Pitru Paksha 2019: कब से शुरू हो रहा है पितृ पक्ष, जानिए क्या है श्राद्ध का महात्म्य और कैसे करें तिथियों का चयन
पितृ पक्ष 2019 (Photo Credits: Wikimedia Commons)

Shradh 2019: सनातन धर्म में वैदिक परंपरानुसार विविध रीति-रिवाज़, व्रत-त्यौहार एवं परंपराएं देखने को मिलती हैं. हिंदु धर्म गर्भधारण से लेकर मृत्यु के पश्चात तक सोलह संस्कार पूरे करने होते हैं. मृत्यु के पश्चात होने वाली अंत्येष्टि को अंतिम संस्कार माना जाता है. लेकिन इस अंतिम संस्कार के पश्चात भी गोलोकवास हुए माता-पिता के लिए कुछ कर्म अथवा संस्कार हमें सतत करने होते हैं. इसी में एक है श्राद्ध कर्म (Shradh). यूं तो प्रत्येक मास की अमावस्या तिथि (Amavasya) को श्राद्ध कर्म किया जाता है, लेकिन भादों माह की पूर्णिमा से आश्विन माह की अमावस्या तक इस पूरे पखवारे श्राद्ध कर्म (Pirtu Paksha) का विधान हम वर्षों से निभाते आ रहे हैं. सरल शब्दों में कह सकते हैं कि अपने पूर्वजों के प्रति श्रद्धा सम्मान देने के लिए श्राद्ध का विधान रखा गया है, जिसे हमें पूरी निष्ठा एवं नियमपूर्वक करना आवश्यक होता है.

पितृ पक्ष का महात्म्य

श्राद्ध के महात्मय का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि लगभग सभी पौराणिक ग्रंथों में उल्लेखित है कि देव या देवी पूजा से ज्यादा महत्व हमें अपने पूर्वजों की पूजा को देनी चाहिए. क्योंकि अगर पित्तर प्रसन्न होंगे तो देवी-देवता भी हमारी आस्था एवं निष्ठा को स्वीकारते हैं. यही वजह है कि हमारे सनातन धर्म एवं संस्कृति में जीवित बुजुर्गों का सम्मान और मृत्योपरात श्राद्ध कर्म कर उन्हें शांति प्रदान करने की कोशिश अवश्य करनी चाहिए.

ब्रह्म पुराण के अऩुसार अगर मृत्योपरांत पूरे विधि-विधान से पित्तरों का तर्पण अथवा पिण्डदान आदि नहीं किया जाये तो उन्हें मुक्ति नहीं मिलती, मान्यता है कि ऐसा नहीं करने से उनकी आत्मा मृत्युलोक में भटकती रहती है.

पितृ पक्ष 2019- 13 सितंबर से 28 सितंबर तक

पूर्णिमा श्राद्ध – 13 सितंबर 2019

सर्वपितृ अमावस्या – 28 सितंबर 2019

क्या कहता है ज्योतिष शास्त्र

पितृ पक्ष (Pirtu Paksha 2019) अथवा श्राद्ध (Shradh 2019) मनाने के पीछे ज्योतिषीय कारण भी है. ज्योतिष शास्त्र में पितृ-दोष को काफी प्रभावशाली बताया गया है. इस संदर्भ में ज्योतिषाचार्य श्री लक्ष्मीकांत का कहना है कि आप किसी कार्य को पूरी शिद्दत, ईमानदारी, और समर्पित भाव से करते हैं, कोई कोताही नहीं बरतते हैं, इसके बाद भी आपको असफलता हाथ लगती है अथवा लगातार धन हानि हो रही है, बीमारियां आपका पीछा नहीं छोड़ रही हैं, नौकरी में लंबे समय से पदोन्नति अथवा वेतन वृद्धि नहीं हो रही है तो काफी संभावनाएं हैं कि इसकी वजह पितृ दोष भी हो सकता है. और अकसर ऐसा देखा गया है कि चारों तरफ से घिरा जातक जब पित्तरों का श्राद्ध कर उसकी आत्मा को शांति पहुंचाता है तो आपकी सफलता की गाड़ी अचानक स्पीड पकड़ लेती है. आपके रुके हुए पैसे आने लगते हैं. इसलिए पितृदोष से मुक्ति पाने के लिए पित्तरों की शांति के लिये हमें हर विधि- विधान सच्चे मन से करना चाहिए. यह भी पढ़ें: Pithori Amavasya 2019: भाद्रपद महीने की पिठोरी अमावस्या 30 को, गंगा स्नान व पितरों के श्राद्ध का है खास दिन, जानिए इसका महत्व और पूजा विधि

कब और कैसे करें श्राद्ध

पित्तरों के श्राद्ध के लिए हर माह की अमावस्या का दिन पहले से तय होता है. इस दिन किसी नदी के किनारे पितरों की शांति केलिए पिण्डदान अथवा श्राद्ध का विधान है. लेकिन श्राद्ध के लिए सर्वश्रेष्ठ समय पितृपक्ष को माना जाता है. यहां ध्यान देने की बात यह है कि पितरों के लिए पूजा अथवा श्राद्ध किसी योग्य पुरोहित से ही करवाना उचित होगा.

अब श्राद्ध के पखवारे में आपके पूर्वज, पितर अथवा परिवार के मृत सदस्य किस तिथि में मृत्यु को प्राप्त हुए हैं. अगर आपको वह तिथि याद है तो श्राद्ध पखवारे के उसी तिथि के दिन करना चाहिए. यदि मृतात्मा की सही तिथि ज्ञात नहीं है तो आश्विन अमावस्या के दिन पिण्ड दाऩ अथवा श्राद्ध किया जा सकता है. इसीलिए इस दिन को सर्वपितृ अमावस्या भी कहा जाता है. जिस नाते-रिश्तेदार की अकाल मृत्यु (दुर्घटना, आत्महत्या, हत्या से) हुई है तो उसका श्राद्ध चतुर्दशी के दिन किया जा सकता है. इसके अलावा पिता के लिए अष्टमी और माँ के लिए नवमी की तिथि सही मानी जाती है.