Vishwakarma Jayanti 2021 Wishes & Images: वैसे तो पूरे देश में हर साल 16 या 17 सितंबर को विश्वकर्मा पूजा (Vishwakarma Puja) का पर्व मनाया जाता है, लेकिन हर साल माघ मास के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को देश में विश्वकर्मा जयंती (Vishwakarma Jayanti) मनाई जाती है. ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार, आज (25 फरवरी 2021) विश्वकर्मा जयंती का पर्व बहुत ही श्रद्धाभाव से मनाया जा रहा है. भगवान विश्वकर्मा (Bhagwan Vishwakarma) को देवताओं का शिल्पकार माना जाता है और उन्हें धरती का पहला इंजीनियर भी कहा जाता है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार उन्होंने ही देवताओं के घर, नगर, अस्त्र-शस्त्र इत्यादि का निर्माण किया था. विश्वकर्मा जयंती पर कार्य स्थलों पर मशीनों और उपकरणों की पूजा करने से कारोबार में मुनाफा होता है, साथ ही धन-संपदा में भी बढ़ोत्तरी होती है.
विश्वकर्मा जयंती पर भगवान विश्वकर्मा की विधिवत पूजा-अर्चना करने से व्यापार में आ रही बाधाओं को दूर किया जा सकता है और उनकी कृपा से सारे कष्टों का निवारण हो जाता है. इस बेहद शुभ घड़ी पर आप अपने दोस्तों-रिश्तेदारों को विश्वकर्मा जयंती के इन मनमोहक विशेज, इमेजेस, एचडी फोटोज, जीआईएफ, वॉलपेपर्स और वॉट्सऐप स्टिकर्स के जरिए शुभकामनाएं दे सकते हैं.
1- जिन्हें कर्म में विश्वास है,
विश्वकर्मा जी उनके पास हैं,
सदकर्म करते रहते हैं वो पावन धरा पर,
शरीर में उनके जब तक अंतिम सांस है.
विश्वकर्मा जयंती की शुभकामनाएं
2- जय-जय श्री भुवना विश्वकर्मा,
कृपा करे श्री गुरुदेव सुधर्मा,
श्रीव अरु विश्वकर्मा माहि,
विज्ञानी कहे अंतर नाहि.
हैप्पी विश्वकर्मा जयंती
3- करते पूजा हम प्रभु विश्वकर्मा की,
सदा हम पर इनायत रहे मेरे खुदा की,
जन्म-जन्म से हम उनको करते याद,
दिल से हरदम करते विश्वकर्मा की फरियाद.
विश्वकर्मा जयंती की शुभकामनाएं
4- अद्भुत सकल सृष्टी कर्ता,
सत्य ज्ञान सृष्टी जग हित धर्ता,
अतुल तेज तुम्हारो जगमाही,
कोई विश्वमही जानत नाही.
हैप्पी विश्वकर्मा जयंती
5- विश्वा विश्वकर्मा प्रभु मेरे,
हो प्रसन्न हम बालक तेरे,
आप सदा रहें इष्टदेव हमारे,
वास करें प्रभु मन में सदा हमारे.
विश्वकर्मा जयंती की शुभकामनाएं
6- विश्वकर्मा की करो जयकार,
करते सब पर सदा ही उपकार,
इनकी महिमा सबसे है न्यारी,
हे भगवान अर्ज सुन लो हमारी.
हैप्पी विश्वकर्मा जयंती
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान विश्वकर्मा ने स्वर्ग लोक, द्वारिका, इंद्रपुरी, हस्तिनापुर, जगन्नाथपुरी, लंका, श्रीहरि के सुदर्शन चक्र, भगवान शिव के त्रिशूल और अन्य देवताओं के सभी अस्त्र-शस्त्रों का निर्माण किया था. उन्हें वास्तुदेव का पुत्र भी माना जाता है.
विश्वकर्मा जयंती के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नानादि से निवृत्त होकर पूजा स्थल पर एक चौकी पर साफ वस्त्र बिछाकर भगवान विश्वकर्मा की प्रतिमा स्थापित करनी चाहिए. इसके बाद हाथों में फूल और अक्षत लेकर सबसे पहले गणेश जी फिर विश्वकर्मा जी का ध्यान करना चाहिए. इसके बाद फल, फूल, धूप-दीप और मिठाई इत्यादि से उनकी विधिपूर्वक पूजा करनी चाहिए. इसके साथ ही कार्यस्थल के साथ-साथ मशीनों और औजारों की पूजा करनी चाहिए.