
Shahu Maharaj Jayanti 2025 Marathi Wishes: हर साल 26 जून को मराठा भोसले वंश के राजा और कोल्हापुर की भारतीय रियासतों के महाराजा छत्रपति शाहू महाराज की जयंती (Chhatrapati Shahu Maharaj Jayanti) मनाई जाती है. राजर्षि शाहू महाराज का जन्म 26 जून 1874 को कागल के घाटगे परिवार में हुआ था. उनके पिता कागल के जहांगीरदार जय सिंहराव अबासाहेब घाटगे थे और माता का नाम राधाबाई था. शाहू महाराज (Chhatrapati Shahu Maharaj) का असली नाम यशवंतराव था, लेकिन बाद में उन्हें छत्रपति शाहू महाराज, राजर्षि शाहू महाराज, कोल्हापुर के शाहू और शाहू चतुर्थ जैसे विभिन्न नामों से जाना जाने लगा. कहा जाता है कि जब वे दस वर्ष के थे, तब कोल्हापुर के शिवाजी चतुर्थ की रानी आनंदीबाई ने 18 मार्च 1884 को उन्हें गोद ले लिया और वे कोल्हापुर के छत्रपति शाहू महाराज बन गए. सन 1885 में उन्हें शिक्षा के लिए राजकोट भेजा गया, जहां उन्होंने चार साल तक अध्ययन किया. इसके बाद वे कोल्हापुर लौट आए और शिक्षा के लिए धारवाड़ चले गए. वहां सर एस.एम. क्रेगर के मार्गदर्शन में उन्होंने प्रशासन, इतिहास, अंग्रेजी भाषा आदि विषयों का अध्ययन किया.
धारवाड़ में अध्ययन के दौरान शाहू महाराज ने अप्रैल 1891 में लक्ष्मीबाई से विवाह कर लिया और अपनी शिक्षा पूरी करने के बाद उन्होंने 2 अप्रैल 1894 को बीस वर्ष की आयु में कोल्हापुर राज्य का प्रशासन संभाला. छत्रपति शाहू महाराज की जयंती के इस खास अवसर पर आप इन विशेज, वॉट्सऐप मैसेजेस, कोट्स, जीआईएफ ग्रीटिंग्स को शेयर कर मराठी में अपनों से छत्रपती शाहू महाराज जयंतीच्या शुभेच्छा कह सकते हैं.





शाहू महाराज ने डॉ. बाबा साहेब आंबेडकर की शिक्षा के साथ-साथ मूकनायक अखबार के लिए भी सहयोग किया. उन्होंने चित्रकार अबलाल रहमान जैसे कलाकारों को शाही संरक्षण देकर प्रोत्साहित किया. कानपुर के कुर्मी क्षत्रिय समुदाय ने शाहू महाराज को 'राजर्षि' की उपाधि दी थी. महाराज ने करीब 28 साल तक शासन किया. महाराष्ट्र सरकार ने 2006 से 26 जून को शाहू महाराज के जन्मदिन को ‘सामाजिक न्याय दिवस’ के रूप में मनाने की घोषणा की थी, तब से उनकी जयंती को सामाजिक न्याय दिवस के तौर पर मनाया जा रहा है.
गौरतलब है कि शाहू महाराज ने पिछड़े वर्गों के लिए सरकारी नौकरियों में पचास प्रतिशत सीटें आरक्षित करने का फैसला किया. उन्होंने स्त्री पुनर्विवाह अधिनियम बनाया, साथ ही अपने राज्य में अंतर्जातीय विवाहों को मान्यता देने वाला कानून बनाया और खुद भी कुछ ऐसे विवाह संपन्न कराए. कोल्हापुर में ‘शाहपुरी’ नामक गुड़ की मंडी शुरू की. शाहू ने विभिन्न जातियों के लोगों के लिए बस्तियां शुरू कीं. अछूतों के लिए ‘मिस क्लार्क’ नामक बस्ती की स्थापना की. उन्होंने 15 प्रतिशत छात्रवृत्ति की घोषणा की. महर्षि विट्ठल रामजी शिंदे ने उन्हें ‘सर्वांगपूर्ण राष्ट्रपुरुष’ शब्दों से सम्मानित किया.