Shahu Maharaj Jayanti 2022 Wishes in Marathi: दलितों और शोषित वर्गों के कष्टों को समझने और उनसे निकटता बनाए रखने वाले छत्रपति शाहू महाराज (Chhatrapati Shahu Maharaj) की हर साल 26 जून को जयंती मनाई जाती है. आज यानी 26 जून 2022 को छत्रपति शाहू महाराज की जयंती (Shahu Maharaj Jayanti) मनाई जा रही है. वे मराठा के भोसले राजवंश के राजा और कोल्हापुर की भारतीय रियासतों के महाराजा थे. उन्हें एक वास्तविक लोकतांत्रिक और समाज सुधारक के तौर पर जाना जाता था. 26 जून 1874 को जन्मे छत्रपति शाहू महाराज ने दलितों की समस्याओं को करीब से जाना और हमेशा उनकी मदद के लिए आगे रहे. उन्होंने दलित वर्ग के बच्चों के लिए मुफ्त शिक्षा मुहैया कराई और बाहरी गरीब छात्रों के लिए छात्रावास भी स्थापित किए. दलितों के उत्थान के लिए कार्य करने वाले शाहू महाराज ने समाज में फैली बाल विवाह जैसी कुरीतियों पर प्रतिबंध लगाते हुए पुनर्विवाह को कानूनी मान्यता प्रदान की थी.
छत्रपति शाहू महाराज एक ऐसी महान शख्सियत थे, जिनका समाज में किसी भी वर्ग से कोई द्वेष नहीं था, इसलिए उनकी जयंती को हर वर्ग के लोग बड़े ही प्रेमभाव से मनाते हैं. इस अवसर पर लोग शुभकामना संदेशों का आदान प्रदान करके एक-दूसरे को बधाई देते हैं. ऐसे में आप भी इन मराठी विशेज, वॉट्सऐप मैसेजेस, फेसबुक ग्रीटिंग्स और जीआईएफ इमेजेस को भेजकर छत्रपति शाहू महाराज जयंती की बधाई दे सकते हैं.
1- सामाजिक न्यायाचे, आरक्षणाचे जनक
छत्रपती राजर्षी शाहू महाराज
यांना जयंतीनिमित्त विनम्र अभिवादन!
तसंच राज्यातील सर्वांना
'सामाजिक न्याय दिना’च्या शुभेच्छा!
2- भटक्या, विमुक्त जमातींचे
आधारस्तंभ
छत्रपती राजर्षी शाहू महाराज
यांच्या जयंती निमित्त अभिवादन!
3- आपली राजसत्ता खऱ्या अर्थाने अपेक्षीत,
वंचित समाजासाठी वापरणारे
आरक्षणाचे प्रणेते…
लोकराज राजर्षी छत्रपती शाहू महाराज
यांना जयंती निमित्त विनम्र अभिवादन!
4- समता, बंधुता यांची शिकवण
देणारा लोकराजा छत्रपती शाहू
महाराज यांना जयंती निमित्त त्रिवार अभिवादन!
5- अखंड हिंदुस्थान चे आराध्य दैवत व
स्फूर्ती स्थान, श्रीमंत छत्रपती
शाहू महाराजांना, त्रिवार मानाचा मुजरा…
सर्व शिवभक्तांना, शाहू महाराज शिवमय शुभेच्छा!
दलितों के प्रति गहरा लगाव रखने वाले शाहू महाराज ने उनकी दशा में बदलाव लाने के लिए दो खास प्रथाओं का अंत कि. था. साल 1917 में उन्होंने बलूतदारी प्रथा को समाप्त किया था, इस प्रथा के तहत एक अछूत को थोड़ी सी जमीन देकर उसके पूरे परिवार से गांव के लिए मुफ्त में सेवाएं ली जाती थी. दूसरी प्रथा यानी वतनदारी प्रथा का साल 1918 में अंत करते हुए उन्होंने महारों को भू-स्वामी होने का अधिकार दिलाया था.