Varuthini Ekadashi 2024 Wishes in Hindi: जगत के पालनहार भगवान विष्णु (Bhagwan Vishnu) को एकादशी (Ekadashi) तिथि अत्यंत प्रिय है, इसलिए इस दिन श्रीहरि के भक्त व्रत रखकर विधिवत उनका पूजन करते हैं. वैसे तो हर महीने दो एकादशी तिथियां आती हैं और हर एकादशी का अपना एक अलग महत्व होता है. हिंदू पंचांग के अनुसार, वैशाख मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को वरुथिनी एकादशी (Varuthini Ekadashi) का व्रत किया जाता है, जो इस बार 4 मई को 2024 को है. इस दिन श्रीहरि के भक्त जीवन में सुख-शांति और समृद्धि पाने के लिए भगवान विष्णु के साथ माता लक्ष्मी (Mata Lakshmi) की पूजा करते हैं. कहा जाता है कि इस दिन व्रत रखकर श्रीहरि और माता लक्ष्मी की पूजा करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं.
वरुथिनी एकादशी के दिन जल के दान का विशेष महत्व बताया जाता है, क्योंकि इस दौरान गर्मी चरम पर होती है. ऐसी मान्यता है कि इस दिन जल से भरा मटका दान करने और राहगीरों के लिए सार्वजनिक स्थानों पर प्याऊ लगवाने से कई जन्मों के पाप नष्ट होते हैं, साथ ही लक्ष्मी-नारायण की कृपा प्राप्त होती है. इस अवसर पर आप इन भक्तिमय हिंदी विशेज, कोट्स, वॉट्सऐप मैसेजेस, फेसबुक ग्रीटिंग्स को भेजकर वरुथिनी एकादशी की शुभकामनाएं दे सकते हैं.
1- आपके परिवार में सुख, शांति और समृद्धि आए,
भगवान आपको यश और कीर्ति दें…
वरुथिनी एकादशी की शुभकामनाएं
2- ॐ नमो नारायण।
श्री मन नारायण नारायण हरि हरि।
वरुथिनी एकादशी की शुभकामनाएं
3- शान्ताकारं भुजगशयनं पद्नानाभं सुरेशं।
विश्वधारं गगनसद्शं मेघवर्णं शुभाड्गमं।
लक्ष्मीकांत कमलनयनं योगिभिर्ध्यानगम्यं।
वंदे विष्णु भवभयहरं सर्वलोकैकनाथम्।
वरुथिनी एकादशी की शुभकामनाएं
4- ॐ श्री विष्णवे च विद्महे वासुदेवाय धीमहि।
तन्नो विष्णुः प्रचोदयात्॥
वरुथिनी एकादशी की शुभकामनाएं
5- श्रीहरि विष्णु है जिनका नाम,
बैकुंठ है उनका धाम,
वो जगत के हैं पालनहार,
उन्हें शत-शत नमन है बार-बार.
वरुथिनी एकादशी की शुभकामनाएं
प्रचलित मान्यताओं के अनुसार, वरुथिनी एकादशी का व्रत करने से मनुष्य सब पापों से मुक्त होकर मृत्यु के बाद विष्णुलोक में स्थान पाता है. कहा जाता है कि जितना पुण्य कन्यादान और अनेक वर्षों तक तप करने पर मिलता है, उतना ही पुण्य वरुथिनी एकादशी का व्रत करने से प्राप्त होता है. यह एकादशी सौभाग्य देने वाली, सब पापों को नष्ट करने वाली और मृत्यु के पश्चात मोक्ष दिलाने वाली मानी जाती है. इस दिन भगवान विष्णु की विधिवत पूजा-अर्चना करनी चाहिए, फिर द्वादशी तिथि को ब्राह्मणों को भोजन कराने और दक्षिणा देने के बाद अपने व्रत का पारण करना चाहिए.