इस वर्ष का दूसरा सूर्य ग्रहण आषाढ़ मास की अमावस्या के दिन अर्थात 2 जुलाई की मध्यरात्रि से शुरू हो जायेगा. सूर्यग्रहण आधी रात में होने के कारण भारत में नहीं देखा जा सकेगा. लेकिन ऐसा कहा जाता है कि सूर्य के संभावित दुष्प्रभाव से बचने के लिए कुछ कारगर उपाय अवश्य करनी चाहिए. 2 जुलाई की रात से लगने वाले इस खग्रास सूर्यग्रहण का सूतक 12 घंटे पहले यानी दिन में 10 बजकर 25 मिनट से शुरू हो जायेगा, लेकिन भारत में ग्रहण नहीं होने के कारण ग्रहण के सूतक का प्रभाव उन्हीं स्थानों पर होता है, जहां ग्रहण के दौरान सूर्य या चंद्रमा की रोशनी पड़ती है.
ज्योतिषियों का कहना है कि ग्रहण कहीं भी लगे, लेकिन भिन्न-भिन्न राशियों पर इसका असर पड़ सकता है. अपनी राशि को ग्रहण के अशुभ प्रभाव से बचाने के लिए अपनी सामर्थ्यनुसार अनाज-धन-वस्त्र आदि का दान कर सकते हैं. 3 जुलाई को सूर्योदय से पूर्व स्नान करके सूर्योदय की पहली किरण को जल चढ़ाकर अपने कुल देवी-देवता की पूजा करें. यह भी पढ़ें: Surya Grahan 2019: जानिए भारत में कहां और कैसे लाइव देख पाएंगे सूर्य ग्रहण
ऐसा करने से ग्रहण के दुष्प्रभाव से बचा जा सकता है
- सूर्य ग्रहण लगने और खत्म होने के दौरान सूर्य मन्त्र ‘ॐ ह्रीं घृणिः सूर्य आदित्यः क्लीं ॐ’ के अलावा ‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाय’ मंत्र का धीमे-धीमे मगर शुद्ध जाप करें. संयम के साथ जप-ध्यान करने से कई गुना फल होता है.
- ग्रहण काल के दौरान कमाया गया पुण्य अक्षय होता है. इसका पुण्य प्रताप अवश्य प्राप्त होता है.
- पुराणों के अनुसार ग्रहण के समय में स्नान, करते समय में देव-पूजन और श्राद्ध तथा अंत में वस्त्रसहित स्नान करना चाहिए.
- ग्रहण के खत्म होने के पश्चात सूर्यदेव की मूल छाया देखकर ही भोजन करना पुण्यदायक होता है.
- ग्रहण की अवधि में गर्भवती माताओं को ‘संतान गोपाल मंत्र’ का जाप करना चाहिए. इस मंत्र के जाप से गर्भवती को सुरक्षित एवं गुणवान पुत्र की प्राप्त होता है. ‘संतान गोपाल मंत्र’ निम्नवत है.
देवकीसुत गोविंद, वासुदेव जगत्पते,
देहि में तनयं कृष्ण त्वामहं शरणं भजे।
देव देव जगन्नाथ गोत्रवृद्धिकरं प्रभो,
देहि में तनयं शीघ्रं, आयुष्मन्तं यशस्विनम्।।
अर्थात, - हे जगत्पति भगवान कृष्ण! मैं आपकी शरण में हूं, मुझे मेरे गोत्र को आगे बढ़ाने वाला और यशस्वी पुत्र प्रदान करें. यह भी पढ़ें: Surya Grahan 2019: 2 जुलाई को साल का दूसरा सूर्य ग्रहण, भारत में नहीं आएगा नजर, फिर भी गर्भवती महिलाएं रहें सावधान
- सूर्य ग्रहण के दौरान फूल, पत्ते, लकड़ी आदि नहीं तोड़ने चाहिए. इस दिन न बाल धोने चाहिए ना ही वस्त्र. ग्रहण के समय सोना, शौच, खाना, पीना, किसी भी तरह के वस्तु की खरीदारी से बचना चाहिए.
- देवी भागवत के अनुसार भूकंप एवं ग्रहण के अवसर पर पृथ्वी को बिलकुल भी नहीं खोदना नहीं चाहिए, ऐसा करने या कराने वाले के सामने अपार संकट आ सकती है.
- सूर्य ग्रहण के समय कोई नया अथवा शुभ कार्य नहीं शुरू करना चाहिए. ऐसा करने से केवल असफलता अथवा नुकसान ही होता है.
- सूर्य ग्रहण के दौरान जहां तक संभव हो घर से बाहर नहीं निकलना चाहिए. न ही बिना पुरोहित से पूछे ग्रहण के दर्शन करने चाहिए. गर्भवती महिला को इस दौरान विशेष सावधानी बरतनी चाहिए. गर्भवती महिलाओं को ग्रहण का दर्शन बिलकुल ही त्याज्य है. गर्भवती स्त्री को ग्रहण नहीं देखना चाहिए, क्योंकि उसके दुष्प्रभाव से शिशु विकलांग पैदा हो सकता है. कभी-कभी गर्भपात की संभावना भी बढ़ जाती है. अच्छा होगा अगर गर्भवती के पेट वाले भाग पर गोबर और तुलसी का लेप लगा दिया जाये, ताकि राहू अथवा केतू उसे स्पर्श न कर सके.
- जिन माता-पिता की संतान होती हैं, उन्हें ग्रहण के दिन व्रत नहीं रखना चाहिए.
- ग्रहण के समय क्रोध, हिंसा या किसी को बेवकूफ बनाने जैसे कार्यों से बचना चाहिए. ऐसा करने से चिरकाल तक नरक में भटकना पड़ता है. कहा जाता है कि ऐसा करने वाले को सर्प का जन्म प्राप्त होता है.
- सूर्यग्रहण में बाल अथवा दाढ़ी नहीं कटवानी चाहिए, ना ही बालों अथवा हाथों में मेहंदी लगवानी चाहिए.
- सर्यग्रहण के दरम्यान उधार लेन-देन से बचना चाहिए. उधार लेने से दरिद्रता आती है और उधार देने से लक्ष्मी नाराज होती हैं.
गौरतलब है ग्रहण काल के दौरान इन बातों को ध्यान में रखकर और इनका पालन करके इसके दुष्प्रभावों से बचा जा सकता है.
नोट- इस लेख में दी गई तमाम जानकारियों को प्रचलित मान्यताओं के आधार पर सूचनात्मक उद्देश्य से लिखा गया है और यह लेखक की निजी राय है. इसकी वास्तविकता, सटीकता और विशिष्ट परिणाम की हम कोई गारंटी नहीं देते हैं. इसके बारे में हर व्यक्ति की सोच और राय अलग-अलग हो सकती है.