Geeta Jayanti 2023: कब है गीता जयंती? इस बार 3 महाशुभ योगों में मनाई जाएगी गीता जयंती! जीवन का यर्थाथ दर्शाते गीता के 5 महत्वपूर्ण श्लोक!

हिंदू धर्म में गीता जयंती का दिन आध्यात्मिक दृष्टिकोण से बहुत महत्वपूर्ण बताया गया है. गौरतलब है कि महाभारत के दौरान कुरुक्षेत्र के युद्ध में भगवान श्रीकृष्ण एवं अर्जुन के बीच हुई वार्तालाप ने भगवद् गीता को जन्म दिया था. गीता जयंती का पावन पर्व प्रत्येक वर्ष मार्गशीर्ष शुक्ल पक्ष की मोक्षदा एकादशी के दिन पड़ता है.

Geeta Jayanti 2023

हिंदू धर्म में गीता जयंती का दिन आध्यात्मिक दृष्टिकोण से बहुत महत्वपूर्ण बताया गया है. गौरतलब है कि महाभारत के दौरान कुरुक्षेत्र के युद्ध में भगवान श्रीकृष्ण एवं अर्जुन के बीच हुई वार्तालाप ने भगवद् गीता को जन्म दिया था. गीता जयंती का पावन पर्व प्रत्येक वर्ष मार्गशीर्ष शुक्ल पक्ष की मोक्षदा एकादशी के दिन पड़ता है. ज्योतिषियों के अनुसार गीता जयंती का दिन इतना महत्वपूर्ण होता है कि इस दिन पुण्यदायी कार्य करने से जातक को मोक्ष की प्राप्ति होती है. इस वर्ष 22 दिसंबर 2023 को गीता जयंती मनाई जाएगी. आइये जानते हैं गीता जयंती की मूल तिथि, शुभ योग और इस दिन किये जाने वाले शुभ कार्यों के बारे में विस्तार से..

गीता जयंती 2023 मूल तिथि एवं शुभ योग

मार्गशीर्ष शुक्ल पक्ष एकादशी प्रारंभः 08.15 AM (22 दिसंबर 2023, शुक्रवार)

मार्गशीर्ष शुक्ल पक्ष एकादशी समाप्तः 07.10 AM (23 दिसंबर 2023, शनिवार)

गीता जयंती पर बन रहे शुभ योग

इस वर्ष गीता जयंती पर तीन महाशुभ योग शिव योग, सर्वार्थ सिद्धि योग एवं रवि योग का संयोग बन रहा है. यह साल का सबसे छोटा दिन भी रहेगा. मान्यता है कि गीता जयंती पर इन शुभ योगों में गीता पाठ एवं भगवान श्रीकृष्ण की पूजा करने वालों के सारे काम पूरे होंगे.

जीवन के यर्थाथ को बताने वाले गीता के पांच महत्वपूर्ण श्लोक

भागवद् गीता में कुल 18 अध्याय और 700 श्लोक हैं, जो स्वयं श्रीकृष्ण के उद्घोष बताये जाते हैं. इन श्लोकों में मनुष्य की सभी की समस्याओं का समाधान निहित है, जिनका सामना मनुष्य के जीवन में आये दिन होता रहता है. गीता के इन उपदेशों का अनुसरण करने से जीवन की सभी समस्याओं का समाधान होता है. श्रीकृष्ण के अनुयायी गीता जयंती के दिन भागवद् गीता के महत्वपूर्ण श्लोकों का पाठ अवश्य करते हैं. आइये जानें गीता के ऐसे ही पांच श्लोकों के बारे में

गीता के श्लोक

कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन।,

मा कर्मफलहेतुर्भूर्मा ते सङ्गोऽस्त्वकर्मणि।।

भगवान श्रीकृष्ण कहते हैं, हे अर्जुन! कर्म करना तुम्हारा अधिकार है, लेकिन फल की इच्छा करना तुम्हारा अधिकार नहीं है, क्योंकि कर्म का फल देना भगवान का काम है.

चिन्तया जायते दुःखं नान्यथेहेति निश्चयी।

तया हीनः सुखी शान्तः सर्वत्र गलितस्पृहः॥

-चिंता करने से ही इंसान को दुःख मिलता है. इसलिए चिंता करने के बजाय इंसान को उस चिंता की मूल समस्या का समाधान निकालना चाहिए.

श्रद्धावान्ल्लभते ज्ञानं तत्पर: संयतेन्द्रिय:।

ज्ञानं लब्ध्वा परां शान्तिमचिरेणाधिगच्छति॥

-जो इंसान अपनी श्रद्धा-भक्ति के साथ मदद लेते हैं. उन्हें ज्ञान की प्राप्ति होती है. हर परेशानी में संयम रखना आवश्यक है. चाहे किसी भी तरह की स्थिति हो, भगवान का साथ न छोड़ें.

ध्यायतो विषयान्पुंसः सङ्गस्तेषूपजायते।

सङ्गात्संजायते कामः कामात्क्रोधोऽभिजायते॥

हे अर्जुन, किसी भी चीज के बारे में अधिक सोचने से इंसान को उससे लगाव हो जाता है, अधिक लगाव के कारण भौतिक इच्छा पूरी न हो तो उदासी और क्रोध का सामना करना पड़ता है.

जन्म कर्म च मे दिव्यमेवं यो वेत्ति तत्वतः ।

त्यक्तवा देहं पुनर्जन्म नैति मामेति सोऽर्जुन ॥

हे अर्जुन! मेरे जन्म और कर्म दिव्य अर्थात निर्मल और अलौकिक हैं- इस प्रकार जो मनुष्य तत्व से जान लेता है, वह शरीर को त्याग कर फिर जन्म को प्राप्त नहीं होता, किन्तु मुझे ही प्राप्त होता है॥

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