Raksha Bandhan 2020:  रक्षा बंधन पर 29 साल बाद बन रहा है अद्भुत संयोग! जानें क्या है महासंयोग का प्रतिफल और भद्राकाल में बहनें क्यों नहीं बांधती अपने भाई को राखी?
रक्षा बंधन 2020 (Photo Credits: File Image)

Raksha Bandhan 2020: रक्षा बंधन (Raksha Bandhan) का इतिहास काफी पुराना है. इस पर्व को देवयुग, महाभारत काल और सिंधु घाटी की सभ्यता तक से जुड़ा हुआ बताया जाता है. इतिहास काल में जब राजा युद्ध के मैदान की ओर कूच करते थे तो रानियां उनकी कलाई में रक्षा-सूत्र (Raksha Sutra) बांधकर उनकी रक्षा और विजय की कामना करती थीं. वर्तमान में भारतीय परम्पराओं का यह पर्व भाई बहन के स्नेह के साथ-साथ हर सामाजिक संबंधों को भी मजबूत करता है, इस तरह इस पर्व का सांस्कृतिक और सामाजिक महत्व है. ज्योतिषियों के अनुसार शुभ मुहूर्त में रक्षा बंधन मनाने से इसकी महत्ता बढ़ जाती है. इसलिए सही मुहूर्त पर ही बहनों को भाइयों की कलाई पर रक्षा-सूत्र बांधना चाहिए. इस संदर्भ में ज्योतिष क्या कहते हैं आइये जानें...

रक्षा बंधन का पर्व श्रवण मास की पूर्णिमा (Sawan Purnima) के दिन मनाया जाता है. इस वर्ष यह पर्व 3 अगस्त सोमवार के दिन मनाया जायेगा, जिसे वास्तुशास्त्री महासंयोग की घड़ी बता रहे हैं. ज्योतिषियों के अनुसार 3 अगस्त को श्रावण की पूर्णिमा के साथ-साथ चंद्रमा का ही श्रवण नक्षत्र भी है. इसी दिन मकर राशि का स्वामी शनि और सूर्य आपस में समसप्तक योग बना रहे हैं, शनि और सूर्य दोनों आयु बढ़ाने वाले देवता माने जाते हैं. इससे पहले इतना शुभ संयोग 29 साल पहले बना था. ऐसे में इस बार के रक्षा बंधन पर्व को बहुत खास बताया जा रहा है.

शुभ-मुहूर्त

हिंदी पंचांग के अनुसार इस बार 3 अगस्त 2020 को प्रातः 9 बजकर 29 मिनट तक भद्राकाल लगा हुआ है. इसके बाद ही राखी का शुभ मुहूर्त शुरू होगा. ज्योतिषियों के अनुसार रक्षाबंधन का सर्वाधिक शुभ मुहूर्त दोपहर 1 बजकर 35 मिनट से शाम 4 बजकर 35 मिनट तक ही है. अगर किसी वजह से इस मुहूर्त में राखी नहीं बांधी जा सकी हो तो शाम 7 बजकर 30 मिनट से रात्रि 9.30 के बीच एक और शुभ मुहूर्त है. इस काल में भी बहनें भाइयों को राखी बांध सकती हैं. यह भी पढ़ें: Raksha Bandhan 2020 Gift Ideas: राखी पर अपनी प्यारी बहना को दें ये खास उपहार, लॉकडाउन में भी रक्षा बंधन का यह पर्व बन जाएगा यादगार

क्या है शुभ मुहूर्त का प्रतिफल?

सोमवार 3 अगस्त को रक्षा बंधन के दिन सर्वार्थ सिद्धि योग बन रहा है. ज्योतिषियों के अनुसार इस योग में कार्य करने से सारे मनोवांछित फलों की प्राप्ति होती है. इस काल में आयुष्मान दीर्घायु योग होने के कारण भाई-बहन दोनों की आयु लंबी होती है. इसलिए इस काल में भाइयों को राखियां बांधते समय उसके दीर्घायु की कामना अवश्य करें, और भाई भी बहनों की रक्षा करने योग्य बनाने कामना ईश्वर से करें.

भद्राकाल में क्यों नहीं बांधती बहनें भाइयों को राखियां?

भाई-बहन के रिश्ते के सूत्र का यह पावन त्योहार अपने साथ ढेर सारी खुशियां लेकर आता है. लेकिन ज्योतिषियों का कहना है कि भद्राकाल, जिसे राहुकाल भी कहते हैं, में बहनों को भाइयों की कलाई में रक्षा सूत्र नहीं बांधना चाहिए. क्योंकि भद्राकाल को लेकर रावण और उसकी बहन सुपर्णखा की एक कथा काफी प्रचलित है. किंवदंतियों के अनुसार सुपर्णखा ने रावण की कलाई में भद्राकाल में ही रक्षासूत्र बांधा था, और इसी कारण उसकी अकाल मृत्यु हुई.