Pune Ganeshotsav 2022: दगडूशेठ गणपति से तुलसी बाग गणेशोत्सव तक! पुणे के इन अलौकिक गणेश पंडाल में एक बार अवश्य पधारें!

यूं तो देशभर में गणेशोत्सव पूरी धूमधाम से मनाया जाता है, लेकिन अगर आप वाकई गणेश उत्सव का भरपूर आनंद उठाना चाहते हैं तो एक बार पुणे के दिव्य गणेश पंडालों में जरूर शिरकत करें.

Pune Ganeshotsav 2022: यूं तो देशभर में गणेशोत्सव पूरी धूमधाम से मनाया जाता है, लेकिन अगर आप वाकई गणेश उत्सव का भरपूर आनंद उठाना चाहते हैं तो एक बार पुणे के दिव्य गणेश पंडालों में जरूर शिरकत करें. यहां गणेशजी की विशाल एवं दिव्य प्रतिमाएं, मनमोहक पंडाल देखकर आप मंत्रमुग्ध हुए बिना नहीं रहेंगे. पुणे के दगडूशेठ गणपति से लेकर तुलसी बाग गणपति, केसरीवाडा गणपति एवं गुरुजी तालीम गणपति समेत करीब दर्जन भर से ज्यादा गणपति पंडाल हैं, जहां जाने के बाद आप बार-बार वहां जाना पसंद करेंगे.

भाद्रपद मास शुक्ल पक्ष की गणेश चतुर्थी के दिन से ही महाराष्ट्र एवं गोवा में गणेशोत्सव की शुरुआत होती है, जो चतुर्दशी तक चलती है. अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार 31 अगस्त 2022, दिन बुधवार से गणेशोत्सव की शुरुआत हो रही है. अब तो गणेशोत्सव का महोत्सव पूरे भारत में देखने को मिलती है. लेकिन पुणे में गणेशोत्सव की दिव्यता इन दिनों चरम पर होती है. आज हम पुणे के ऐसे ही चार बहु प्राचीन गणेश पंडालों के दर्शन आपको कराएंगे, जिसे देखकर आप मंत्रमुग्ध हुए बिना नहीं रहेंगे.

श्रीमंत दगडूशेठ हलवाई गणपति मंदिर

श्रीमंत (पुणे) में दगडूशेठ हलवाई गणपति मंदिर देश के सबसे प्रतिष्ठित गणेश पंडालों में से एक है. पुणे स्थित इस मंदिर में गणेशोत्सव के 10 दिवसीय महोत्सव को देखने के लिए देश भर से लाखों गणेश भक्त यहां आते हैं, और मन्नत मांगते हैं. मान्यता है कि गणेश जी का दर्शन कर मन्नत मांगने वाले की हर इच्छा पूरी होती है. यही वजह है कि गणेशोत्सव के दरम्यान यहां बड़ी-बड़ी मशहूर हस्तियां और राजनेता यहां बप्पा के दरबार में एक हाजिरी जरूर लगाते हैं.

तुलसी बाग गणपति

तुलसी बाग स्थित गणपति पुणे की सबसे ऊंची गणपति मानी जाती है. जानकारों के अनुसार यहां 15 फीट ऊंची गणपति बिठाई जाती है. इस पंडाल की दूसरी सबसे बड़ी खासियत यह है कि यहां हर वर्ष एक नई और आकर्षक थीम के साथ पंडाल सजाया जाता है. पंडाल में गणेश जी के चरण इतने खूबसूरत दिखते हैं कि हर भक्त एक बार इस पर मस्तक को स्पर्श कर धन्य हो जाता है. वहीं बप्पा के साथ चैतन्य से दिखते मूषकराज भी बहुत प्यारे दिखते हैं.

केसरी वाडा गणपति

केसरी वाड़ा गणपति पुणे के पांचवें सबसे प्राचीन गणपति हैं. लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक की संस्था ‘केसरी’ के इस गणेशोत्सव की शुरुआत 1894 में हुई थी. उन दिनों लोकमान्य तिलक विंचुरकर वाडा में रह रहे थे. लेकिन 1905 में तिलक वाडा में स्थानांतरित होकर यहीं पर गणेशोत्सव का आयोजन होने लगा. लोकमान्य तिलक और गणेशोत्सव का इतिहास सभी जानते हैं. यहां गणेशजी का विसर्जन बारात के रूप में पालकी पर बप्पा को सवार कर निकाली जाती है. माणा के सभी पहले चार गणपतियों का विसर्जन भी लक्ष्मी रोड से होकर गुजरता है.

गुरुजी तालीम गणपति

पुणे स्थित गुरूजी तालीम गणपति मंडल करीब 138 साल पुरानी संस्था है. 1884 में शुरू हुआ पुणे का यह सबसे पुराना गणपति मंडल बताया जाता है. लक्ष्मी रोड का यह लोकेशन जितना खूबसूरत है, उतनी ही खूबसूरती से गुरुजी तालीम गणपति पंडाल भी सजाया जाता है. यहां मंत्रों, वैदिक भजनों एवं भक्तिमय गीतों के साथ बप्पा की पूजा-अर्चना होती है. दस दिनों तक चलने वाले इस महोत्सव में गणेश जी की पूजा, आरती, प्रसाद एवं अन्य कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है. इसे देखने महाराष्ट्र भर से गणेश-भक्त यहां आते हैं. अनंत चतुर्दशी को अश्रुपूरित भाव से बप्पा की विदाई होती है, इस उद्घोषणा के साथ, गणपति बप्पा मोरया पुरचा वर्षी लवकर या. देर रात मूर्ति का विसर्जन किया जाता है.

अंत में सभी गणेश भक्तों को गणेश चतुर्थी की बहुत बहुत शुभकामनाएं

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