Shahu Maharaj Jayanti 2021 Messages: छत्रपति शाहू महाराज जयंती के इन मराठी WhatsApp Stickers, Facebook Wishes, GIF Greetings के जरिए दें शुभकामनाएं
छत्रपति शाहू महाराज ने पुनर्विवाह को कानूनी मान्यता दी थी. वे एक ऐसी शख्सियत थे, जिनका समाज के किसी भी वर्ग से किसी भी प्रकार का द्वेष नहीं था. दलितों के प्रति गहरा लगाव रखने वाले शाहू महाराज जी की जयंती पर आप अपने दोस्तों-रिश्तेदारों को इन मराठी मैसेजेस, वॉट्सऐप स्टिकर्स, फेसबुक विशेज, जीआईएफ ग्रीटिंग्स के जरिए शुभकामनाएं दे सकते हैं.
Shahu Maharaj Jayanti 2021 Messages in Marathi: आज (26 जून 2021) छत्रपति शाहू महाराज की जयंती (Shahu Maharaj Jayanti) मनाई जा रही है. शाहू महाराज मराठा के भोसले राजवंश के राजा और कोल्हापुर की भारतीय रियासतों के महाराजा थे. वे एक वास्तविक लोकतांत्रिक और सामाजिक सुधारक के तौर पर जाने जाते थे. उनका जन्म 26 जून 1874 को हुआ था और बचपन में उनका नाम यशवंत राव था. एक राजा होते हुए भी छत्रपति शाहू महाराज (Chhatrapati Shahu Maharaj) ने दलित और शोषित वर्ग के कष्ट को समझा और उनसे सदैव निकटता बनाए रखी. उन्होंने दलित वर्ग के बच्चों के लिए मुफ्त शिक्षा प्रदान करने के साथ ही बाहरी गरीब छात्रों को शरण प्रदान करने के लिए छात्रावास स्थापित किए. इसके अलावा उन्होंने बाल विवाह जैसी कुरीतियों पर भी प्रतिबंध लगाए.
छत्रपति शाहू महाराज ने पुनर्विवाह को कानूनी मान्यता दी थी. वे एक ऐसी शख्सियत थे, जिनका समाज के किसी भी वर्ग से किसी भी प्रकार का द्वेष नहीं था. दलितों के प्रति गहरा लगाव रखने वाले शाहू महाराज जी की जयंती पर आप अपने दोस्तों-रिश्तेदारों को इन मराठी मैसेजेस, वॉट्सऐप स्टिकर्स, फेसबुक विशेज, जीआईएफ ग्रीटिंग्स के जरिए शुभकामनाएं दे सकते हैं.
1- राजातील माणूस आणि
माणसातील राजा
लोकराजा
राजर्षी छत्रपती शाहू महाराज यांना
जयंती निमित्त विनम्र अभिवादन!
2- थोर समाजसुधारक
राजर्षी शाहू महाराज
यांना जयंती निमित्त कोटी कोटी प्रणाम!
3- समता, बंधुता यांची शिकवण देणारे
लोकराजा छत्रपती शाहू महाराज यांना
जयंती निमित्त त्रिवार अभिवादन!
4- संपूर्ण महाराष्ट्राचे प्रेरणास्त्रोत
दीन-शोषितांचे तारणहार,
थोर समाजसुधारक
राजर्षी शाहू महाराज यांना
जयंतीनिमित्त मानाचा मुजरा!
5- आपली राजसत्ता खऱ्या अर्थाने
वंचित समाजासाठी वापरणारे
आरक्षणाधीश
लोकराजा राजर्षी शाहू महाराज
यांना जयंतीनिमित्त विनम्र अभिवादन!
बताया जाता है कि दलितों की दशा में बदलाव लाने के लिए शाहू महाराज ने दो विशेष प्रथाओं का अंत किया. उन्होंने साल 1917 में बलूतदारी प्रथा का अंत किया, जिसके तहत एक अछूत को थोड़ी सी जमीन देकर उसके बदले उससे और उसके पूरे परिवार से गांव के लिए मुफ्त सेवाएं ली जाती थीं. इसके अलावा उन्होंने साल 1918 में वतनदारी प्रथा का अंत किया था, जिसके तहत भूमि सुधार कर महारों को भू-स्वामी बनने का हक दिलाया था. उनका निधन 10 मई 1922 को मुंबई में हुआ था.