिए साबुन-पानी से ही हाथ धोना होगा. लेकिन इस समय अगर बाहर जा रहें या यात्रा कर रहे हैं और पानी नहीं है, केवल तभी सेनिटाइजर का इस्तेमाल करें. सेनिटाइजर किसी मान्यता प्राप्त कंपनी का ही खरीदें, जिसमें 60 प्रतिशत के करीब मानक के अनुरूप एल्कोहल की मात्रा हो. हाथ साफ करने के लिए 2 या 3 ml सेनिटाइजर हाथ पर लेकर पूरे हाथ पर, उंगलियों पर और उंगलियों के बीच में लगाएं. इसके बाद अब हाथ नहीं धोना है, बल्कि सूख जाने पर खाना आदि खा सकते हैं.
फोन, लैपटॉप से वायरस को साफ करने में रखें सावधानी
अगर किसी सरफेस यानी किसी सतह जैसे दरवाजे के हैंडल, टीवी, फर्श, मोबाइल, कुर्सी, आदि पर वायरस के होने की आशंका है और उसे साफ करना है तो उसके लिए डिसइंफेक्टेंट का प्रयोग कर सकते हैं. डॉ. सेन के अनुसार ज्यादातर मामालों में कोरना का संक्रमण संक्रमित के क्लोज कॉन्टेक्ट में आने से होता है. हांलाकि ऐसा माना जाता है कि जहां संक्रमित हैं, वहां पर मौजूद चीजों की सतह पर वायरस हो सकता है. अगर किसी सरफेस को साफ करना है तो ब्लीचिंग पॉवडर या हाइपोक्लोराइड के एक प्रतिशत सॉल्यूशन से साफ कर सकते हैं. इसमें खिड़की, दरवाजे के हैंडल, कुर्सी, मेज को साफ कर सकते हैं. लेकिन लैपटॉप, मोबाइल, टेलीफ़ोन, टीवी आदि के लिए एल्कोहल स्वाइप आता है, जिसमें 7 प्रतिशत एल्कोहल होता है, उसका प्रयोग कर सकते हैं. नहीं तो हैंड सैनिटाइजर का प्रयोग कॉटन आदि से कर सकते हैं.