Chhatrapati Shivaji Maharaj Death Anniversary 2019: पश्चिमी भारत के मराठा साम्राज्य के संस्थापक और महान सेनानायक छत्रपति शिवाजी महाराज की आज पुण्यतिथि है. छत्रपति शिवाजी महाराज (Chhatrapati Shivaji Maharaj) का नाम भारत के उन वीर सपूतों में शुमार है जिन्होंने अपनी वीरता और पराक्रम के दम पर मुगलों को घुटने टेकने पर विवश कर दिया. छत्रपति शिवाजी महाराज को उनके अदम्य साहस, कूटनीति, बुद्धिमता, कुशल शासक और महान योद्धा के रूप में पूरा भारत जानता है. कुछ लोग उन्हें हिंदू सम्राट कहते हैं तो कुछ लोग उन्हें मराठा गौरव कहते हैं. शिवाजी महाराज (Shivaji Maharaj) का जन्म 19 फरवरी 1630 को शिवनेरी दुर्ग में हुआ था. शिवाजी महाराज न सिर्फ एक दयालु शासक थे, बल्कि एक महान योद्धा (Great Warrior) भी थे. उनकी माता का नाम जीजाबाई (Jijabai) और पिता का नाम शहाजी (Shahaji Bhosale) भोसले था.
महान योद्घा और दयालु शासक छत्रपति शिवाजी महाराज का लंबी बीमारी के कारण 3 अप्रैल 1680 को निधन हो गया था. शिवाजी की मृत्यु के बाद उनके बड़े पुत्र संभाजी को उत्तराधिकारी बनाया गया. चलिए छत्रपति शिवाजी महाराज की पुण्यतिथि पर जानते हैं उनके जीवन से जुड़ी 10 रोचक बातें.
शिवाजी महाराज के जीवन से जुड़ी 10 रोचक बातें-
1- शिवाजी महाराज को एक दयालु शासक के तौर जाना जाता है. उन्होंने अपनी प्रजा को यह भरोसा दिलाया था कि दुश्मन सेना के सैनिकों के साथ वो बुरा व्यवहार नहीं करेंगे. इसके साथ ही वो इस बात में विश्वास करते थे कि पकड़ी गई किसी भी महिला से गुलामी नहीं कराई जाएगी, बल्कि उन्हें सम्मान के साथ वापस उनके घर भेजा जाएगा. यह भी पढ़ें: Shivaji Maharaj Jayanti 2019: मराठा गौरव और महान शासक थे छत्रपति शिवाजी महाराज, जिन्होंने खेल-खेल में सीखा किले पर फतह करना
2- शिवाजी महाराज को एक वीर योद्धा के रुप में जाना जाता है. उन्होंने ही एक नई युद्ध शैली को जन्म दिया था, जिसे गोरिल्ला रणनीति के नाम से पूरे विश्व में जाना जाता है. उनकी सेना एकमात्र ऐसी सेना थी जिसमें गोरिल्ला युद्ध नीति का जमकर इस्तेमाल किया गया था.
3- शिवाजी महाराज एक बेमिसाल सैन्य रणनीतिकार थे. भारतीय शासकों में वो पहले ऐसे शासक थे, जिन्होंने नौसेना की अहमियत को समझा, इसलिए उन्होंने सिंधुगढ़ और विजयदुर्ग में अपने नौसेना के किले तैयार किए. रत्नागिरी में उन्होंने अपने जहाजों को सही करने के लिए दुर्ग तैयार किया था. इसके अलावा उन्होंने अपनी सैन्य रणनीति का परिचय देते हुए उन्होंने अपने सैनिकों की तादाद को 2 हजार से बढ़ाकर 10 हजार कर दिया था.
4- शिवाजी महाराज एक सेक्युलर शासक थे, जिन्होंने हमेशा सभी धर्मों का समान रूप से सम्मान किया. वे मुगलों द्वारा लोगों के जबरन धर्म परिवर्तन कराए जाने के सख्त खिलाफ थे, इसलिए हिंदू धर्म की रक्षा के लिए वे मैदान में उतरे और मुगलों के खिलाफ जंग का ऐलान किया. उनकी सेना में मुस्लिम बड़े पदों पर आसिन थे. इब्राहिम खान और दौलत खान उनकी नौसेना के खास पदों पर थे.
5- हिंदू हृदय सम्राट के तौर पर मशहूर छत्रपति शिवाजी महाराज हिंदू होने के साथ-साथ दूसरे धर्मों का सम्मान भी करते थे. वे संस्कृत और हिंदू राजनीतिक परंपराओं का व्यापक तौर पर विस्तार चाहते थे, यही वजह है कि उनकी अदालत में पारसी की जगह मराठी भाषा का इस्तेमाल किया जाने लगा.
6- शिवाजी ने सन 1657 तक मुगलों के साथ सौहार्दपूर्ण संबंध बनाए रखा.यहां तक कि बीजापुर जीतने में शिवाजी ने औरंगजेब की मदद भी की, लेकिन शर्त ये थी कि बीजापुर के गांव और किले मराठा साम्राज्य के तहत रहे. दोनों के बीच मार्च 1657 के बीच कड़वाहट आनी शुरु हुई और फिर दोनों के बीच कई लड़ाईयां हुईं.
7- शिवाजी बचपन में अपनी उम्र के अन्य बच्चों के साथ युद्ध करने और किले जीतने का खेल खेलते थे, लेकिन जब वे बड़े हुए तो वास्तविकता में उन्होंने शत्रुओं पर आक्रमण करके उनके किले जीतने का सिलसिला शुरु कर दिया. उन्होंने पुरंदर और तोरण जैसे किलों पर फतह हासिल करके अपना अधिकार जमाया.
8- शिवाजी की बढ़ती हुई लोकप्रियता से घबराकर आदिलशाह ने अफजल खान को शिवाजी को मारने के लिए भेजा पर शिवाजी महाराज ने उसका वध कर दिया और बीजापुर पर अपना अधिकार कर लिया.
9- प्रतापगढ़ और रायगढ़ दुर्ग जीतने के बाद शिवाजी महाराज ने रायगढ़ को मराठा राज्य की राजधानी घोषित किया. उनका विवाह 14 मई सन 1640 में सईबाई निंबालकर के साथ हुआ था. यह भी पढ़ें: Shivaji Maharaj Jayanti 2019: एक महान योद्धा और दयालु शासक थे छत्रपति शिवाजी महाराज, जानिए उनके जीवन से जुड़ी ये खास बातें
10- बहादुरी और मानवता के प्रतीक शिवाजी महाराज ने अपने सैनिकों को यह चेतावनी दे रखी थी कि उनके किसी भी युद्ध में आम नागरिकों को नुकसान नहीं होना चाहिए. वह चाहे हिंदू हो या मुसलमान. कुछ लोग शिवादी को मुस्लिम विरोधी मानते थे, जबकि सच तो यह है कि उनकी सेना में कई मुस्लिम सरदार और सुबेदार भी थे, जो उनके प्रति काफी निष्ठावान थे.
गौरतलब है कि शिवाजी महाराज जनता की सेवा को ही अपना सबसे बड़ा धर्म मानते थे, जिसके कारण वो एक दयालु शासक के तौर पर जाने जाते थे. इसके अलावा अफजल खान का वध, शाइस्ता खान को हराना और औरंगजेब की गिरफ्त से चालाकी से बाहर निकल आना उनके साहस और पराक्रम को दर्शाता है.