Sankashti Chaturthi 2019: इस संकष्टी चतुर्थी विघ्नहर्ता गणेश की ऐसे करें पूजा, होंगी सभी मनोकामनाएं पूरी, जानें महत्व, शुभ मुहूर्त और विधि
संकष्टी चतुर्थी 2019 (Photo Credits: Instagram)

Sankashti Chaturthi 2019: संकष्टी चतुर्थी प्रत्येक हिंदू कैलेंडर महीने में कृष्ण पक्ष की चतुर्थी यानी चौथे दिन मनाया जाता है. जब संकष्टी चतुर्थी मंगलवार को पड़ती है, तो यह अंगारकी चतुर्थी कहलाती है और सभी संकष्टी चतुर्थी के दिनों में सबसे शुभ मानी जाती है. हिंदू पंचांग में हर चंद्र मास में दो चतुर्थी तिथि होती हैं. पूरणमासी या कृष्ण पक्ष के दौरान पूर्णिमा को संकष्टी चतुर्थी के रूप में जाना जाता है और शुक्ल पक्ष के दौरान अमावस्या के बाद विनायक चतुर्थी के रूप में जाना जाता है. हालांकि संकष्टी चतुर्थी पर हर महीने उपवास रखा जाता है, लेकिन सबसे महत्वपूर्ण संकष्टी चतुर्थी माघ और पौष के महीने में आती है.

संकष्टी चतुर्थी भारत के उत्तरी और दक्षिणी दोनों राज्यों में प्रसिद्ध है, लेकिन महाराष्ट्र में ये और भी ज्यादा प्रचलित है. संकष्टी संस्कृत शब्द है, इसका अर्थ है 'कठिन समय के दौरान उद्धार' जबकि 'चतुर्थी' का अर्थ है 'चौथा दिन या भगवान गणेश का दिन. इसलिए इस दिन भक्त भगवान गणेश की पूजा करते हैं ताकि जीवन में आने वाली सभी बाधाओं को दूर किया जा सके और हर कठिन परिस्थिति में विजय प्राप्त की जा सके.

पूजा विधि:

संकष्टी चतुर्थी के दिन, जल्दी उठे और स्नान के बाद व्रत का संकल्प लें.

संकष्टी पूजा शाम को चंद्रमा देखने के बाद करें.

भगवान गणेश की मूर्ति को दुर्वा घास और ताजे फूलों से सजाएं.

भगवान गणेश को उनका पसंदीदा मोदक और लड्डुओं का भोग लगाएं.

धूप नैवेद्य जलाकर व्रत कथा का पाठ करें.

आरती के बाद सभी लोगों में प्रसाद वितरित करें.

शाम को भगवान गणेश की पूजा और चंद्रमा के दर्शन के बाद ही व्रत का पारण करें.

इस दिन 'गणेश अष्टोत्र', 'संकष्टनाशन स्तोत्र' और 'वक्रतुंड महाकाय' का पाठ करना शुभ होता है. वास्तव में भगवान गणेश को समर्पित किसी भी अन्य वैदिक मंत्र का भी जाप किया जा सकता है.

शुभ मुहूर्त

चतुर्थी तिथि प्रारंभ- 15 नवंबर 2019 को शाम 07.46 बजे से,

चतुर्थी तिथि समाप्त- 16 नवंबर 2019 को शाम 07.15 बजे तक.

चंद्रोदय का समय- शाम 07.48 बजे

महत्व:

संकष्टी चतुर्थी पर उपवास रखने और व्रत का अच्छी तरह से पालन करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं. रात में व्रत का पारण करने से पहले चन्द्रमा के दर्शन जरुर करने चाहिए. ऐसा माना जाता है कि इस व्रत का पालन करने से व्यक्ति के जीवन में समस्याएं कम हो जाती हैं क्योंकि भगवान गणेश सभी बाधाओं को दूर करने का प्रतीक हैं और बुद्धि के सर्वोच्च स्वामी हैं.

संकष्टी चतुर्थी हर चंद्र माह में मनाई जाती है, प्रत्येक महीने में भगवान गणेश की पूजा विभिन्न कमल की पंखुड़ियों और नाम के साथ की जाती है. संकष्टी के कुल 13 व्रत हैं, प्रत्येक व्रत का एक विशिष्ट उद्देश्य और कहानी है, जिसे 'व्रत कथा' के नाम से जाना जाता है. तो कुल मिलाकर 13 'व्रत कथा' हैं, जो हर महीने एक पढ़ी जाती है. और एक 'आदिका' है जो, अतिरिक्त महीना है जो हिंदू कैलेंडर में हर चार साल में आता है.