Shivaji Maharaj Death Anniversary 2019: कुशल कूटनीतिज्ञ, शूरवीर और महिलाओं को सम्मान देनेवाले साहसी योद्धा थे शिवाजी महाराज

हिंदुस्तान में ऐसे कई महापराक्रमी शूरवीर राजा पैदा हुए, जिनकी शौर्य गाथाएं सुनकर गर्व महसूस होता है कि हमने ऐसे देश में जन्म लिया. ऐसे ही एक वीर योद्धा थे, छत्रपति शिवाजी महाराज. शिवाजी महाराज का नाम सुनते ही मुगल सैनिकों के रौंगटे खड़े हो जाते थे.

शिवाजी महाराज (File Photo)

Shivaji Maharaj Death Anniversary 2019: हिंदुस्तान में ऐसे कई महापराक्रमी शूरवीर राजा पैदा हुए, जिनकी शौर्य गाथाएं सुनकर गर्व महसूस होता है कि हमने ऐसे देश में जन्म लिया. ऐसे ही एक वीर योद्धा थे, छत्रपति शिवाजी महाराज (Chhatrapati Shivaji Maharaj). शिवाजी महाराज (Shivaji Maharaj) का नाम सुनते ही मुगल सैनिकों के रौंगटे खड़े हो जाते थे. शिवाजी को वीर योद्धा बनाने में माता जीजाबाई की अहम भूमिका थी. जिन्होंने बचपन से शिवाजी को तीर, भाले और घुड़सवारी आदि में निपुण बना दिया था. यही नहीं उन्होंने बाल शिवाजी को छोटी सी उम्र में ही युद्ध की रणनीति भी समझा दी थी, यही वजह थी कि कितना भी बड़ा संकट क्यों न हो शिवाजी महाराज ने हर संकट का बहादुरी से सामना किया. 3 अप्रैल को पूरा देश इस शूरवीर योद्धा छत्रपति शिवाजी महाराज को श्रद्धांजली दे रहा है. प्रस्तुत है शिवाजी की बहादुरी के कुछ कारनामे.

कोल्हापुर युद्ध

28 नवंबर 1659 इस समय शिवाजी महाराज की उम्र मुश्किल से 29 वर्ष की होगी, जब मात्र 15 सौ मराठा सैनिकों के साथ दस हजार मुगल सैनिकों से भिड़ गये थे और युद्ध में विजय हासिल की. अपनी कुशल रणनीति की वजह से ही शिवाजी महाराज युद्ध जीतने में सफल हो सके थे. शिवाजी के विजय रथ को रोकने के लिए बीजापुर के रुस्तम खान ने दस हजार सैनिकों के साथ शिवाजी का पीछा किया. कोल्हापुर में रुस्तम खान और शिवाजी आमने-सामने हुए. उन दिनों रुस्तम जमाल आदिलपुर की सेना को सबसे शक्तिशाली माना जाता था. शिवाजी को घेरने के लिए रुस्तम जमाल ने हर तिकड़म अपनाया, मगर कोई फायदा नहीं हुआ. जैसे ही युद्ध शुरु हुआ, शिवाजी ने पंद्रह सौ सैनिक के साथ अचानक आदिल शाह की सेना पर हमला बोल दिया. इसे गुरिल्ला युद्ध कहते हैं. यह भी पढ़ें: Shivaji Maharaj Death Anniversary 2019: मराठा साम्राज्य के महान सेनानायक छत्रपति शिवाजी महाराज की पुण्यतिथि आज, जानिए उनसे जुड़ी 10 रोचक बातें

आदिल शाह शिवाजी की इस रणनीति से वाकिफ नहीं था. भयंकर युद्ध के बाद अंततः शिवाजी ने युद्ध जीत लिया. आदिल युद्ध छोड़कर भाग खडा हुआ. इस युद्ध में बीजापुर के जहां 7000 से ज्यादा मुगल सैनिक मारे गये, वहीं शिवाजी के एक हजार सैनिकों को शहादत देनी पड़ी. यह युद्ध जीतने के बाद शिवाजी का एक बड़े इलाके पर कब्जा हो गया. उनकी ताकत कई गुना बढ़ चुकी थी.

महिलाओं का बहुत सम्मान करते थे

उस समय शिवाजी मात्र चौदह वर्ष के थे. चूंकि उन्होंने बहादुरी के सारे दांव-पेंच अपनी मां जीजाबाई से सीखे थे, लिहाजा वह मां के साथ-साथ दुनिया की सारी औरतों का पूरा सम्मान करते थे. एक बार उनके सैनिक गांव के मुखिया को पकड़ लाए. शिवाजी ने मुखिया को जंजीरों में कैद देखा तो पूछा कि इसका क्या गुनाह है. मंत्रियों ने बताया कि मुखिया पर एक औरत का बलात्कार करने का आरोप है.. यह सुनते ही शिवा जी की भृकुटियां तन गयीं. उन्होंने गुस्से में कहा, फिर यह अभी तक जीवित कैसे है? इसके बाद शिवाजी ने तत्क्षण फैसला सुनाते हुए कहा कि इसके दोनों हाथ-पैर काट दिया जाए. हमारे राज्य में औरतों पर अत्याचार कत्तई बर्दाश्त नहीं किया जायेगा.

बिना हथियार भिड़ गये चीते से

जिस समय यह किस्सा हुआ, उस समय भी शिवाजी युवा ही थे. उन्हीं दिनों उनके राज्य पुणे के करीब एक गांव नचनी में एक चीते का आतंक छाया हुआ था. चीता रात के अंधेरे में आये दिन कभी बच्चों को तो कभी औरतों पर हमला कर उन्हें उठा ले जाता था. अगले दिन किसी खेत या नहर पर उस आदमी की लाश मिलती. सैनिकों की काफी कोशिशों के बाद भी चीता नहीं पकड़ में आया तो गांव के लोग शिवाजी के दरबार में पहुंच और गुहार लगाई कि उनके परिवार को चीते के खौफ से मुक्ति दिलायी जाए. खेत-खलिहान पर सारे काम ठप्प पड़ जायेंगे. सारी बातें सुनने के बाद शिवाजी ने उन्हें आश्वासन दिया कि वे घर जाएं, अब उन्हें चीते से डरने की जरूरत नहीं है. यह भी पढ़ें: Shivaji Maharaj Jayanti 2019: शिवाजी महाराज का सुशासन ‘अष्टप्रधान’ मंडल, तभी वे कहलाये ‘सदी का महानायक’!

अगली शाम शिवाजी महाराज अपने सिपाहियों के साथ उस गांव पहुंचे. काफी तलाशी के बाद अचानक चीता सामने प्रकट हो गया तो सारे सैनिक भाग खड़े हुए, तब शिवाजी अकेले ही चीते से भिड़ गये और पलक झपकते उसे मार गिराया. गांव वासी शिवाजी की जयजयकार करने लगे तब शिवाजी ने कहा, यह हमारा फर्ज था कि हम जनता की रक्षा करें. आप लोग भी अपना-अपना फर्ज निभायें.

3 अप्रैल 1680 को 50 वर्ष की आयु में लंबी बीमारी के कारण शिवाजी महाराज की मृत्यु हो गयी. शिवाजी महाराज के छोटे से जीवनकाल में बहादुरी के एक से बढ़कर एक किस्से हैं.

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