Shrawan 2023: श्रावण में 12 ज्योतिर्लिंग के दर्शन से प्रसन्न होते हैं महादेव! जानें सोमनाथ से घृष्णेश्वर तक की विशेषताएं!
सावन सोमवार 2023 (Photo Credits: File Image)

आज से सावन के सोमवार का सिलसिला शुरू हो गया. इसके साथ ही देश भर के शिव मंदिरों में ‘बम बम भोले’ और ‘ॐ नमः शिवाय’ का गूंज होने लगेगा. इस बार श्रावण माह 59 दिनों का है, अतः सावन के आठ सोमवार होंगे. श्रावण मास में बहुत सारे शिव-भक्त ज्योतिर्लिंगों के दर्शन के लिए निकलते हैं. देश के विभिन्न राज्यों में भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंग स्थापित है. मान्यता है कि इन ज्योतिर्लिंगों में भगवान शिव ज्योति के रूप में विराजमान हैं, और इनके दर्शन मात्र से जातक की सारी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं. आइये जानते हैं आखिर क्या खास बात है को लोग तमाम जोखिम उठाकर भी इन 12 ज्योतिर्लिंगों का दर्शन करने के लिए व्यग्र रहते हैं. यह भी पढ़ें: Sawan Somvar 2023 Greetings: हैप्पी सावन सोमवार! इन WhatsApp Status, HD Images, Wallpapers, GIF Wishes के जरिए दें बधाई

बारह ज्योतिर्लिंगों का महात्म्य

1- सोमनाथ ज्योतिर्लिंगः सौराष्ट्र (गुजरात) के समुद्र तट पर स्थित यह पहला सोमनाथ ज्योतिर्लिंग है, जिसे मुगलकाल में लुटेरे बादशाहों ने बार लूटा. कहा जाता है कि सोमनाथ मंदिर परिसर में चंद्र देव ने भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए कठोर तप किया था. उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर शिवजी ने उन्हें दर्शन दिया. इसीलिए चंद्रदेव के ही उपनाम ‘सोम’ के आधार पर इनका नाम सोमनाथ ज्योतिर्लिंग पड़ा.

2- मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंगः यह ज्योतिर्लिंग कृष्णा जिले (आंध्र प्रदेश) के कृष्णा नदी तट पर श्रीशैल पर्वत पर बना है. कहा जाता है कि बारह ज्योतिर्लिंगों में यह अकेला ऐसा ज्योतिर्लिंग जहां भगवान शिव ज्योति स्वरूप में देवी पार्वती के साथ विराजे हुए हैं. ज्योतिषियों के अनुसार महाकालेश्वर का दर्शन करने मात्र से अश्वमेघ यज्ञ के समान पुण्य की प्राप्ति होती है.

3- महाकाल ज्योतिर्लिंगः महाकाल ज्योतिर्लिंग उज्जैन (मप्र) में स्थापित हैं. यहां करीब में शक्तिपीठ हरसिद्धि मंदिर भी है, भक्तों को शिव के साथ शक्ति का भी दर्शन-लाभ मिलता है. इस ज्योतिर्लिंग की खास बात यह है कि यहां प्रतिदिन सूर्योदय से पूर्व भगवान शिव की भस्म आरती होती है. जिसका दर्शन करने के लिए शिव- भक्त श्रावण मास में दूर-दूर से आते हैं

4- ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंगः इंदौर (मप्र) के निकट नर्मदा नदी तट पर एक पहाड़ी पर स्थित है. इस ज्योतिर्लिंग के चारों ओर नर्मदा नदी बहती हैं, जिससे इस ज्योतिर्लिंग की खूबसूरती द्विगुणित हो जाती है. ‘ॐ’ के आकार में दिखने के कारण इऩ्हें ओंकारेश्वर नाम प्राप्त हुआ.

5- केदारनाथ ज्योतिर्लिंगः केदारनाथ मंदिर अन्य ज्योतिर्लिंगों की तुलना में सबसे ऊंचाई (करीब 3,581 वर्ग किमी) पर गौरीकुंड (उत्तराखंड) में स्थित है. कहा जाता है कि महाभारत काल में भगवान शिव ने पांडवों को बेल के रूप में दर्शन दिया था. इस ज्योतिर्लिंग का निर्माण आदि शंकराचार्य के सौजन्य से हुआ था.

6- भीमाशंकर ज्योतिर्लिंगः यह ज्योतिर्लिंग पुणे (महाराष्ट्र) में स्थित है, जिसे मोटेश्वर महादेव के नाम से भी जाना जाता है. मान्यता है कि कुंभकर्ण के पुत्र भीम के नाम पर इसका नाम भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग पड़ा, इसकी पृष्टभूमि त्रेता युग से है.

7- काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंगः यह ज्योतिर्लिंग भगवान शिव की प्यारी नगरी काशी अर्थात वाराणसी (उप्र) में है. मोक्ष की नगरी के नाम से मशहूर काशी के इस ज्योतिर्लिंग के बारे में कहा जाता है कि यहां भगवान शिव के साथ साक्षात पार्वती भी विराजती हैं, जिसकी पूजा स्वयं नारद मुनि करते हैं.

8- त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंगः त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग नासिक (महाराष्ट्र) के गोदावरी नदी के तट पर स्थित है. इस ज्योतिर्लिंग की खास बात यह है कि यहां भगवान शिव के साथ ब्रह्मा एवं विष्णु जी की भी संयुक्त पूजा होती है. मान्यतानुसार गौतम ऋषि के कठिन तप से प्रसन्न होकर यहीं पर शिवजी ने उन्हें दर्शन दिया था.

9- वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंगः इस ज्योतिर्लिंग के स्थान को लेकर मतभेद है. एक पक्ष इस ज्योतिर्लिंग को देवघर (झारखंड) मानता है तो दूसरा पक्ष परली स्टेशन (महाराष्ट्र) स्थित मंदिर को वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग मानता है. इस ज्योतिर्लिंग के बारे में कहा जाता है कि इस ज्योतिर्लिंग को रावण लंका ले जा रहा था, मगर गलती से एक जगह इस ज्योतिर्लिंग को रखने के बाद वह वहां से उसे हटा नहीं सका.

10- नागेश्वर ज्योतिर्लिंगः यह ज्योतिर्लिंग द्वारिका (गुजरात) में स्थित है. शिव पुराण में भगवान शिव को नागों के देवता माने जाने के कारण इनका एक नाम नागेश दारूकावन भी उल्लेखित है. इसी नाम से इनका नाम नागेश्वर ज्योतिर्लिंग पड़ा.

11- रामेश्वरम् ज्योतिर्लिंगः रामनाथ पुरम् (तमिलनाडु) स्थित इस ज्योतिर्लिंग के बारे में कहा जाता है कि भगवान श्रीराम जब लंका में रावण का वध करके लौटते समय यहीं पर रुककर शिवलिंग बनाकर शिवजी की पूजा की थी, बाद में यह शिवलिंग सबसे मजबूत वज्र के समान हो गया था. श्रीराम के नाम के आधार पर ही इसे रामेश्वरम नाम दिया गया.

12- घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंगः यह ज्योतिर्लिंग औरंगाबाद (महाराष्ट्र) में स्थित है. मान्यता है कि शिव-भक्त घुश्मा की कठोर तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उसे यहीं पर दर्शन दिया था. इसकी पृष्ठभूमि में घुश्मा की एक प्रचलित कहानी है.