Tanaji Malusare Death Anniversary 2022: तानाजी मालुसरे की पुण्यतिथि, इन WhatsApp Stickers, Facebook Messages, HD Images के जरिए करें उन्हें याद
तानाजी मालुसरे पुण्यतिथि (Photo Credits: File Image)

Tanaji Malusare Death Anniversary 2022: मराठा साम्राज्य के महान राजा और वीर योद्धा छत्रपति शिवाजी महाराज (Chhatrapati Shivaji Maharaj) के बचपन के दोस्त व वीर मराठा योद्धा तानाजा मालुसरे (Tanaji Malusare) की आज यानी 4 फरवरी को पुण्यतिथि (Tanaji Malusare Death Anniversary) मनाई जा रही है. 1670 ई. में सिंहगढ़ की लड़ाई में अहम भूमिका निभाने वाले तानाजी मालुसरे का निधन 4 फरवरी 1670 को हुआ था. छत्रपति शिवाजी महाराज के आदेश पर ही तानाजी ने मुगलों के खिलाफ सिंहगढ़ का युद्ध लड़ा था और इस किले पर जीत भी हासिल की, लेकिन इस जीत के लिए उन्हें अपने प्राणों का बलिदान देना पड़ा. बताया जाता है कि सिंहगढ़ का किला रणनीतिक रूप से काफी महत्वपूर्ण था, इसलिए मुगल इस पर फतह पाना चाहते थे, लेकिन तानाजी ने उन्हें कामयाब नहीं होने दिया.

सिंहगढ़ के किले पर विजय पाने के लिए अपने प्राणों को न्योछावर करने वाले तानाजी मालुसरे का नाम महाराष्ट्र के इतिहास में बड़े ही गर्व से लिया जाता है. हर साल 4 जनवरी को इस वीर मराठा योद्धा की पुण्यतिथि पर उनके बलिदान को याद कर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की जाती है. ऐसे में आप भी इन वॉट्सऐप स्टिकर्स, फेसबुक मैसेजेस, एचडी इमेजेस को अपनों के साथ शेयर करके उन्हें याद कर सकते हैं.

1- तानाजी मालुसरे पुण्यतिथि

तानाजी मालुसरे पुण्यतिथि (Photo Credits: File Image)

2- तानाजी मालुसरे पुण्यतिथि

तानाजी मालुसरे पुण्यतिथि (Photo Credits: File Image)

3- तानाजी मालुसरे पुण्यतिथि

तानाजी मालुसरे पुण्यतिथि (Photo Credits: File Image)

4- तानाजी मालुसरे पुण्यतिथि

तानाजी मालुसरे पुण्यतिथि (Photo Credits: File Image)

5- तानाजी मालुसरे पुण्यतिथि

तानाजी मालुसरे पुण्यतिथि (Photo Credits: File Image)

गौरतलब है कि तानाजी मालुसरे का जन्म  1626 ई. में महाराष्ट्र के सातारा जिले के गोडोली में हुआ था. वो शिवाजी महाराज के बचपन के दोस्त थे और उनके साथ खेला करते थे. शिवाजी महाराज का मान रखने के लिए उन्होंने अपने बेटे रायबा की शादी जैसे महत्वपूर्ण कार्य को छोड़कर कोंढाणा किला जीतना ज्यादा जरूरी समझा. सिंहगढ़ किले पर फतह पाने और उनके बलिदान की खबर सुनने के बाद शिवाजी महाराज ने कहा था कि किला तो जीत लिया, लेकिन मेरा शेर चला गया.