Shaheed Diwas Quotes 2022: शहीद दिवस (Shaheed Diwas 2022) भारत में कई तिथियों पर मनाया जाता है. 23 मार्च को उस दिन के रूप में याद किया जाता है जब तीन बहादुर स्वतंत्रता सेनानियों भगत सिंह (Bhagat Singh) शिवराम राजगुरु (Shivram RajGuru) और सुखदेव थापर (Sukhdev Thaper) को अंग्रेजों ने फांसी दी थी. साथ ही 30 जनवरी को महात्मा गांधी (Mahatma Gandhi) की याद में शहीद दिवस के रूप में मनाया जाता है. 23 मार्च को भारत के तीन असाधारण स्वतंत्रता सेनानियों के बलिदान को याद करने के लिए शहीद दिवस के रूप में मनाया जाता है. 23 मार्च को हमारे राष्ट्र के तीन नायकों भगत सिंह, शिवराम राजगुरु और सुखदेव थापर को अंग्रेजों ने फांसी पर लटका दिया था. यह भी पढ़ें: Martyrs' Day 2022 Messages: शहीद दिवस पर इन हिंदी WhatsApp Stickers, Quotes, GIF Images के जरिए राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को करें याद
निःसंदेह, उन्होंने हमारे राष्ट्र के कल्याण के लिए अपने प्राणों की आहुति भी दे दी, चाहे उन्होंने महात्मा गांधी से अलग रास्ता चुना हो. वे भारत के युवाओं के लिए प्रेरणा स्रोत हैं. इतनी कम उम्र में वे आगे आए और आजादी के लिए उन्होंने बहादुरी से लड़ाई लड़ी. इसलिए इन तीनों क्रांतिकारियों को श्रद्धांजलि देने के लिए 23 मार्च को शहीद दिवस भी मनाया जाता है. हर साल शहीद दिवस पर सभी स्वतंत्रता सेनानियों को याद करते हैं और उनके लिए अपना सम्मान और आभार व्यक्त करते हैं. शहीद दिवस पर Quotes, WhatsApp, Facebook Stickers के जरिए भेजकर शहीदों को श्रद्धांजलि दे सकते हैं.
1. सैकड़ों परिंदे आसमान पर नज़र आने लगे,
शहीदों ने दिखाई है राह उन्हे आजादी से उड़ने की
जय हिंद जय शहीद
2. फांसी का फंदा भी फूलो से कम न था
वो भी डूब सकते थे इश्क में किसी के
पर, वतन उनके लिए माशूक के प्यार से कम न था
शहीद दिवस पर शहीदों को नमन
3. भगत सिंह, सुखदेव थापर,
शिवराम राजगुरु देश के इन
वीर सपूतों को शत्- शत् नमन
4. मैं जला हुआ राख नहीं, अमर दीप हूं
जो मिट गया वतन पर, मैं वो शहीद हूं
शहीद दिवस पर शहीदों को नमन
5. भगत सिंह, सुखदेव थापर,
और शिवराम राजगुरु इन शहीदों की पुण्यतिथि पर,
उन्हें शत् शत् नमन
8 अप्रैल, 1929 को "इंकलाब जिंदाबाद" का नारा लगाकर केंद्रीय विधान सभा पर बम फेंके गए और इसके लिए उन पर हत्या का मामला दर्ज किया गया था. 23 मार्च, 1931 को लाहौर जेल में उन्हें फांसी दे दी गई. उनके शरीर का अंतिम संस्कार सतलुज नदी के किनारे किया गया. आपको बता दें कि जन्म स्थान, हुसैनवाला या भारत-पाक सीमा में राष्ट्रीय शहीद स्मारक पर बड़ा शहीदी मेला या शहादत मेला लगता है.