50 से कम उम्र के 75 फीसदी भारतीयों को दिल का दौरा पड़ने का खतरा :अध्ययन
विश्व हृदय दिवस पर डॉक्टरों का कहना है कि 50 साल से कम उम्र के करीब 75 फीसदी आबादी को दिल का दौरा पड़ने का खतरा है, ऐसे में दिल की जटिलताएं एक बड़ी बीमारी है, जिसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है.
हैदराबाद, 29 सितम्बर: विश्व हृदय दिवस पर डॉक्टरों का कहना है कि 50 साल से कम उम्र के करीब 75 फीसदी आबादी को दिल का दौरा पड़ने का खतरा है, ऐसे में दिल की जटिलताएं एक बड़ी बीमारी है, जिसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है. देश भर में चिकित्सा पेशेवरों द्वारा किए गए अध्ययनों से संकेत मिलता है कि 40 वर्ष से कम आयु के कम से कम 25 प्रतिशत भारतीयों को दिल का दौरा पड़ने या दिल से संबंधित किसी अन्य गंभीर जटिलता से पीड़ित होने का खतरा है; और यह जोखिम 40 से 50 वर्ष की आयु के बीच 50 प्रतिशत आबादी तक बढ़ सकता है. डॉक्टरों का मनाना है कि भारतीय युवाओं और मध्यम आयु वर्ग की आबादी के बीच स्वस्थ भोजन और सक्रिय जीवन को प्रोत्साहित करना चाहिए. यह सुनिश्चित करने के लिए कदम उठाए जाने चाहिए कि अपेक्षाकृत युवा आबादी में दिल के दौरे के मामलों में वृद्धि को तत्काल नियंत्रित किया जाए. तनाव के स्तर में वृद्धि और अनुचित जीवनशैली दिल से संबंधित बीमारियों के बढ़ने के दो प्रमुख कारण हैं.
चीफ इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजिस्ट,ग्लेनीगल्स ग्लोबल हॉस्पिटल के एम साई सुधाकर ने कहा,कई सामाजिक मानकों पर भारत की रेटिंग खराब है, और यह हर गुजरते साल के साथ अधिक से अधिक लोगों को तनावपूर्ण स्थितियों में और अधिक गहराई तक धकेलने का एक प्रमुख कारण है. व्यक्तिगत मुद्दों के साथ ये सामाजिक समस्याएं मानसिक तनाव से पीड़ित लोगों के लिए प्रमुख कारण हैं. उनके दिल पर सीधा प्रभाव पड़ता है. जबकि अधिक पुरुषों को इस समस्या का शिकार माना जाता है. सीनियर इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजिस्ट, एसएलजी हॉस्पिटल्स के वी.हरिराम ने बताया कि भारतीय ट्रांस फैट के अभ्यस्त उपभोक्ता हैं, और यह खराब जीवनशैली, अनियमित कामकाजी समय, शराब, धूम्रपान तंबाकू के साथ-साथ हृदय रोग का खतरा बढ़ाता है और ऐसे व्यक्ति अत्यधिक कमजोर होते है. अचानक दिल के दौरे के मामलों की संख्या में काफी वृद्धि हुई है. जो हार्मोनल असंतुलन के कारण हो सकता है. मधुमेह, उच्च रक्तचाप और हृदय रोग वाले लोग इसकी चपेट में आ सकते हैं. यह महत्वपूर्ण है कि लोग संभावित हृदय समस्या के किसी भी प्रारंभिक चेतावनी संकेतों को अनदेखा न करें और समय पर चिकित्सा की सलाह ले. यह भी पढ़े: श्वेत रक्त कोशिकाएं कोविड की गंभीरता को कैसे दर्शाती है?
राजीव गर्ग, सीनियर कंसल्टेंट इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजिस्ट, अवेयर ग्लेनीगल्स ग्लोबल हॉस्पिटल का मानना है कि कुछ सरल लेकिन अत्यधिक प्रभावी कदम संभवत: युवा भारतीयों में दिल के दौरे के जोखिम को कम कर सकते हैं. भोजन की आदतों में नियमित रूप और संयम सबसे सरल लेकिन शक्तिशाली आदतें हैं, जिन्हें लोग अपने दिल के जोखिम को कम करने के लिए कर सकते हैं. प्रत्येक व्यक्ति का शरीर अलग होता है और तनाव को कम करने की एक अलग क्षमता होती है लेकिन उचित जीवन शैली को बनाए रखना और शारीरिक रूप से सक्रिय रहना है. इस जोखिम को कम करने के लिए सबसे अच्छा हो सकता है. डॉक्टर ने सलाह दी हैं कि लोगों को शुरूआती चेतावनी के संकेतों जैसे सांस फूलना, सीने में दर्द, अत्यधिक पसीना, चक्कर आना आदि को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए और समय पर चिकित्सा शुरू कर देना चाहिए. यह भी महत्वपूर्ण है कि मोटे व्यक्ति और पहले से मौजूद स्वास्थ्य जटिलताओं वाले लोग धूम्रपान छोड़ दें और शराब का सेवन बंद कर दें (यदि उनमें ये दोनों आदतें हैं). यह भी कहा कि 30 वर्ष से कम आयु के युवा, जिनका हृदय रोगों का पारिवारिक चलता आ रहा है,उनको नियमित रूप से चिकित्सा जांच करवाना चाहिए हैं.