Ramzan 2020: शुरू हो रहा है रहमतों-बरकतों का रमजान माह, रोजा रखने वाले रखें इन बातों का खास ख्याल
प्रतीकात्मक तस्वीर (Photo Credit: Getty Images)

Ramzan 2020: रमजान (Ramzan) माह के बस कुछ घंटे शेष रह गये हैं. चांद का दीदार होते ही रमजान माह के साथ ही इबादत का सिलसिला शुरू हो जायेगा. लेकिन रमजान और रोजे के कुछ नियम होते हैं. किसी भी शख्स को रमजान में रोजे (Roza) शुरु करने से पूर्व कुछ मूलभूत बातों का भी ध्यान रखना चाहिए. तभी इसे सफल माना जाता है. आइये जानें इस पूरे तीस दिन के माह में किन-किन बातों का ध्यान रखना चाहिए.

पूरे माह के रोजे के सामान मंगा लें

यूं तो व्यक्ति अगले दिन के रोजे की नियत कर सकता है, लेकिन अच्छा यही होगा कि रमजान माह के पहले ही दिन पूरे तीस दिन के रोजे तय कर लें. अगर कोई रमजान के रोजे के अतिरिक्त किसी और रोज करना चाहता है तो वो रोजा कुबूल नहीं होगा ना ही उसे रमजान के रोजे में गिना जायेगा. इसीलिए रमजान माह के पूरे रोजे की जरूरत की वस्तुएं एक साथ मंगा लें. इससे आप रोजा में ज्यादा भागदौड़ से बच जाते हैं. उस समय पर अल्लाह की इबादत कर सकते हैं.

इफ्तार के समय पीयें ज्यादा पानी

ज्यों-ज्यों गर्मी बढ़ती है, शरीर को पानी की जरूरत बढ़ती जाती है. दिन भर रोजा रखते हुए वैसे भी शरीर में पानी कम हो जाता है, इसलिए इफ्तार के समय खाने के साथ ज्यादा मात्रा में पानी पीना चाहिए. शरीर विज्ञान के अनुसार पुरुषों को दिन में कम से कम ढाई लीटर और महिलाओं को दो लीटर पानी अथवा लिक्विड लेना चाहिए. इफ्तार में शुरुआत लाइट खाने से करें. खजूर से इफ्तार करने के पश्चात पानी के अलावा सलाद, फल, जूस और सूप जैसे पदार्थों का सेवन करने से शरीर को पर्याप्त मात्रा में पानी मिल जाता है. सहरी में तेल, मसाला, मीठा जैसे गरीष्ठ खाद्य न लें, इससे ज्यादा प्यास लगती है. सहरी में दूध, ब्रेड, फल वे ओटमील लें. यह भी पढ़ें: Ramadan Mubarak 2020 Wishes: अल्लाह की इबादत का पाक महीना है रमजान, इन हिंदी WhatsApp Stickers, Facebook Message, GIF Greetings, Photo SMS और Wallpapers के जरिए दें मुबारकबाद

नेक काम करने के सवाब ऐसे बढ़ते हैं

मुस्लिम समाज में मान्यता है कि रमजान मास में नेक कार्य करने का सवाब 10 से 7 सौ गुना तक बढ़ जाता है. नफ्ल नमाज का सवाब फर्ज के बराबर और फर्ज का सवाब 70 फर्ज के समान हो जाता है. रमजान माह में अल्लाह अपने बंदों पर खास करम फरमाता है, उसकी हर जायज दुआ कुबूल करता है. जायज इस मायने में कि बुरी नियति से की गयी दुआ कुबूल नहीं होती. ध्यान रहे रमजान माह में जन्नत के दरवाजे खुल जाते हैं और जहन्नुम के दरवाजे बंद हो जाते हैं, इसीलिए कि आप ज्यादा से ज्यादा नेक काम करें.

ज्यादा वक्त दें इबादत को

मान्यता है कि रमजान माह में नेक काम का सवाब बढ़ जाता है,इसलिए इन दिनों अल्लाह को प्रसन्न करने के लिए ज्यादा से ज्यादा इबादत करते हुए नेक काम करना चाहिए. इस पाक माह में ज्यादा से ज्यादा कुरआन की तिलावत, नमाज की पाबंदी, जकात, सदाक और अल्लाह को याद करें. गरीब रोजेदारों को इफ्तार कराना बहुत पुण्य का काम माना जाता है. यहां रोजेदारों को इस बात का जरूर ध्यान रखना चाहिए कि अगर कोई व्यक्ति सहरी के वक्त रोजे की नियत करता है, और किसी कारणवश इफ्तखार के समय वह सोता रह जाता है तो नींद मगरिब के पश्चात रोजा खोलता है तो उसका रोजा जायज माना जायेगा. यह भी पढ़ें: Ramzan Mubarak 2020 Advance Wishes & Greetings: रब की इबादत का पाक महीना हो रहा है शुरू, इन WhatsApp Message, HD Image और Stickers को भेजकर अपने दोस्तों को कहें रमजान मुबारक

बुरी आदतों से दूर रहें

रमजान का महीना बहुत पाक माना गया है. इस घड़ी में अल्लाह की इबादत को ज्यादा से ज्यादा वक्त देना चाहिए. इन दिनों इंसान को किसी भी तरह की बुरी लत से दूर रहना चाहिए. जिन्हें धूम्रपान, मद्यपान, तंबाखू, पान-गुटखा, अथवा किसी अन्य चीजों की लत है, उनके लिए रमजान का महीना सर्वाधिक बेहतर माना जाता है, क्योंकि नियमानुसार रोजा रखनेवाला अगर सिगरेट, तंबाकू इत्यादि का नशा करता है तो उसका रोजा सफल नहीं होता. यहां तक की अगर रोजा रखने वाला रोजा के दरम्यान दांत में फंसा हुआ खाना जानबूझकर निगल जाता है, तब भी उसका रोजा माना नहीं जाता.

क्या हैं रोजे के तीन अशरे

रमजान माह को तीन अशरों में विभाजित किया गया है. पहले 10 दिन को पहला अशरा कहते हैं, जो रहमत का माना गया है. इसके बाद के 10 दिन के अशरे को मगफिरत का है और तीसरे यानी अंतिम अशरे को जहन्‍नुम से आजाती का माना जाता है.