Navratri 2024: अहमदाबाद के साडू माता नी पोल में शेरी गरबा के लिए पुरुष साड़ी क्यों पहनते हैं? जानिए गुजरात की 200 साल पुरानी परंपरा
साडू माता गरबा में पुरुष पहनते हैं साड़ी (Photo: X@airnewsalerts

Navratri 2024: नवरात्रि (Navratri) भारत में हर साल मनाया जाने वाला त्योहार है. यह त्योहार नौ दिनों तक चलता है. नवरात्रि 3 अक्टूबर 2024 से शुरू होकर 12 अक्टूबर को दशहरा के साथ समाप्त होगी. यह त्योहार देवी दुर्गा को समर्पित है. इस दौरान देवी दुर्गा के नौ दिव्य रूपों की पूजा की जाती है. भक्त मंदिरों में जाकर, प्रार्थना करने और देवी दुर्गा की पूजा करने में समय बिताते हैं. त्योहार के दौरान, सड़कें संगीत, नृत्य और सांस्कृतिक प्रदर्शनों से जीवंत हो जाती हैं. गरबा नवरात्रि की एक महत्वपूर्ण परंपरा है, लेकिन जो चीज वास्तव में सभी का ध्यान खींचती है, वह है 200 साल पुरानी परंपरा, जहां पुरुष साड़ी पहनते हैं और नवरात्रि की आठवीं रात अहमदाबाद के साडू माता नी पोल में शेरी गरबा करते हैं. यह परंपरा क्या है? हम आपको बताते हैं.

गुजरात के अहमदाबाद में सदियों से एक अनोखी परंपरा चली आ रही है. हर नवरात्रि की आठवीं रात को जिसे साडू माता नी पोल के नाम से जाना जाता है, बरोट समुदाय के पुरुष साड़ी पहनकर घूमते हैं और शेरी गरबा नामक लोक नृत्य करते हैं. यह सिर्फ़ एक रस्म नहीं है, बल्कि इसका इतिहास में बहुत गहरा संबंध है. किंवदंतियों के अनुसार, दो शताब्दियों से भी पहले, साडूबेन नाम की एक महिला ने बरोट के पुरुषों से मदद मांगी थी, जब एक मुगल सरदार उसका पीछा कर रहा था. पुरुष उसकी रक्षा करने में विफल रहे, जिसके कारण उसे अपना बच्चा खोना पड़ा. इसके कारण, उसने बरोट समुदाय के पुरुषों को श्राप दिया कि उनकी आने वाली पीढ़ियां कायर होंगी.

साडू माता नी पोल परंपरा:

पश्चाताप करने के लिए बरोट समुदाय के पुरुष महिलाओं की तरह साड़ी पहनकर नवरात्रि की आठवीं रात को शेरी गरबा करने लगे, जिसे साडू माता नी पोल के नाम से जाना जाता है. साडू माता की आत्मा को प्रसन्न करने के लिए उनके सम्मान में एक मंदिर भी बनाया गया था. नवरात्रि की आठवीं रात को पुरुषों द्वारा साड़ी पहनने और गरबा करने की परंपरा पीढ़ियों से चली आ रही है. यह बारोट समुदाय के अतीत और साडू माता के सम्मान के प्रति उनकी प्रतिबद्धता की याद दिलाता है.