World Water Day 2023: ‘जल है तो जीवन है’! भारत में जल का ज्यादा होता है दुरुपयोग! जल संरक्षण हेतु लें ये 5 संकल्प!
विश्व जल दिवस 2024 (Photo Credits: File Image)

हम सभी के जीवन में जल के महत्व को इसी से समझा जा सकता है कि पृथ्वी पर 71 प्रतिशत जल होने के बावजूद हमारे पास पेयजल की मात्रा केवल 3 प्रतिशत है. कई देश ऐसे हैं, जहां लोग पीने के पानी के लिए कड़ी मशक्कत के बावजूद पेयजल के लिए तरसते हैं. वहीं ऐसे लोगों की भी कमी नहीं है, जहां लोग भारी मात्रा पानी का दुरुपयोग करते है. जल के महत्व को समझने और इसके संरक्षण के लिए प्रत्येक वर्ष दुनिया भर में 22 मार्च को विश्व जल दिवस मनाया जाता है. आज हम विश्व जल दिवस के अवसर पर इसके इतिहास के साथ-साथ जल के महत्व, जल संरक्षण और जल के दुरुपयोग आदि मुद्दों पर बात करेंगे. World Meteorological Day 2024: कब और क्यों मनाया जाता है मौसम विज्ञान दिवस? जानें इसका इतिहास, महत्व एवं मौसम वैज्ञानिकों की कार्य पद्धति!

विश्व जल दिवस का इतिहास

साल 1992 में रियो डी जनेरियो (ब्राजील) में पर्यावरण एवं विकास पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन का आयोजन किया गया. इस आयोजन में पहली बार विश्व जल दिवस का प्रस्ताव पारित किया गया था. इसके एक साल बाद यानी 1993 में संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 22 जनवरी को विश्व जल दिवस के रूप में मनाने की प्रक्रिया शुरू हुई. इसके बाद से प्रत्येक वर्ष 22 जनवरी को विश्व जल दिवस मनाया जा रहा है. इसका मुख्य उद्देश्य लोगों को जल संरक्षण के महत्व को समझने और इससे संबंधित अभियान से जुड़कर जन जागरण हेतु प्रेरित करना था, ताकि सभी  पेयजल का अपनी जरूरत के अनुरूप उपयोग करें, और आने वाली पीढ़ी के लिए जल संचय किया जा सके.

अनावश्यक पानी खर्च करते हैं भारतीय!

जल विशेषज्ञों की मानें तो भारत की असीमित जनसंख्या और सीमित जल संसाधन को देखते हुए आने वाली पीढ़ी के लिए पेयजल बड़ा संकट बन सकता है. विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार प्रति व्यक्ति पेयजल के लिए प्रत्येक दिन लगभग 25 से 27 लीटर जल पर्याप्त है, लेकिन भारत के महानगरों, दिल्ली और मुंबई नगर निगम द्वारा प्रतिदिन 150 लीटर से ज्यादा पेयजल मुहैया करवाया जाता है. दिल्ली की बात करें तो यहां प्रति व्यक्ति पानी की खपत करीब 226 लीटर है, इसकी मुख्य वजह पानी की बर्बादी और औद्योगिक खपत, तथा घरों में पानी के उपयोग की कोई मानक सीमा नहीं होना भी है. इस पर नियंत्रण के लिए उपभोक्ता को ही सोचना होगा.

जल बचत के लिए सभी को लेना होगा ये पांच संकल्प!

* प्रतिदिन जरूरत के अनुरूप ही जल का प्रयोग करना है.

* वृक्षों की अनावश्यक कटाई रोकें. क्षेत्र के विकास हेतु वृक्ष हटाना है, तो वृक्ष कटवाने वाले व्यक्ति अथवा सरकारी-गैर सरकारी संस्थान को बदले में 15 वृक्षों के पौधे रोपने आवश्यक हों. (हालांकि यह कानून है, मगर इसका अनुपालन नहीं किया जाता) ऐसा करने से ही भूजल स्तर बना रहेगा.

* पानी की हर बूंदों का सदुपयोग करें, मसलन चावल-दाल धोने से बचने वाले जल को पेड़ों में डाले. नल के लीकेज को बंद करें. टूथ-ब्रश करते समय नल जरूरत के समय ही खोलें.

* बारिश के पानी का संचय करें.

* जन्म-दिन पर एक पेड़ बोने की आदत डालें.