Pohela Boishakh 2022 Messages in Hindi: बंगाली कैलेंडर (Bengali Calendar) के पहले महीने बैसाख (Baisakh) के पहले दिन को पोइला बैसाख (Pohela Boishakh) कहा जाता है, जिसे बंगाली समुदाय के लोग बंगाली नव वर्ष (Bengali New Year) के तौर पर धूमधाम से मनाते हैं. पोइला बैसाख को पोहेला बोइशाख और शुभो नोबो बोरसो (Subho Nobo Borso) के नाम से भी जाना जाता है. आज यानी 15 अप्रैल 2022 को बंगाली समुदाय के लोग पोइला बैसाख का पर्व मना रहे हैं. पश्चिम बंगाल (West Bengal) के अलावा बांग्लादेश (Bangladesh) की राजधानी ढाका में भी बंगाली न्यू ईयर का त्योहार धूमधाम से मनाया जाता है. इस पर्व पर बंगाल में सांस्कृतिक एकता और संस्कृति का अनूठा संगम देखने को मिलता है. इस दिन के जश्न को मनाने के लिए मांस, मछली और स्वादिष्ट मिठाइयों का सेवन किया जाता है, साथ ही बैसाखी मेले का आयोजन किया जाता है.
पोइला बैसाख पर कई तरह के सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं और लोग एक-दूसरे के साथ मिलकर खुशी-खुशी इस पर्व को सेलिब्रेट करते हैं. इस अवसर पर बधाइयां दी और ली जाती हैं. ऐसे में आप भी बंगाली नव वर्ष के खास मौके पर इन हिंदी मैसेजेस, वॉट्सऐप विशेज, जीआईएफ ग्रीटिंग्स, कोट्स के जरिए पोइला बैसाख की शुभकामनाएं दे सकते हैं.
1- पुराना साल सबसे हो रहा है दूर,
क्या करें यही है कुदरत का दस्तूर,
बीती यादें सोचकर उदास न हो तुम,
पोइला बैसाख के जश्न में धूम मचाओ धूम.
पोइला बैसाख की शुभकामनाएं
2- प्यार के दिन और मोहब्बत भरी रातें हों,
रंजिशे-नफरतें मिट जाएं सदा के लिए,
सभी के दिलों में ऐसी चाहतें हों,
बंगाली नव वर्ष की शुभकामनाएं.
पोइला बैसाख की शुभकामनाएं
3- नया साल आए बन के उजाला,
खुल जाए आपकी किस्मत का ताला,
हमेशा आप-पर रहे मेहरबान ऊपर वाला,
यही दुआ करता है आपका चाहने वाला.
पोइला बैसाख की शुभकामनाएं
4- सूरज की तरह चमकें,
पानी की तरह रहें शीतल,
बनी रहे शहद सी मिठास,
इस पोइला बैसाख है यही आस.
पोइला बैसाख की शुभकामनाएं
5- भुला दो बीता हुआ कल,
दिल में बसाओ आने वाला कल,
हंसो और हंसाओ, चाहे जो भी हो पल,
खुशियां लेकर आएगा आने वाला कल.
पोइला बैसाख की शुभकामनाएं
बंगाली नव वर्ष पर बंगाली समुदाय के लोग एक-दूसरे को शुभो नोबो बोरसो कहकर बधाई देते हैं. दरअसल, इस दिन का लोगों को बड़ी ही बेसब्री से इंतजार रहता है. इस दिन लोग सुबह जल्दी उठकर स्नानादि से निवृत्त होकर नए कपड़े पहनते हैं और सूर्य भगवान के दर्शन करते हैं, फिर बंगाली रीति-रिवाज के अनुसार ईष्टदेव की पूजा-अर्चना कर लोग अपने घर-परिवार की खुशहाली और सुख-समृद्धि की कामना करते हैं. साथ ही घर के बड़े-बुजुर्गों का आशीर्वाद लिया जाता है.