Ganeshotsav 2019: आज होगी डेढ़ दिन के बाप्पा की विदाई, ऐसे करें विसर्जन
हिंदू पंचांग के अनुसार भाद्रपद की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी से महाराष्ट्र समेत पूरे देश में हमेशा की तरह इस वर्ष भी गणपति बप्पा का धूमधाम से स्वागत हुआ. पूरा देश मानों गणपति बप्पा के रंग में रंग चुका था. जहां देखो ढोल, ताशे, मजीरे लेजिम की गूंज के बीच हर दिशाओं में ‘गणपति बप्पा मोरया मंगल मूर्ति मोरया जैसे नारों से गूंज रहा था.
Ganeshotsav 2019: हिंदू पंचांग के अनुसार भाद्रपद की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी से महाराष्ट्र समेत पूरे देश में हमेशा की तरह इस वर्ष भी गणपति बप्पा का धूमधाम से स्वागत हुआ. पूरा देश मानों गणपति बप्पा के रंग में रंग चुका था. जहां देखो ढोल, ताशे, मजीरे लेजिम की गूंज के बीच हर दिशाओं में ‘गणपति बप्पा मोरया मंगल मूर्ति मोरया जैसे नारों से गूंज रहा था. कहीं घर-घर पधारे बप्पा के लिए कलात्मक ढंग से सुसज्ज मंडप दिखे तो कहीं सार्वजनिक गणेशोत्सव मंडलों में कला और भव्यता का बेहतरीन तालमेल ने भी लोगों को खूब आकर्षित किया. शाम की आरतियों में तो मानों साक्षात भगवान गणेश पृथ्वी पर उतर आए से लग रहे थे. बहरहाल गणेशोत्सव की धूमधाम के बाद अब बप्पा की विदाई की बेला भी आ गई. वस्तुतः गणेशोत्सव के विधान के अऩुरूप गणेश चतुर्थी के बाद विषम दिनों में गणपति बप्पा के विसर्जन का सिलसिला भी शुरू हो जाता है. परंपरानुरूप भगवान गणेश जी की प्रतिमा का डेढ़ दिनों के बाद तीसरे, पांचवें, सातवें और 11 वें दिन विसर्जित किया जाता है. आज डेढ़ दिनों के बाद होने वाले पहले विसर्जन का दिन है. इस विसर्जन में गणेश भक्त भीगी आंखों से गणपति बप्पा मोरया अगले बरस तू जल्दी आ के नारे के साथ गणेश प्रतिमाओं का विसर्जन कर रहे हैं.
कैसे करें बप्पा का विसर्जन
गणेशोत्सव का आयोजन इतना सरल नहीं होता. क्योंकि घर पर पधारे बप्पा का बहुत सावधानी पूर्वक पूजा-अर्चना एवं रखरखाव किया जाता है. इसलिए अधिकांश घर परिवार वाले अपनी अपनी गणपति की प्रतिमा का विसर्जन भाद्रपद के शुक्लपक्ष की पंचमी से शुरू कर देते हैं. विदाई की यह बेला किसी भी परिवार के लिए अति संवेदनशील होता है. हर गणेश भक्त को भीगी आंखों से बप्पा की विदाई की इस परंपरा का निर्वाह करना होता है. जिस तरह गणपति के प्रतिमा का आगमन परंपरागत तरीकों गाजे-बाजे के साथ होता है, उसी तरह बप्पा की विदाई का भी नियमित विधान होता है. आइए जानें कैसे करें बप्पा की विदाई.
ऐसे करें बप्पा की विदाई
गणेश जी की प्रतिमा के विसर्जन से पूर्व उनकी विदाई की पूजा होती है. पूजा के पश्चात उनकी आरती उतारी जाती है. इसके पश्चात जिस स्थान पर गणेश जी की प्रतिमा को प्राण प्रतिष्ठा करके स्थापित किया गया है. उससे एक इंच आगे एक स्वच्छ चौकी रखें. चौकी का आकार गणेशजी की प्रतिमा के आकार के अनुरूप होनी चाहिए. चौकी पर स्वास्तिक का निशान बनाएं. उसके बाद उस पर अक्षत एवं शुद्ध जल का छिड़काव करे उस पर लाल रंग का नया वस्त्र बिछाएं. इस चौकी पर फूल, सुपारी, पान इत्यादि चढ़ाएं. अब जिस जगह पर गणेश जी की प्रतिमा रखी हुई है, उसे धीमे से अपनी जगह से हिलाएं. विसर्जन से पूर्व यह प्रक्रिया अत्यंत आवश्यक है.
अब गणपति बप्पा की जय जयकार करते हुए प्रतिमा को उठाकर आहिस्ते से तैयार किए गए चौकी पर रख दें. चौकी पर गणेश जी की प्रतिमा पर शुद्ध जल का छिड़काव करें. अक्षत एवं प्रसाद के साथ उनकी पूजा अर्चना करके उन्हें जनेऊ पहनाएं. प्रसाद में मोदक अवश्य चढ़ाना चाहिए. अब गाजे-बाजे के साथ गणपति की सवारी किसी सरोवर अथवा नदी के किनारे ले जाएं. यहां पर गणपति की लौंग, कपूर और प्रज्जवलित दीप से आरती उतारें. साथ ही पूजा-प्रतिष्ठान में हुई जाने-अनजाने गल्तियों के लिए क्षमा मांगें. ‘अब गणपति बप्पा मोरया अगले बरस तू जल्दी आ’ के आमंत्रण के साथ प्रतिमा को पानी में विसर्जित कर दें.