Vinayak Ganesh Chaturthi 2021: वैशाख विनायक गणेश चतुर्थी के व्रत से पूरी होती है हर मनोकामना, जानें पूजा विधि और रोचक कथा
प्रतिकात्मक तस्वीर (Photo Credits: Pixabay)

Vinayak Ganesh Chaturthi 2021: हिंदू पंचांग के अनुसार, प्रत्येक माह शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को विनायक चतुर्थी (Vinayak Chaturthi) के नाम से जाना जाता है. विनायक चतुर्थी अमूमन प्रत्येक अमावस्या के बाद पड़ती है, जबकि पूर्णिमा के पश्चात आनेवाली चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी (Sankashti Chaturthi) कहते हैं. विनायक चतुर्थी के दिन भगवान गणेश (Lord Ganesha) की विधिवत तरीके से पूजा करने से मंगलकारी परिणाम मिलते हैं. मान्यता है कि विनायक चतुर्थी के दिन गणेशजी की पूजा करने से हर मनोकामनाएं पूरी होती हैं, तथा गणेशजी की कृपा से जातक को ज्ञान एवं धैर्य की प्राप्ति होती है. वैशाख विनायक चतुर्थी के दिन गणेशजी की विधिवत पूजा के बाद कथा सुनना या सुनाना अत्यंत लाभकारी माना जाता है.

विनायक चतुर्थी का महात्म्य

सनातन धर्म में भगवान श्रीगणेश को बल और बुद्धि का देव माना गया है. श्रीगणेश सभी देवों में प्रथम पूज्य माने गये हैं. इनकी पूजा-अर्चना से सभी कार्य बिना निर्विघ्न पूरे हो जाते हैं. साथ ही गणेशजी का आशीर्वाद भी प्राप्त होता है. चतुर्थी के दिन व्रत एवं पूजा करने से जातक के जीवन में सुख, समृद्धि और शुभता का वास होता है. जीवन के बड़े से बड़े संकट टल जाते हैं, साथ ही नकारात्मकता समाप्त होती है और तरक्की के द्वार खुल जाते हैं.

विनायक चतुर्थी का शुभ मुहूर्त

विनायक चतुर्थी- 15 मई (शनिवार) 2021

चतुर्थी आरंभ- 07.59 बजे (15 मई) से

चतुर्थी समाप्त प्रात- 10.00 बजे (16 मई)

पूजा का शुभ मुहूर्त- दिन 10.56 मिनट से दोपहर 01.39 मिनट तक

व्रत एवं पूजा विधि

विनायक चतुर्थी के दिन प्रातःकाल सूर्योदय से पूर्व स्नान-ध्यान कर स्वच्छ वस्त्र पहनकर श्रीगणेश जी के व्रत का संकल्प लेकर व्रत प्रारंभ करें. इस व्रत में लाल अथवा पीले रंगे का वस्त्र पहनें. पूजा के मंदिर की सफाई करें. मंदिर की स्थापना ऐसी दिशा में होनी चाहिए ताकि पूजा करते समय आपका मुख उत्तर या पूर्व दिशा की ओर हो. पूजा शुरु करने से पूर्व गणेशजी की प्रतिमा को गंगाजल से स्नान कराकर धूप एवं शुद्ध घी का दीप प्रज्जवलित कर उनका आह्वान करें. पूजा के लिए केला, मोदक अथवा लड्डू, अक्षत, दूब, लाल पुष्प, रोली, मौली, गुड़ एवं तांबे के लोटे में जल लेकर बैठें. पूजा शुरु करते हुए गणेशजी की स्तुति इस श्लोक से करें

वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ।

निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥

श्लोक पढ़ते हए पूजा की सारी सामग्री एक-एक कर श्रीगणेश जी को अर्पित करते जायें. इसके पश्चात भगवान गणेश की वैशाख विनायक चतुर्थी की कथा सुनें और सुनाएं. अंत श्रीगणेश जी की आरती उतारें और उन्हें चढ़ा हुआ प्रसाद लोगों में वितरित करें. ऐसा करने से भगवान श्रीगणेश आपकी सारी मनोकामनाएं पूरी करते हैं.

शाम के समय दुबारा श्रीगणेश जी की पूजा करें एवं आरती गायें. इसके बाद चंद्रोदय पर चंद्रमा का दर्शन कर उन्हें अर्घ्य देंने के बाद ब्राह्मण को दान-दक्षिणा दें और व्रत का पारण करें. यह भी पढ़ें: Vinayaka Chaturthi 2021: आज है विनायक चतुर्थी, जानें शुभ मुहूर्त, भगवान गणेश की पूजा विधि, चंद्रोदय का समय और इसका महत्व

विनायक चतुर्थी कथा

एक बार माता पार्वती और भगवान शिव नर्मदा नदी तट पर चौपड़ खेल रहे थे. विजेता का फैसला करने के लिए शिवजी ने एक पुतला बनाकर उसमें प्राण फूंककर कहा, तुम विजेता का फैसला करोगे. इसके बाद पार्वतीजी और शिवजी चौपड़ खेलने लगे. इनके बीच तीन बार चौपड़ का खेल हुआ. तीनों बार पार्वतीजी विजयी हुईं, लेकिन बालक ने विजेता के रूप में शिवजी का नाम लिया. बालक के असत्य से क्रोधित होकर पार्वतीजी ने उसे श्राप दिया कि वह लंगड़ा होकर कीचड़ में पड़ा रहेगा.

बालक ने माता पार्वती से क्षमा मांगते हुए कहा, हे माँ मुझसे भूलवश ऐसा हो गया. तब माता पार्वती ने उसे श्रापमुक्त होने का उपाय बताया कि जब नागकन्याएं यहां गणेशजी की पूजा करने आएंगी, तब उनके कहे अनुसार गणेशजी व्रत करने से तुम्हें मेरे श्राप से मुक्ति मिलेगी. एक वर्ष बाद गणेशजी की पूजा करने नागकन्याएं आईं, तो नाग कन्याओं के अनुसार बालक ने 21 दिन सच्चे मन से गणेशजी का व्रत एवं पूजा किया. बालक की श्रद्धा देखकर गणेशजी ने उसे दर्शन देते हुए वरदान मांगने को कहा. बालक ने अपने पैरों को स्वस्थ होने को कहा. गणेशजी ने उसकी सारी इच्छाओं को पूरी किया.