Sita Navami 2020 Wishes & HD Images: सीता नवमी पर प्रियजनों को भेजें ये WhatsApp Stickers, Facebook Greetings, Photo SMS, Quotes, Wallpapers और मनाएं माता जानकी का जन्मोत्सव
इस साल लॉकडाउन के बीच माता सीता का जन्मोत्सव मनाया जा रहा है, लेकिन आप सोशल मीडिया के जरिए शुभकामना संदेश भेजकर अपनों को इस पर्व की बधाई जरूर दे सकते हैं. जानकी नवमी के खास अवसर पर प्रियजनों को इन शानदान वॉट्सऐप स्टिकर्स, फेसबुक ग्रीटिंग्स, एचडी इमेज, विशेज, फोटो एसएमएस, कोट्स और वॉलपपेर्स के जरिए सीता नवमी की शुभकामनाएं दे सकते हैं.
Happy Sita Navami 2020 Wishes: पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को माता सीता (Mata Sita) का प्राकट्य हुआ था, इसलिए इस शुभ तिथि पर देश भर में सीता नवमी (Sita Navami) और जानकी नवमी (Janaki Navami) का पर्व मनाया जाता है. देश भर में आज (2 मई) माता सीता का जन्मोत्सव (Sita Janmotsav) मनाया जा रहा है. इस दिन लोग माता जानकी के लिए व्रत रखते हैं और विधि-विधान से पूजा-अर्चना करते हैं. मान्यता है कि इस दिन भगवान राम (Lord Ram) और माता सीता (Maa Sita) की विधि पूर्वक पूजा करने से व्यक्ति को मनोवांछित फलों की प्राप्ति होती है. सीता नवमी के व्रत से व्यक्ति को कन्यादान और चारधाम की तीर्थ यात्रा के समान फल प्राप्त होता है. इस दिन माता जानकी को सोलह श्रृंगार अर्पित करने से सुख-सौभाग्य का आशीर्वाद प्राप्त होता है, जबकि सीता स्त्रोत का पाठ करने से निसंतान दंपत्तियों को पुत्र रत्न की प्राप्ति होती है.
इस साल लॉकडाउन के बीच माता सीता का जन्मोत्सव मनाया जा रहा है, लेकिन आप सोशल मीडिया के जरिए शुभकामना संदेश भेजकर अपनों को इस पर्व की बधाई जरूर दे सकते हैं. जानकी नवमी के खास अवसर पर प्रियजनों को इन शानदान वॉट्सऐप स्टिकर्स, फेसबुक ग्रीटिंग्स, एचडी इमेज, विशेज, फोटो एसएमएस, कोट्स और वॉलपपेर्स के जरिए सीता नवमी की शुभकामनाएं दे सकते हैं. यह भी पढ़ें: Happy Sita Navami 2020 Messages: सीता नवमी की सगे-संबंधियों को दें शुभकामनाएं, भेजें ये हिंदी Facebook Greetings, WhatsApp Status, GIF Wishes, Photo SMS, Wallpapers और कोट्स
1- सीता नवमी की हार्दिक शुभकमनाएं
2- सीता नवमी की शुभकामनाएं
3- जानकी नवमी की शुभकामनाएं
4- जानकी नवमी की हार्दिक बधाई
5- हैप्पी सीता नवमी
पौराणिक कथा के अनुसार, मिथिला राज्य में एक बार सूखा पड़ गया था, जिससे परेशान राजा जनक ने ऋषियों से इस स्थिति से बाहर निकलने का उपाय पूछा. ऋषियों ने उन्हें यज्ञ करने और धरती पर हल चलाने के लिए कहा. यज्ञ के बाद वैशाख शुक्ल नवमी के दिन जब राजा जनक धरती पर हल चला रहे थे, तब उनके हल का नुकीला भाग किसी कठोर चीज से टकराया और हल वहीं अटक गया. फिर उस स्थान को खोदने के बाद एक संदूक निकला, जिसमें एक सुंदर कन्या थी. राजा जनक ने उस कन्या को अपनी गोद में लिया तो उन्हें पिता प्रेम की सुखद अनुभूति हुई. निसंतान सुनयना और राजा जनक ने दिव्य कन्या को अपनी पुत्री के रूप में स्वीकार करते हुए उनका नाम सीता रखा. जनक पुत्री होने के नाते उन्हें जानकी भी कहा जाता है.