Video: त्रिशूर पूरम उत्सव के मुख्य रस्म में शामिल हुआ केरल का सबसे ऊंचा 54 वर्षीय हाथी, एक कार्यक्रम में 2 लोगों के मारे जाने के बाद इस पर लगाया गया था प्रतिबंध
केरल का त्रिशूर पुरम उत्सव (Photo Credits: ANI)

त्रिशूर पुरम (Thrissur Pooram festival)  केरल (Kerala) में हिंदुओं का एक प्रमुख त्योहार माना जाता है. त्रिशूर नगर का यह भव्य उत्सव केरल के लोगों को खासा आकर्षित करता है. इस वार्षिक उत्सव को थेक्किनाडु मैदान पर्वत पर स्थित वडक्कुन्नाथन मंदिर में नगर के बीचोबीच आयोजित किया जाता है. इस प्रचलित उत्सव के मुख्य रस्म में 54 वर्षीय हाथी तेचीक्कोत्तकावु रामचंद्रन (Thechikottukavu Ramachandran) ने हिस्सा लिया. बता दें कि केरल के इस सबसे ऊंचे गजराज (Elephant) की फिटनेस को जांचने के लिए डॉक्टरों ने कुछ मेडिकल टेस्ट किए, जिसमें सफल होने के बाद डॉक्टरों ने इस हाथी को त्रिशूर पुरम उत्सव में हिस्सा लेने के लिए सशर्त इजाजत दी.

तीन पशु चिकित्सकों की एक टीम ने इस 54 वर्षीय हाथी को मेडिकल जांच के बाद अनुमति दी है. टीम ने त्रिशूर कलेक्टर टी वी अनुपमा को रिपोर्ट सौंपकर कहा था कि हाथी पूरम त्योहार की महत्वपूर्ण रस्म में भाग लेने के लिए फिट है. बता दें कि पुरम पर्व का मुख्य कार्यक्रम साढ़े 10 फुट ऊंचे हाथी द्वारा प्राचीन वडक्कुन्नाथन मंदिर के दक्षिणी मुख्य द्वार को खोलने से शुरु होता है.

कहा जाता है कि इस दौरान हाथी पर भगवान की मूर्ति रखी जाती है. जिसे इस महोत्सव की शुरुआत की प्रतीक माना जाता है. साल 2014 से हाथी यह रस्म निभा रहा है और राज्य में उसके बहुत प्रशंसक हैं, लेकिन इस साल फरवरी में गुरुवायुर में एक समारोह के दौरान हाथी के हमले में दो लोगों की मौत हो गई थी, जिसके बाद जिला प्रशासन ने इनकी भागीदारी पर प्रतिबंध लगा दिया था.

उत्सव के प्रमुख रस्म को निभाता हुआ हाथी 

सामाजिक व धार्मिक उत्सव है त्रिशूर पुरम

त्रिशूर पुरम केरल के नगर त्रिशूर का एक सामाजिक और धार्मिक उत्सव है, जो करीब आठ दिनों तक चलता है. इस वार्षिक उत्सव को यहां के हिंदू समुदाय के लोग प्रथम मलयालम महीना मेड़म में मनाते हैं. इस साल यह उत्सव 13 मई को मनाया जा रहा है. त्रिशूर पुरम की शुरुआत पूर्व कोच्चि राज्य के महाराज सकथान थामपुरन ने की थी. इस भव्य रंगीन मंदिर महोत्सव को नगर के एक प्राचीन वडक्कुमनाथ मंदिर के प्रांगण में आयोजित किया जाता है. इस उत्सव में त्रिसूर के त्रिरूवामबाड़ी कृष्ण मंदिर, पारामेकावु देवी मंदिर, वड़ाकुंठा मंदिर के साथ-साथ आसपास के सात मंदिर हिस्सा लेते हैं. यह भी पढ़ें: Ganga Saptami 2019: गंगा सप्तमी के दिन भगवान शिव की जटा से धरती पर आई थीं मां गंगा, भागीरथ की तपस्या से हुई थीं प्रसन्न

हाथियों का प्रदर्शन है इस महोत्सव का आकर्षण

इस उत्सव में आभूषणों से सुसज्जित हाथियों का प्रदर्शन लोगों के आकर्षण का केंद्र माना जाता है. केरल के पारंपरिक गीत-संगीत और नृत्य के साथ इन हाथियों का प्रदर्शन उत्सव में चार चांद लगाते हैं. दरअसल, हर मंदिर समूह को 15 हाथियों को एक साथ प्रदर्शित करने की इजाजत होती है. सबसे खास बात तो यह है कि मंदिरों द्वारा प्रदर्शन की सारी तैयारियां गुप्त तरीके से की जाती हैं, ताकि उनकी तैयारियों की भनक दूसरे मंदिर समूह को न लग सके.