Putrada Ekadashi 2022 Messages in Hindi: हर महीने में दो एकादशी तिथि पड़ती है, जिसका हिंदू धर्म में विशेष महत्व बताया जाता है. एकादशी तिथि भगवान विष्णु (Lord Vishnu) को अत्यंत प्रिय है, इसलिए कहा जाता है कि इस व्रत को करने से भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है और भक्तों को सभी पापों से मुक्ति मिलती है. भगवान शिव की उपासना के पावन महीने सावन (Sawan) के शुक्ल पक्ष की एकादशी को पुत्रदा एकादशी (Putrada Ekadashi) कहा जाता है. मान्यता है कि इस व्रत को विधि-विधान से करने पर भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं और निसंतान दंपत्तियों को संतान प्राप्ति का आशीर्वाद देते हैं. इसके साथ ही सावन मास की पुत्रदा एकादशी से भगवान शिव भी प्रसन्न होते हैं. जो दंपत्ति संतान की कामना करते हैं, उन्हें सावन मास की पुत्रदा एकादशी का व्रत अवश्य करना चाहिए. इस साल 8 अगस्त 2022 यानी आज सावन पुत्रदा एकादशी मनाई जा रही है.
हिंदू पंचांग के अनुसार, सावन शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को पुत्रदा एकादशी का व्रत रखा जाता है और विधि-विधान से भगवान विष्णु का पूजन किया जाता है. इसके साथ ही श्रीहरि के भक्त एक-दूसरे को शुभकामना संदेश भेजकर बधाई देते हैं. ऐसे में आप भी इन भक्तिमय मैसेजेस, वॉट्सऐप विशेज, कोट्स, फेसबुक ग्रीटिंग्स के जरिए अपने दोस्तों-रिश्तेदारों को सावन पुत्रदा एकादशी की शुभकामनाएं दे सकते हैं.
1- विष्णु जिनका नाम हो,
वैकुंठ जिनका धाम हो,
पुत्रदा एकादशी के शुभ अवसर पर,
श्रीहरि को शत-शत प्रणाम.
पुत्रदा एकादशी की शुभकामनाएं
2- सावन पुत्रदा एकादशी के पावन अवसर पर,
भगवान विष्णु आपके सभी पापों का नाश करें.
ऊं नमो भगवते वासुदेवाय नम:
पुत्रदा एकादशी की शुभकामनाएं
3- ताल बजे और बजे मृदंगा,
बजे श्रीहरि की वीणा,
करें विष्णु की जय-जयकार,
पुत्रदा एकादशी पर करें उनके गुणगान.
पुत्रदा एकादशी की शुभकामनाएं
4- शान्ताकारं भुजगशयनं पद्मनाभं सुरेशं
विश्वाधारं गगनसदृशं मेघवर्णं शुभाङ्गम् ।
लक्ष्मीकान्तं कमलनयनं योगिभिर्ध्यानगम्यं
वन्दे विष्णुं भवभयहरं सर्वलोकैकनाथम् ॥
पुत्रदा एकादशी की शुभकामनाएं
5- ॐ नमो नारायणाय नम:
पुत्रदा एकादशी की शुभकामनाएं
पुत्रदा एकादशी के दिन सुबह सूर्योदय से पहले उठकर स्नानादि से निवृत्त होकर पूजा स्थल को साफ करना चाहिए. इसके बाद एक चौकी पर पीले रंग का कपड़ा बिछाकर उस पर भगवान विष्णु की प्रतिमा स्थापित करें, अब सबसे पहले भगवान गणेश का ध्यान करें और फिर श्रीहरि का विधिवत पंचोपचार पूजन करें. उन्हें नए वस्त्र, पीले फूल, पान, सुपारी, मिष्ठान, मौसमी फल और तुलसी दल अर्पित करें. पूजन के दौरान ‘विष्णु सहस्त्रनाम’ और ‘ओम् नमो भगवते वासुदेवाय’ मंत्र का जप करें. अगले दिन यानी द्वादशी तिथि को भगवान का पूजन करने के बाद व्रत का पारण करें.