Bharani Shradh 2019: पितृ पक्ष (Pitru Paksha) के पखवारे में दिवंगत पूर्वजों की आत्मा (Ancestors) की शांति के लिए श्राद्ध (Shradh) एवं तर्पण (Tarpan) करने का विधान है. वेद-पुराणों में भी वर्णित है कि अगर पितर (दिवंगत पूर्वज) नाराज हो जाएं तो व्यक्ति का जीवन कभी खुशहाल नहीं रहता. उसे तमाम तरह की समस्याओं एवं संकटों का सामना करना पड़ता है. घर में अशांति फैली रहती है, नौकरी व्यापार एवं गृहस्थी में निरंतर नुकसान होता रहता है, इसीलिए पितरों को तृप्त करना और उनकी आत्मा की शांति के लिए पितृ पक्ष में श्राद्ध के नियमों का पालन करना जरूरी माना जाता है.
कहा जाता है कि श्राद्ध के जरिए पितरों की तृप्ति के लिए उन्हें भोजन पहुंचाया जाता है और पिंड दान एवं तर्पण कर उनकी आत्मा की शांति की कामना की जाती है. श्राद्ध के नियमों के तहत ही भरणी श्राद्ध का भी प्रावधान है. आइये जानते हैं क्या है भरणी श्राद्ध (Bharani Shradh) एवं उससे जुड़े विधान.
क्या है भरणी श्राद्ध?
शास्त्रों में उल्लेखित है कि रहते हर व्यक्ति को एक बार तीर्थयात्रा करना जरूरी होता है. इससे व्यक्ति को अपरंपार पुण्य तो प्राप्त होते ही हैं, साथ ही मृत्यु के पश्चात मोक्ष भी मिलता है. मान्यता है कि कोई व्यक्ति जीवन में एक भी तीर्थयात्रा नहीं कर सका हो तो की मृत्यु के पश्चात उसे तभी मोक्ष मिलता है, जब उसके सगे संबंधियों को पितृपक्ष में भरणी श्राद्ध करता है. यह भी पढ़ें: Pitru Paksha 2019: पुराणों में किया गया है पितृपक्ष का वर्णन, जानिए पितरों को कौन सी चीजें हैं अधिक प्रिय
इस सदर्भ में मान्यता है कि भरणी श्राद्ध करने से पितरों को मातृगया, पितृगया, पुष्कर तीर्थ और बद्रीनाथ-केदारनाथ तीर्थ के पुण्य प्राप्त होते हैं. वह सहजता से मोक्ष को प्राप्त होता है, लेकिन इस बात का विशेष ध्यान रहे कि व्यक्ति के निधन के पहले वर्ष में भरणी श्राद्ध नहीं करना चाहिए. इसके बाद के वर्षों में कभी भी भरणी श्राद्ध किया जा सकता है.
निधन के पहले वर्ष भरणी श्राद्ध निषेध माना गया है
भरणी श्राद्ध पितृपक्ष के भरणी नक्षत्र के दिन किया जाता है. हिंदू पंचांगों के अनुसार इस बार चतुर्थी (18 सितंबर 2019) के दिन भरणी श्राद्ध किया जायेगा. यह श्राद्ध एकोदिष्ट उद्देश्य के लिए किया जाता है. यहां यह जानना आवश्यक है कि व्यक्ति विशेष के निधन के पहले वर्ष में भरणी श्राद्ध क्यों नहीं किया जाना चाहिए. माना जाता है कि मृत्यु के पहले वर्ष प्रथम वार्षिक अब्दपूर्ति एवं वर्षश्राद्ध होने तक मृत व्यक्ति को प्रेतत्व रहता है, इसलिए पहले वर्ष भरणी श्राद्ध करने से उसे शांति प्राप्ति के उद्देश्यों की पूर्ति नहीं होती. यह भी पढ़ें: Pitru Paksha 2019: कब से शुरू हो रहा है पितृ पक्ष, जानिए क्या है श्राद्ध का महात्म्य और कैसे करें तिथियों का चयन
क्यों जरूरी है भरणी श्राद्ध?
देह छोड़ने के प्रथम वर्ष के बाद व्यक्ति विशेष का भरणी श्राद्ध अवश्य कर देना चाहिए. मृत व्यक्ति के लिए यही श्रेयस्कर होता है. भरणी श्राद्ध के अंतर्गत तर्पण करते समय मृत व्यक्ति के नाम का उच्चारण तभी करना चाहिए, जब वह जीवित रहते पिता बन चुका होता है. यद्यपि इस संदर्भ में कुछ पुरोहितों का कहना है कि सपिंडीकरण एवं षोडशमासिक श्राद्ध जैसी सभी विधियों की तरह भरणी श्राद्ध भी करवाया जा सकता है. इसमें कोई दोष नहीं है.