Gudi Padwa 2021: गुड़ी पड़वा से संबंधित 12 पौराणिक तथ्य, जिन्हें जानकर आप भी हैरान रह जाएंगे
गुड़ी पड़वा 2021 (Photo Credits: File Image)

Gudi Padwa 2021: हिंदू धर्म के प्रमुख पर्वों में एक है गुड़ी पड़वा (Gudi Padwa), जो चैत्र मास शुक्लपक्ष की प्रतिपदा के दिन मनाया जाता है. महाराष्ट्र एवं गोवा में 'गुडी पड़वा' (Gudi Padwa) को नव वर्ष की तरह मनाया जाता है, विभिन्न राज्यों में गुड़ी पड़वा विभिन्न नामों से मनाया जाता है. मसलन कर्नाटक, आंध्र प्रदेश में 'उगादी' (Ugadi) के नाम से, केरल में 'संवत्सर पड़वो', कश्मीर में 'नवरेह' तो मणिपुर में 'सजिबु नोंगमा पानबा' नाम से सेलीब्रेट किया जाता है. ज्योतिषीय दृष्टिकोण से इस दिन को अत्यंत शुभकारी माना जाता है. मान्यता है कि भगवान ब्रह्मा ने इसी दिन सृष्टि का निर्माण किया था और सतयुग की शुरुआत हुई थी.

इस पर्व से जुड़े कुछ रोचक तथ्य

  • पौराणिक ग्रंथों के अनुसार प्रथम युग के रूप में सतयुग का आरंभ गुड़ी पाड़वा के दिन ही हुआ था.
  • गुड़ी पड़वा को महाराष्ट्र में नववर्ष की शुरुआत के रूप में मनाते हैं. इस दिन किसान नई फसलों की पूजा करते हैं.
  •  महान गणितज्ञ भास्कराचार्य के अनुसार चैत्र प्रतिपदा के दिन से ही दिन, मास, वर्ष एवं उगादि का आरंभ हुआ था.
  • मान्यता है कि चैत्र शुक्लपक्ष की प्रतिपदा के दिन भगवान राम ने बालि का वध कर दक्षिण भारत के लोगों को उसकी प्रताड़ना से हमेशा के लिए मुक्ति दिलायी थी, इसलिए महाराष्ट्र गुड़ी लटकाई जाती है.
  • गुड़ी पड़वा के दिन महाराष्ट्र एवं गोवा में लोग अपने-अपने घरों की साफ-सफाई करने के बाद घरों के बाहर रंगोली सजाते हैं. घर के मुख्य द्वार पर तोरण बांधते हैं, जिसे बंदनवार भी कहते हैं. महिलाएं घर के बाहर शुभता एवं विजय के प्रतीक स्वरूप आकर्षक गुड़ी लगाती हैं.
  • गुड़ी पड़वा के दिन विशेष पकवान के तौर पर पूरन पोली (गुड़, नीम, नमक एवं इमली के मिश्रण से) बना कर घर आये अतिथियों को खिलाया जाता है.
  • मान्यता है कि घरों में पूजा करके गुड़ी को इसलिए मुख्य द्वार पर बांधा जाता है, ताकि घर में नकारात्मक अथवा बुरी शक्तियां प्रवेश नहीं कर सकें, तथा घर-परिवार में खुशियां एवं समृद्धि का आगमन हो.
  • हिंदू धर्म के अनुसार इसी दिन भगवान ब्रह्मा ने भगवान विष्णु एवं मां भगवती के निर्देश पर सृष्टि का निर्माण किया था. यह भी पढ़ें: Gudi Padwa 2021: गुड़ी पड़वा पर अपने हाथो में रचाएं ये खूबसूरत मेहंदी डिजाइन, देखें Video
  • गुड़ी पड़वा पर्व की शुरुआत छत्रपति शिवाजी जी ने औरंगजेब की सेना को हराने के बाद गुड़ी पड़वा का पर्व पहली बार मनाया था, उसके बाद से आज तक यह पर्व उसी उत्साह एवं उमंग के साथ मनाया जाता है.
  • इस पर्व विशेष पर महाराष्ट्र एवं दक्षिण भारत के अधिकांश लोग नयी-नयी आयी नीम की पत्तियां खाते हैं, और खुद को रोगमुक्त मानते हैं. गौरतलब है कि नीम की पत्तियां खाने से रक्त स्वच्छ होता है, जिसकी वजह से ह्रदय, किडनी एवं लीवर सुचारु रूप से कार्य करता है.
  • देश के विभिन्न प्रदेशों में कश्मीर से कन्याकुमारी तक गुड़ी पड़वा को उगादी, छेती चांद इत्यादि नामों से मनाया जाता है. मणिपुर में इस दिन को स्थानीय परंपरानुसार मनाया जाता है.
  • हिंदू धर्मानुसार यह दिन अत्यंत शुभ एवं मंगलकारी होता है. इस दिन लोग सोना, चांदी, वाहन अथवा घर जैसी बड़ी वस्तुएं खरीदी जाती हैं, इसे शुभता का प्रतीक माना जाता है

नोट- इस लेख में दी गई तमाम जानकारियों को प्रचलित मान्यताओं के आधार पर सूचनात्मक उद्देश्य से लिखा गया है और यह लेखक की निजी राय है. इसकी वास्तविकता, सटीकता और विशिष्ट परिणाम की हम कोई गारंटी नहीं देते हैं. इसके बारे में हर व्यक्ति की सोच और राय अलग-अलग हो सकती है.